कर्नाटक की मंत्री हेब्बालकर बोलीं, ‘महिला होने के कारण बनाया जा रहा निशाना’; भाजपा ने दिया जवाब
बेलगावी, 17 दिसंबर (आईएएनएस)। गृह लक्ष्मी योजना की किस्तों के वितरण में भूल स्वीकार किए जाने के बाद कर्नाटक विधानसभा में भारी हंगामा देखने को मिला। महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी हेब्बालकर ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें महिला होने के कारण निशाना बनाया जा रहा है। इस पर भाजपा ने कड़ी आपत्ति जताते हुए उनसे “विक्टिम कार्ड” न खेलने की अपील की।
भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि मंत्री ने सदन को गलत जानकारी दी और मांग की कि वे बिना शर्त माफी मांगें। आरोप है कि मंत्री ने 1.26 करोड़ लाभार्थियों को फरवरी और मार्च की दो-दो हजार रुपये की किस्तें जारी होने की बात कही थी, जबकि बाद में स्वीकार किया कि ये भुगतान अभी लंबित हैं।
मंत्री हेब्बालकर ने सदन में कहा कि उन्होंने फरवरी और मार्च की किस्तें जारी होने की बात कही थी, लेकिन बाद में पता चला कि भुगतान अभी नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि यदि उनके बयान से सदन के सदस्यों की भावनाएं आहत हुई हैं तो उन्हें खेद है। इस पर भाजपा ने आपत्ति जताते हुए बिना शर्त माफी की मांग की।
नेता प्रतिपक्ष आर. अशोक ने कहा कि मुद्दा भावनाओं का नहीं, बल्कि 1.26 करोड़ लाभार्थियों से जुड़ा है, जिन्हें अभी तक गृह लक्ष्मी योजना की राशि नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि मंत्री को लाभार्थियों से माफी मांगनी चाहिए।
जैसे ही भाजपा सदस्यों ने विरोध तेज किया, मंत्री ने माफी तो मांगी, लेकिन साथ ही कहा, “आप सभी मुझे इसलिए निशाना बना रहे हैं क्योंकि मैं महिला हूं।” इस टिप्पणी से सदन में हंगामा और बढ़ गया। भाजपा सदस्यों ने इसका कड़ा विरोध किया, जबकि कांग्रेस विधायकों और मंत्रियों ने मंत्री के समर्थन में आवाज उठाई।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री शरण प्रकाश पाटिल ने कहा कि माफी मांगने के बाद भी एक महिला मंत्री को निशाना बनाना उचित नहीं है। वहीं वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री एस. सुरेश कुमार ने जवाब देते हुए कहा, “पीड़ित कार्ड नहीं खेलना चाहिए।”
नेता प्रतिपक्ष अशोक ने कहा कि मंत्री को विक्टिम कार्ड नहीं खेलना चाहिए। उनका दर्जा पुरुष मंत्रियों के बराबर है, बल्कि वे एक उच्च संवैधानिक पद पर हैं। उन्होंने एक साधारण सवाल का सही जवाब नहीं दिया और अनावश्यक संदर्भ दिए।
इससे पहले भाजपा विधायकों ने सदन के वेल में उतरकर विरोध प्रदर्शन किया। अशोक ने कहा कि यह मुद्दा राज्य की जनता से जुड़ा है और करीब 5,000 करोड़ रुपये का है। हर महीने 1.26 करोड़ महिला मुखियाओं को 2,000 रुपये देने के लिए लगभग 2,480 करोड़ रुपये की जरूरत होती है। “फिर यह पैसा गया कहां?” उन्होंने सवाल किया।
उन्होंने यह भी पूछा कि किस कानून के तहत पहले की लंबित किस्तें चुकाए बिना बाद के महीनों का भुगतान किया जा सकता है। अशोक ने कहा कि मंत्री चाहतीं तो कह सकती थीं कि वे मामले की जांच कर बाद में जवाब दें, लेकिन इसके बजाय उन्होंने आवाज ऊंची की।
स्पीकर यू.टी. खादर ने विपक्ष से अपनी सीटों पर लौटने की अपील करते हुए कहा कि मंत्री जवाब देने के लिए सदन में आई हैं और वेल में विरोध जारी रखना ठीक नहीं है। कृषि मंत्री एन. चेलुवरायस्वामी ने भी अशोक से सहयोग करने का अनुरोध किया।
वरिष्ठ विधायक एस. सुरेश कुमार ने ऐतिहासिक उदाहरण देते हुए कहा कि मैसूर के शासक हैदर अली ने कथित तौर पर सैनिकों के वेतन में देरी की थी, जिससे साल में एक महीने का वेतन कट जाता था। कांग्रेस सरकार भी कुछ ऐसा ही कर रही है इस टिप्पणी पर कांग्रेस मंत्रियों और विधायकों ने कड़ा विरोध जताया।
--आईएएनएस
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