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‘किसी ने कहा तो सिर पर ठोक ली कील…’, होश में आते ही करने लगा अजीबो-गरीब हरकतें

 

उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक बेहद चौंकाने वाला और दर्दनाक मामला सामने आया है। फतेहपुर निवासी 21 वर्षीय युवक विजय ने खुद ही अपने सिर में चार इंच लंबी कील ठोक ली। यह घटना 17 जुलाई को हुई थी, जब वह अचानक अजीबोगरीब हरकत करने लगा और बाद में उसे हैलट पीजीआई के न्यूरो विभाग में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने सर्जरी कर युवक के सिर से कील को सफलतापूर्वक निकाल उसकी जान बचाई।

"कोई मेरे कान में कहता था - कील ठोंक लो"

इलाज के बाद युवक की मानसिक स्थिति पर जब डॉक्टरों और परिजनों ने बातचीत की, तो विजय ने कहा, "कोई मेरे कान में कुछ न कुछ बोलता रहता है। पहले धीरे-धीरे कहता था, फिर तेज बोलने लगा कि कील ठोंक लो। मैंने नहीं ठोकी तो और जोर-जोर से कहने लगा। मैं क्या करता… ठोक ली कील।" डॉक्टरों के अनुसार, विजय साइकोसिस नामक गंभीर मानसिक बीमारी से पीड़ित है। यह बीमारी व्यक्ति की यथार्थ और कल्पना के बीच के अंतर को समाप्त कर देती है, जिससे वह भ्रमित विचारों और असामान्य व्यवहार करने लगता है।

जटिल ऑपरेशन के बाद निकाली गई कील

न्यूरो विभागाध्यक्ष डॉ. मनीष सिंह की निगरानी में विजय का ऑपरेशन किया गया। कील उसके सिर के बीचोबीच घुसी हुई थी, जिसने सिर की त्वचा, खोपड़ी की हड्डी और मस्तिष्क की तीन प्रमुख सुरक्षा लेयर्स – ड्यूरा, अराकनॉइड और पिया मेटर – को भेद डाला था। कील मस्तिष्क की नसों तक जा पहुंची थी, जिससे ऑपरेशन बेहद जटिल हो गया। डॉ. मनीष सिंह ने बताया, "सिर की हड्डी को काटने के लिए ड्रिल मशीन का उपयोग करना पड़ा। नसों के पास होने के कारण बेहद सावधानीपूर्वक ऑपरेशन किया गया। कील की वजह से मस्तिष्क की नसों में फैलाव का अंतर आ गया था, लेकिन समय रहते इलाज होने से उसकी जान बच गई।"

मानसिक बीमारी और नशे की लत बना कारण

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मनोरोग विभागाध्यक्ष डॉ. धनंजय चौधरी ने बताया कि विजय साइकोसिस से पीड़ित है, जो अत्यधिक शराब या नशे के सेवन से होता है। इस बीमारी में रोगी को वास्तविकता और कल्पना में फर्क करना मुश्किल हो जाता है। वह मनगढ़ंत आवाजें सुनने लगता है, और कई बार उनके प्रभाव में आकर नुकसानदायक फैसले लेता है।

परिजनों को नहीं थी जानकारी, मिर्गी के दौरे के बाद पता चला

विजय ने सिर में कील ठोंकने की जानकारी किसी को नहीं दी थी। कुछ दिनों बाद जब उसे मिर्गी के दौरे आने लगे, तब परिजन उसे डॉक्टर के पास लेकर गए, जहां जांच के बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ। विजय के पिता घूरे ने बताया कि विजय दिल्ली में मजदूरी करता था, लेकिन नशे की लत में पड़ गया। ढाई महीने पहले ही वह फतेहपुर अपने गांव लौट आया था। उसका छोटा भाई अजय और पिता घूरे फिलहाल बेंगलुरु में मजदूरी करते हैं।

समाज को चाहिए जागरूकता

इस घटना ने एक बार फिर मानसिक स्वास्थ्य के प्रति समाज की उदासीनता को उजागर किया है। अक्सर ऐसे रोगियों को भूत-प्रेत या जादू-टोने का शिकार समझ लिया जाता है, जिससे इलाज में देर हो जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर पहचान और इलाज से ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है। यह मामला हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि मानसिक स्वास्थ्य को लेकर हमें कितनी जागरूकता और संवेदनशीलता की जरूरत है।