रेपो रेट में कटौती के बाद होम लोन रेट्स कोरोना महामारी के समय के स्तर तक कम होने की उम्मीद
नई दिल्ली, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक के रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती के निर्णय से हाउसिंग डिमांड को बढ़ावा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। होम लोन रेट्स के कोरोना महामारी के दौरान के स्तर तक कम हो सकते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स का दावा है कि उधारकर्ताओं को होम लोन के इंटरेस्ट रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती का फायदा मिल सकता है। वर्तमान में कई पब्लिक सेक्टर बैंक 7.35 प्रतिशत की दर पर होम लोन ऑफर कर रहे हैं, जिसके आरबीआई के फैसले के बाद 7.1 प्रतिशत होने की उम्मीद की जा रही है। इनमें यूनियन बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ महाराष्ट्र शामिल हैं।
एनालिस्ट के अनुसार, 15 वर्षों की अवधि के लिए 1 करोड़ रुपए के होम लोन पर 0.25 प्रतिशत की कटौती के बाद हर महीने की ईएमआई 1440 रुपए तक कम हो जाएगी।
बैंकर्स का कहना है कि नए लोन का रेट 7.1 प्रतिशत होगा इसलिए ऋणदाताओं को डिपॉजिट रेट्स में भारी कटौती करनी होगी याबेंचमार्क पर ब्याज दरों में संशोधन करना होगा। इससे नए उधारकर्ताओं को मौजूदा फ्लोटिंग-रेट ग्राहकों की तुलना में अधिक भुगतान करना पड़ेगा।
जब तक जमा दरों में कमी नहीं आती तब तक बैंकों के नेट इंटरेस्ट मार्जिन में कमी आने की संभावना है, जबकि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को लोअर फंडिंग कॉस्ट से तत्काल लाभ मिलने की संभावना है।
एनालिस्ट का कहना है कि आरबीआई का न्यूट्रल स्टांस और इसका ओपन मार्केट ऑपरेशन्स परचेस सिस्टम में पर्याप्त लिक्विडिटी को बनाए रखेंगे और ब्याज दरों में कटौती के फायदे को ग्राहकों तक पहुंचाने में मददगार होंगे।
आरबीआई ने 1 लाख करोड़ रुपए के ओपन मार्केट ऑपरेशन्स परचेस और 5 अरब डॉलर के 3-ईयर यूएसडी/आईएनआर खरीद-बिक्री स्वैप की योजना को पेश किया, जिससे लगभग 1.45 लाख करोड़ रुपए की लिक्विडिटी आने की उम्मीद है।
मौद्रिक नीति निर्णयों की घोषणा करते हुए आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि एमपीसी ने इकोनॉमी में विकास को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों में कटौती के लिए सर्वसम्मति से मतदान किया।
--आईएएनएस
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