‘सुना है ट्रेन से कटकर मर जाते हैं इसलिए…’, 7 साल की बच्ची की बातें सुन पुलिस भी सन्न, क्या हुआ मासूम के साथ ऐसा?
उत्तर प्रदेश के औरैया जिले से एक बेहद भावुक और चौंका देने वाला मामला सामने आया है। सात साल की मासूम बच्ची रौशनी अपनी जिंदगी से इस कदर तंग आ गई कि मंगलवार सुबह लगभग साढ़े पांच बजे वह मरने के इरादे से अछल्दा की डीएफसी रेलवे लाइन पर पहुंच गई। लेकिन स्थानीय लोगों ने समय रहते उसे बचा लिया। इस घटना ने न सिर्फ पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया, बल्कि यह भी सवाल खड़े कर दिए हैं कि आखिर एक छोटी बच्ची को किस हद तक मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी होगी जो उसे आत्महत्या जैसा कदम उठाने पर मजबूर कर दे।
बच्ची बोली – “पापा मारते हैं, पढ़ने नहीं भेजते”
बचाए जाने के बाद जब लोगों ने बच्ची से पूछा कि वह ट्रेन ट्रैक पर क्या कर रही थी, तो उसने जो बातें बताईं, वे किसी को भी हिला कर रख दें। बच्ची ने बताया कि उसका नाम रौशनी है और उसके पिता उसे आए दिन पीटते हैं। इतना ही नहीं, कई बार तो उसके हाथ-पैर बांधकर खेतों में छोड़ देते हैं और स्कूल भी नहीं भेजते। बच्ची ने कहा कि वह घर में खाना बनाने के काम में भी लगाई जाती है।
“सुना है ट्रेन से कटकर लोग मर जाते हैं, इसलिए आ गई थी”
थाने में ले जाने पर बच्ची ने और भी दर्दनाक खुलासे किए। उसने बताया कि उसने सुना था कि लोग ट्रेन से कटकर जान दे देते हैं, इसलिए वह भी अपनी तकलीफों से निजात पाने के लिए मरने आई थी। बच्ची ने कहा कि उसके पिता संतोष राजपूत ने कुछ दिन पहले उसे छत से भी धक्का दे दिया था, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई थी और खून बहता रहा।
5 बच्चों की मां, मानसिक रूप से अस्वस्थ
पड़ोसियों और मोहल्ले वालों के अनुसार, रौशनी की मां गर्भवती हैं और मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं। बच्ची के पिता के पास कोई स्थायी आमदनी नहीं है और वो खेती-बाड़ी और छोटे-मोटे कामों से परिवार चलाते हैं। पांच बच्चों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी और पत्नी की मानसिक स्थिति ने पिता को भी असहाय बना दिया है, लेकिन इसका खामियाजा मासूम बच्चों को भुगतना पड़ रहा है।
चंदन नामक युवक ने बच्ची को गोद लेने की इच्छा जताई
इस घटना के बाद एक स्थानीय व्यक्ति चंदन राजपूत, जो पेशे से टेलर हैं और खेती भी करते हैं, सामने आए। उन्होंने बच्ची को गोद लेने की इच्छा जताई और बताया कि उनका पहले से एक बेटा है और वे एक बेटी को भी पालना चाहते हैं। उन्होंने बच्ची के लिए नए कपड़े खरीदे, स्कूल में दाखिला कराया और उसके पिता के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई।
कानूनी प्रक्रिया के चलते बच्ची वापस पिता को सौंपी गई
हालांकि, पुलिस ने चंदन की भावनाओं को सराहा लेकिन स्पष्ट किया कि गोद लेने की प्रक्रिया कानूनी होती है और उसे केवल एक आवेदन पत्र के आधार पर पूरा नहीं किया जा सकता। इसलिए बच्ची को उसके जैविक पिता को ही सौंप दिया गया। अछाल्दा थाना पुलिस के मुताबिक, बच्ची के पिता ने अपनी मर्जी से एक प्रार्थना पत्र दिया था जिसमें उन्होंने बच्ची को गोद देने की बात कही थी, लेकिन नियमानुसार यह स्वीकार नहीं किया जा सकता।
प्रशासन और बाल कल्याण समिति की भूमिका महत्वपूर्ण
इस पूरे मामले ने प्रशासन और बाल संरक्षण तंत्र की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। एक सात साल की बच्ची आत्महत्या की कोशिश करती है, फिर भी उसे वापस उस माहौल में भेज दिया जाता है जहां उसके साथ मारपीट होती है। क्या केवल कागज़ी औपचारिकताएं पूरी न होने की वजह से बच्ची को फिर उसी प्रताड़ना की दुनिया में भेज देना सही है? यह मामला बच्चों की सुरक्षा के लिहाज़ से एक संवेदनशील चेतावनी है और बाल कल्याण समिति को इसमें तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए।