सीएम स्टालिन ने अल्पसंख्यकों पर हमलों की निंदा की, रोकने की वकालत की
चेन्नई, 25 दिसंबर (आईएएनएस)। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने गुरुवार को अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि लोकतांत्रिक समाज में ऐसी घटनाएं पूरी तरह अस्वीकार्य हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर नफरत और विभाजनकारी प्रवृत्तियों को रोका नहीं गया, तो यह राष्ट्रीय सौहार्द के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सत्ता में बैठे लोगों और पूरे समाज की यह साझा व तात्कालिक जिम्मेदारी है कि दंगाई और विभाजन फैलाने वाले समूहों पर सख्ती से अंकुश लगाया जाए। उन्होंने जोर दिया कि इसे दृढ़ संकल्प के साथ लागू किया जाना चाहिए।
सोशल मीडिया पर जारी अपने बयान में सीएम स्टालिन ने कहा कि बहुसंख्यक समाज की वास्तविक ताकत और नैतिकता इसी में है कि अल्पसंख्यक बिना डर के जीवन जी सकें।
उन्होंने कहा, “जब बहुसंख्यक समुदाय के नाम पर कुछ दक्षिणपंथी हिंसक समूह हमलों और दंगों में लिप्त होते हैं, तो यह देश को एक परेशान करने वाला संदेश देता है।”
देश के विभिन्न हिस्सों में हुई हालिया घटनाओं का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मणिपुर के बाद जबलपुर और रायपुर जैसे स्थानों से अल्पसंख्यकों पर हमलों की खबरें बेहद चिंताजनक हैं और सामाजिक सौहार्द को मानने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए अस्वीकार्य हैं।
उन्होंने कहा, “ये घटनाक्रम हर उस नागरिक के लिए चिंता का विषय होने चाहिए जो शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में विश्वास करता है।”
सीएम स्टालिन ने चेतावनी दी कि यदि उग्रवादी या दंगाई समूहों को बिना किसी कार्रवाई के खुली छूट दी गई, तो इससे समाज में विभाजन और गहरा होगा।
उन्होंने कहा, “जो लोग धर्म या सांप्रदायिक आधार पर समाज को बांटते हैं, उनसे बिना किसी अस्पष्टता के सख्ती से निपटना चाहिए।” उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था बनाए रखना और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करना राज्य का विकल्प नहीं, बल्कि अनिवार्य दायित्व है।
मुख्यमंत्री ने आंकड़ों का हवाला देते हुए एक चिंताजनक रुझान की ओर भी ध्यान दिलाया। उन्होंने दावा किया कि केंद्र में भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद अल्पसंख्यकों के खिलाफ घृणास्पद भाषणों में कथित तौर पर 74 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो यदि रोकी नहीं गई तो “आगे गंभीर खतरे” का संकेत है।
अपने बयान के अंत में, सीएम स्टालिन ने दोहराया कि भारत की एकता आपसी सम्मान, कानून के समक्ष समानता और इस भरोसे पर टिकी है कि हर नागरिक, चाहे उसका धर्म या पहचान कुछ भी हो, सम्मान और बिना भय के जीवन जी सके।
--आईएएनएस
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