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तेलंगाना अपने हिस्से के गोदावरी जल की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध: सिंचाई मंत्री

 

हैदराबाद, 31 दिसंबर (आईएएनएस)। तेलंगाना के सिंचाई मंत्री एन. उत्तम कुमार रेड्डी ने बुधवार को कहा कि राज्य सरकार गोदावरी नदी के जल में तेलंगाना को आवंटित 968 टीएमसी (हजार मिलियन घन फीट) हिस्से की रक्षा और भविष्य की सिंचाई परियोजनाओं को सुरक्षित रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश द्वारा पोलावरम परियोजना से जुड़ी विस्तार योजनाओं के माध्यम से गोदावरी जल के प्रस्तावित डायवर्जन को लेकर चल रहे अंतर-राज्यीय जल विवाद में तेलंगाना सरकार ने अपने सिंचाई हितों की मजबूती से रक्षा के लिए कई प्रशासनिक और कानूनी कदम उठाए हैं।

एक बयान में मंत्री ने बताया कि आंध्र प्रदेश की प्रारंभिक पोलावरम–बनकाचेरला लिंक परियोजना (पीबीएलपी) को बाद में पोलावरम–नल्लामाला सागर लिंक परियोजना (पीएनएलपी) के रूप में पुनः प्रस्तुत किया गया। इन योजनाओं के तहत गोदावरी की बाढ़ का लगभग 200 टीएमसी पानी आंध्र प्रदेश की ओर मोड़ने का प्रस्ताव है।

रेड्डी ने कहा, “तेलंगाना लगातार यह कहता रहा है कि ये परियोजनाएं 1980 के गोदावरी जल विवाद न्यायाधिकरण (जीडब्ल्यूडीटी) के फैसले, पोलावरम सिंचाई परियोजना के लिए दी गई सीडब्ल्यूसी-टीएसी मंजूरी, आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2014 और केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करती हैं। ये मूल रूप से स्वीकृत 80 टीएमसी के डायवर्जन से आगे जाती हैं और ऐसे बाढ़ जल पर दावा करती हैं जो अभी आवंटित नहीं है।”

मंत्री ने बताया कि इस वर्ष की शुरुआत से ही तेलंगाना सरकार ने ठोस कदम उठाए। आंध्र प्रदेश की योजनाओं की जानकारी मिलते ही 22 जनवरी 2025 को केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय को पत्र लिखा गया। इसके बाद 13 और 16 जून 2025 को जल शक्ति मंत्रालय और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को पत्र भेजकर परियोजना के मूल्यांकन को खारिज करने की मांग की गई।

इन प्रयासों के परिणामस्वरूप 30 जून 2025 को पर्यावरण मंत्रालय की विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (ईएसी) ने आंध्र प्रदेश के प्रस्ताव को यह कहते हुए लौटा दिया कि अंतर-राज्यीय मुद्दे अनसुलझे हैं, जीडब्ल्यूडीटी के उल्लंघन की आशंका है और सीडब्ल्यूसी की मंजूरी आवश्यक है। इसके अलावा जल शक्ति मंत्रालय, केंद्रीय जल आयोग, गोदावरी नदी प्रबंधन बोर्ड (जीआरएमबी), कृष्णा नदी प्रबंधन बोर्ड (केआरएमबी) और पोलावरम परियोजना प्राधिकरण (पीपीए) के समक्ष भी आपत्तियां दर्ज कराई गईं, जिनमें इन केंद्रीय एजेंसियों ने भी आंध्र प्रदेश के प्रस्ताव पर सवाल उठाए।

रेड्डी ने बताया कि जुलाई 2025 में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक के बाद कृष्णा और गोदावरी बेसिन से जुड़े लंबित मुद्दों को एजेंडा में शामिल करने की मांग की गई, लेकिन पोलावरम–बनकाचेरला लिंक को एजेंडा में शामिल करने को सिरे से खारिज कर दिया गया।

उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश द्वारा 21 नवंबर 2025 को पीएनएलपी के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने हेतु टेंडर जारी किए जाने के बाद तेलंगाना सरकार ने कानूनी कदम उठाते हुए 16 दिसंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की।

इस याचिका में पीबीएलपी/पीएनएलपी या पोलावरम से जुड़े किसी भी विस्तार कार्य को रोकने, केंद्रीय एजेंसियों को परियोजना रिपोर्ट का मूल्यांकन करने, मंजूरी देने या धन जारी करने से रोकने तथा क्षमता विस्तार और टेंडर प्रक्रिया पर रोक लगाने के निर्देश मांगे गए हैं।

मंत्री ने कहा, “ये कानूनी कदम गोदावरी जल में तेलंगाना के 968 टीएमसी के हिस्से की रक्षा और भविष्य की सिंचाई परियोजनाओं को सुरक्षित रखने के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।”

विपक्ष के निष्क्रियता के आरोपों को खारिज करते हुए रेड्डी ने कहा, “हम तेलंगाना राज्य के जल अधिकारों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। हमारी त्वरित आपत्तियों के कारण ही इस वर्ष विशेषज्ञ समिति ने प्रस्ताव लौटाया और सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका से यह सुनिश्चित होगा कि आंध्र प्रदेश एकतरफा आगे न बढ़ सके।”

उन्होंने यह भी कहा कि गोदावरी का बाढ़ जल अभी आवंटित नहीं है और इस पर किसी भी निर्णय से पहले दोनों राज्यों के बीच परामर्श आवश्यक है।

रेड्डी ने कहा, “इन सभी सक्रिय पहलों के परिणामस्वरूप संबंधित केंद्रीय एजेंसियों ने पीबीएलपी/पीएनएलपी पर औपचारिक आपत्तियां दर्ज की हैं, जो राज्य की जल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हमारी व्यापक रणनीति को दर्शाता है।”

--आईएएनएस

डीएससी