जापान में न्यूक्लियर पॉलिसी को लेकर छिड़ी बहस, पूर्व पीएम इशिबा बोले 'इससे देश को फायदा नहीं'
टोक्यो, 21 दिसंबर (आईएएनएस)। चीन से बढ़ती तल्खी के बीच जापान में न्यूक्लियर पॉलिसी को लेकर बहस ने जोर पकड़ ली है। रविवार को पूर्व रक्षा मंत्री इत्सुनोरी ओनोडेरा ने कहा कि देश को नॉन-न्यूक्लियर प्रिंसिपल्स यानी गैर-परमाणु सिद्धांतों पर बहस करने की जरूरत है। ओनोडेरा सत्ताधारी दल के वरिष्ठ नेता भी हैं। वहीं पूर्व पीएम शिगेरू इशिबा का मानना है कि इससे देश को फायदा नहीं होने वाला है।
बहस की वजह एक बयान है। हाल ही में पीएमओ अधिकारी ने जापान के परमाणु हथियार संपन्न होने की वकालत की थी।
दरअसल, असाही शिंबुन में एक अनाम अधिकारी के हवाले से कहा कि उनका व्यक्तिगत रूप से मानना है कि "जापान को परमाणु हथियार रखने चाहिए।" रिपोर्ट के अनुसार, यह अधिकारी प्रधानमंत्री सनाए ताकाइची को सुरक्षा नीतियों और संबंधित मामलों पर सलाह देने के लिए जिम्मेदार है। लगभग एक महीने पहले खुद पीएम ताकाइची ने ऐसा ही कुछ कहा था जिस पर कई लोगों ने सवाल भी खड़े किए थे।
बात करें सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी की सुरक्षा अनुसंधान परिषद के प्रमुख ओनोडेरा की, तो जापान को उन्होंने रविवार को अमेरिकी "परमाणु छतरी" पर निर्भरता का जिक्र करते हुए कहा कि इसकी समीक्षा की जानी चाहिए।
ओनोडेरा ने कहा कि सरकार की मौजूदा नीति तीन गैर-परमाणु सिद्धांतों को बनाए रखना है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी परमाणु छतरी पर निर्भर रहने का मतलब प्रभावी रूप से अमेरिका से जापान की रक्षा करने के लिए कहना है।
उन्होंने कहा, "परमाणु मुद्दों के बारे में न सोचना राजनीतिक रूप से गैर-जिम्मेदाराना है।"
वहीं पूर्व पीएम इशिबा ने 'टीएनसी न्यूज' के लाइव प्रोग्राम में माना कि परमाणु हथियार हासिल करने से "जापान को बिल्कुल भी फायदा नहीं होगा।"
ओनोडेरा की बातों पर गौर करें तो स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री सनाए ताकाइची के नेतृत्व वाली एलडीपी ने अगले साल के अंत तक तीन प्रमुख राष्ट्रीय सुरक्षा दस्तावेजों में संशोधन की दिशा में चर्चा शुरू कर दी है, जिसमें तीन गैर-परमाणु सिद्धांतों को संभालने के मुद्दे पर भी विचार किए जाने की उम्मीद है।
तीन सिद्धांतों में से तीसरा प्वाइंट परमाणु हथियारों को जापान में प्रवेश करने से रोकता है।
ताकाइची, जो अपने आक्रामक राष्ट्रीय सुरक्षा रुख के लिए जानी जाती हैं, ने अक्टूबर में कहा था कि परमाणु हथियारों के प्रवेश की अनुमति न देने से अमरीकी परमाणु-सशस्त्र जहाजों के जापान के बंदरगाहों पर आने-जाने में बाधा आ सकती है। इससे अमरीकी परमाणु प्रतिरोध कमजोर होने की आशंका है।
अमेरिकी छतरी का सीधा अर्थ है कि अगर जापान पर हमला होता है, या कोई परमाणु खतरा आता है, तो अमेरिका उसकी रक्षा अपने परमाणु हथियारों से करेगा। जापान इसी अमेरिकी छतरी के तहत सुरक्षित है। बदले में देश खुद परमाणु हथियार नहीं बनाता।
इस बीच, एलडीपी के जूनियर गठबंधन सहयोगी, जापान इनोवेशन पार्टी के एक सांसद सेइजी माएहारा ने टीवी कार्यक्रम में कहा कि इसकी बारीकी से समीक्षा जरूरी है।
ओकाडा, जो अब जापान की मुख्य विपक्षी संवैधानिक डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद हैं, ने तीन राष्ट्रीय सुरक्षा दस्तावेजों में संशोधन की प्रक्रिया में, परमाणु हथियारों से लैस अमेरिकी जहाजों से कैसे निपटा जाएगा, इस पर स्पष्टीकरण की मांग की।
शुक्रवार को अमेरिकी विदेश विभाग ने जापान को परमाणु अप्रसार को बढ़ावा देने में "ग्लोबल लीडर" बताया है। द जापान टाइम्स के अनुसार, एशियाई देश द्वारा ऐसे हथियार हासिल करने की संभावित कोशिश के खिलाफ ये एक चेतावनी जैसा लग रहा था। जापान एकमात्र ऐसा देश है जिसने परमाणु हमलों का सामना किया है।
वहीं दैनिक चीनी टैब्लॉयड ग्लोबल टाइम्स ने विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन के एक बयान का जिक्र कर फिर जापान को अपनी हद में रहने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि जापानी पक्ष को अपने ऐतिहासिक अपराधों पर सोच विचार कर अंतर्राष्ट्रीय कानून और जापान के संविधान का पालन करना चाहिए। उसे सैन्य शक्ति बढ़ाने के बहाने ढूंढना बंद कर अपनी लक्ष्मण रेखा का ख्याल रखना चाहिए।
--आईएएनएस
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