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हिंदू सांसद ने पाकिस्तान में धर्मांतरण पर किया ऐसा भाषण कि हिल गया पूरा देश, अब ताबड़तोड़ वायरल हो रहा वीडियो

 

हाल ही में पाकिस्तानी संसद में दी गई एक स्पीच पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई है। यह स्पीच एक हिंदू सांसद ने दी थी और इसमें पाकिस्तान में हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों के धार्मिक अधिकारों के साथ-साथ जबरन धर्म परिवर्तन के मुद्दे पर बात की गई थी। सांसद ने अपने संसदीय भाषण में इस बात पर ज़ोर दिया कि पाकिस्तानी संविधान का अनुच्छेद 20 हर नागरिक को अपने धर्म का पालन करने और उसका प्रचार करने का अधिकार देता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह अधिकार सच में अल्पसंख्यकों को मिल पाता है? पाकिस्तान में हिंदुओं के धर्म परिवर्तन पर हिंदू सांसद दिनेश कुमार की स्पीच ने देश को हिलाकर रख दिया है और यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

वीडियो में, सीनेटर दिनेश कुमार ने उदाहरण देते हुए कहा कि अक्सर उनके पाकिस्तानी मुस्लिम भाई उन्हें इस्लाम अपनाने के लिए कहते हैं। वे उन्हें जहन्नम की आग और पाप से भी डराते हैं और उन धार्मिक मान्यताओं की आलोचना करते हैं जिन्हें वे मूर्ति पूजा या दूसरी प्रथाएँ मानते हैं। सांसद ने सवाल उठाया कि अगर संविधान हर किसी को ऐसा करने की आज़ादी देता है तो क्या हिंदू या ईसाई नागरिकों के लिए अपने धर्म का प्रचार करना असल में मुमकिन है? अपनी स्पीच के दौरान, सांसद ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों के लिए धार्मिक स्वतंत्रता सिर्फ़ कागज़ों तक ही सीमित नहीं रहनी चाहिए। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि हर नागरिक को बिना किसी डर या दबाव के अपने धार्मिक अधिकारों का पालन करने के लिए एक सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल मिलना चाहिए।

लोगों की प्रतिक्रियाएं और सोशल मीडिया पर चर्चा

जैसे ही स्पीच का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएं देना शुरू कर दिया। कुछ यूज़र्स ने लिखा कि यह स्पीच सच में देश की असली स्थिति को दिखाती है। कई लोगों ने सांसद की हिम्मत की तारीफ़ की और कहा कि यह स्पीच समाज का ध्यान अल्पसंख्यकों के अधिकारों की ओर खींचती है। हालांकि कुछ लोगों ने वीडियो की आलोचना भी की, लेकिन ज़्यादातर कमेंट्स में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति और धर्म परिवर्तन से जुड़े असमान हालात पर गंभीर चिंता जताई गई। कई लोगों ने यह भी सुझाव दिया कि संविधान में दिए गए अधिकारों को सिर्फ़ कागज़ों पर नहीं, बल्कि असल ज़िंदगी में भी लागू किया जाना चाहिए।