तमिलनाडु स्कूल हादसा: भाजपा ने एनसीएससी जांच की मांग की, जवाबदेही तय करने पर जोर
चेन्नई, 17 दिसंबर (आईएएनएस)। तमिलनाडु भाजपा ने तिरुवल्लूर जिले के एक सरकारी स्कूल में दीवार गिरने से अनुसूचित जाति समुदाय के कक्षा 7 के छात्र की मौत के मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) से स्वतः संज्ञान लेकर जांच करने की मांग की है। पार्टी ने इस घटना के लिए राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग पर घोर लापरवाही का आरोप लगाया है।
भाजपा तमिलनाडु के प्रवक्ता ए.एन.एस. प्रसाद ने एक बयान में कहा कि 12 वर्षीय एस. मोहित की मौत संविधान के अनुच्छेद 21 का “गंभीर उल्लंघन” है और यह डीएमके सरकार की आपराधिक कर्तव्यहीनता को दर्शाता है।
पार्टी का आरोप है कि बार-बार चेतावनियों और मीडिया रिपोर्टों के बावजूद स्कूल भवनों के रखरखाव में लापरवाही बरती गई, जिसके चलते यह हादसा हुआ। भाजपा ने पुलिस से जिला प्रशासन और स्कूल शिक्षा विभाग के उन अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करने की मांग की है, जो स्कूल परिसर के निरीक्षण और रखरखाव के लिए जिम्मेदार थे। इसमें गैरइरादतन हत्या जैसी धाराएं लगाने की भी मांग की गई है।
भाजपा ने पीड़ित की सामाजिक पृष्ठभूमि और संवेदनशीलता का हवाला देते हुए एनसीएससी से स्वतंत्र जांच कर कड़ी कार्रवाई करने का आग्रह किया है। पार्टी ने स्कूल शिक्षा मंत्री अनबिल महेश पोय्यामोझी से नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देने, पीड़ित परिवार से व्यक्तिगत रूप से मिलने, औपचारिक माफी मांगने, एक करोड़ रुपये मुआवजा देने और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की है।
प्रशासनिक विफलताओं का उल्लेख करते हुए भाजपा ने इस महीने चेंगलपट्टू के अंजूर सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में दीवार गिरने, 2024 में पलानी के एक सरकारी प्राथमिक स्कूल में कक्षा की बालकनी दीवार ढहने और 2021 में तिरुनेलवेली में स्कूल के शौचालय की दीवार गिरने से तीन छात्रों की मौत जैसी घटनाओं का हवाला दिया।
पार्टी ने स्कूल शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों पर असुरक्षित स्कूल ढांचे, पेयजल व स्वच्छता की कमी और ग्रामीण क्षेत्रों में जर्जर इमारतों से जुड़ी रिपोर्टों को दबाने या कमतर दिखाने का भी आरोप लगाया। साथ ही, स्कूल शिक्षा निदेशक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की गई।
मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन से हस्तक्षेप की अपील करते हुए भाजपा ने तत्काल प्रशासनिक सुधार, स्कूल ढांचे के लिए अधिक धन आवंटन और सभी सरकारी स्कूलों का सख्त निरीक्षण सुनिश्चित करने की मांग की। इसके अलावा, स्कूलों में बढ़ती अनुशासनहीनता और हिंसा की चिंताओं को देखते हुए नैतिक और मूल्य शिक्षा शुरू करने की भी मांग की गई।
--आईएएनएस
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