गाजा मिशन में हुई देरी तो अमेरिका के लिए 'गैरभरोसेमंद पार्टनर' बन सकता है पाकिस्तान: रिपोर्ट
अबू धाबी, 27 दिसंबर (आईएएनएस)। पाकिस्तान की लंबे समय से इस्तेमाल की जा रही 'धोखाधड़ी' की रणनीति अब अमेरिका में कम फायदेमंद साबित हो सकती है। एक ताजा रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि बदलते अमेरिका में, जहां नीतियां ज्यादा लेन-देन आधारित और नेतृत्व-केंद्रित हो गई हैं, पाकिस्तान का यह तरीका अब सीमित असर वाला साबित हो सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने ट्रंप की उच्च-जोखिम वाली गाज़ा स्थिरीकरण परियोजना के तहत सैनिक सहायता देने का संकेत दिया है। लेकिन अगर ट्रंप को यह महसूस हुआ कि मुनीर भी पहले की तरह वादे तो कर रहे हैं, लेकिन जमीन पर कुछ नहीं दे रहे, तो पाकिस्तान को मिलने वाली गारंटी तेजी से कमजोर पड़ सकती है।
यूएई स्थित मीडिया आउटलेट अल अरबिया पोस्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि आसिम मुनीर का उदय पाकिस्तान के सबसे शक्तिशाली सैन्य शासकों में से एक के रूप में ऐसे समय हुआ है जब ट्रंप गाजा के लिए एक इंटरनेशनल स्टेबलाइजेशन फोर्स (आईएसएफ) की योजना पर काम कर रहे हैं। इस संभावित समझौते में पाकिस्तान सैनिक देता है और बदले में अमेरिका आर्थिक मदद, राजनीतिक संरक्षण और घरेलू कार्रवाईयों पर आंख मूंदने का रवैया अपनाता है।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह 'लेन-देन आधारित समझौता' खासतौर पर इमरान खान और उनकी पार्टी पीटीआई के खिलाफ कार्रवाई को लेकर अमेरिका की चुप्पी से जुड़ा है। लेकिन अब दबाव बढ़ने के साथ-साथ पाकिस्तान का पुराना रवैया (अधिक वादे और कम अमल) फिर सामने आने लगा है। कहा गया है कि मुनीर आईएसएफ को लेकर कदम पीछे खींच रहे हैं, जबकि भू-राजनीतिक फायदे पूरी तरह वसूलने की कोशिश कर रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, आज आसिम मुनीर की ताकत तीन स्तंभों पर टिकी है, जिनमें सेना और खुफिया तंत्र पर मजबूत नियंत्रण, इस्लामाबाद में कमजोर नागरिक सरकार और इमरान खान की राजनीतिक चुनौती को व्यवस्थित तरीके से कमजोर करना शामिल हैं।
9 मई 2023 की घटनाओं के बाद पीटीआई पर सख्त कार्रवाई, तीनों सेनाओं पर नियंत्रण, और फील्ड मार्शल का दर्जा उन्हें देश का वास्तविक शासक बनाता है, लेकिन इसके साथ ही वे आर्थिक बदहाली, राजनीतिक दमन, और रणनीतिक विफलताओं के लिए सीधे जिम्मेदार भी बनते जा रहे हैं।
रिपोर्ट कहती है कि ऐसे में बाहरी समर्थन अब मुनीर के लिए विकल्प नहीं, बल्कि राजनीतिक अस्तित्व की जरूरत बन चुका है। इसी कारण वे वॉशिंगटन से तीन अहम आश्वासन चाहते हैं।
पहला, उनके कार्यकाल और असाधारण शक्तियों को बढ़ाने के लिए मौन समर्थन। दूसरा, पाकिस्तान की डगमगाती अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए निवेश और आर्थिक राहत, जिसका उदाहरण अमेरिका-पाकिस्तान के खनिज और ऊर्जा समझौते बताए गए हैं।
तीसरा, इमरान खान के खिलाफ कानूनी कार्रवाई, मीडिया ब्लैकआउट और राजनीतिक अलगाव पर अमेरिकी चुप्पी।
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि यदि पाकिस्तान लगातार टालमटोल करता रहा, तो अमेरिका के सामने दो ही विकल्प बचेंगे, या तो आईएसएफ को कमजोर और सीमित सहयोग के साथ आगे बढ़ाया जाए, या फिर पाकिस्तान पर सीधे दबाव बनाया जाए। दोनों ही विकल्प महंगे और जोखिम भरे हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि गाजा के बदले अंतरराष्ट्रीय संरक्षण का यह 'फॉस्टियन समझौता' किसी भी वक्त टूट सकता है, जिससे आसिम मुनीर देश के भीतर असुरक्षित और विदेशों में अविश्वसनीय स्थिति में फंस सकते हैं।
--आईएएनएस
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