आरबीआई के ब्याज दर में कटौती से खपत और विकास को मिलेगा बढ़ावा : बैंकर
नई दिल्ली, 5 दिसंबर (आईएएनएस)। बैंकर्स ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से रेपो रेट में कटौती का फैसला कम महंगाई से पैदा हुए मॉनेटरी स्पेस का इस्तेमाल कर उपभोग को बढ़ावा देने और ग्रोथ साइकल को मजबूत करने के लिए लिया गया है।
एचडीएफसी बैंक की प्रिंसिपल इकोनॉमिस्ट साक्षी गुप्ता ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ के 8 प्रतिशत से अधिक रहने से उम्मीदों के अनुरूप ब्याज दरों में कटौती दर्ज की गई। लेकिन निर्यात पर बाहरी प्रतिकूल प्रभावों का जोखिम अभी भी बना हुआ है।
उन्होंने आगे कहा कि त्योहारी सीजन में खपत की सस्टेनेबिलिटी अनिश्चित बनी हुई है और इसलिए ब्याज दरों में कटौती उपभोग और विकास को एक काउंटर-साइक्लिकल बढ़ावा देती है।
एचडीएफसी बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान 7.3 प्रतिशत और वित्त वर्ष 27 के लिए 6.5 प्रतिशत लगाया था। इसके अलावा, चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 2 प्रतिशत और वित्त वर्ष 27 के लिए 4 प्रतिशत लगाया था।
बैंक की ओर से कहा गया था कि मुद्रास्फीति दर वर्ष के मध्य तक 4 प्रतिशत से नीचे रहेगी, जिससे आगामी तिमाहियों में वृद्धि दर में गिरावट आती है तो ब्याज दर में कटौती की गुंजाइश बनी रहेगी।
उन्होंने आगे कहा कि अगर आर्थिक गति जारी रहती है और साथ ही अनुकूल व्यापार समझौते की घोषणा होती है तो यह रेट कट साइकल का अंत हो सकता है।
इंडसइंड बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ राजीव आनंद ने भी मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान को दोहराया और कहा कि रेपो दर में कटौती ने नियम-आधारित मॉनेटरी फ्रेमवर्क को दोहराया है।
उन्होंने कहा, "बॉन्ड खरीद और एफएक्स स्वैप के माध्यम से लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपए का ड्यूरेबल लिक्विडिटी इंफ्यूजन बाजार दरों के माध्यम से विशेष रूप से सॉवरेन बॉन्ड बाजार में पॉलिसी ट्रांसमिशन को सपोर्ट करेगी।"
फेडरल बैंक के ग्रुप प्रेसिडेंट और ट्रेजरी हेड लक्ष्मणन वी. ने कहा, "लॉन्ग टर्म स्वैप और ओएमओ के साथ-साथ ब्याज दरों में कटौती से न केवल लिक्विडिटी का वादा बरकरार रहेगा, बल्कि करेंसी भी सापेक्षिक रूप से बैलेंस्ड रहेगी। ऐसा प्रतीत होता है कि मार्केट ने सभी काउंट पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दर्ज करवाई है।"
--आईएएनएस
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