हीटवेव के प्रभाव से विश्वभर के बच्चों की शिक्षा पर संकट, 1.5 साल की पढ़ाई हो सकती है प्रभावित रिपोर्ट
एक नई वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में बढ़ती गर्मी और हीटवेव का प्रभाव न केवल स्वास्थ्य पर पड़ रहा है, बल्कि यह बच्चों की शिक्षा पर भी गंभीर असर डाल रहा है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जो बच्चे अत्यधिक गर्मी और हीटवेव की चपेट में आ रहे हैं, वे औसतन 1.5 साल तक की स्कूली शिक्षा खो सकते हैं। यह रिपोर्ट यूनिवर्सिटी ऑफ सास्केचवान (University of Saskatchewan), यूनेस्को और GEM–MECCE टीम की साझेदारी में प्रकाशित की गई है।
हीटवेव का शिक्षा पर सीधा असर
रिपोर्ट में बताया गया है कि "तीव्र हीटवेव" — यानी वह स्थिति जब तापमान औसत से दो मानक विचलन (standard deviation) अधिक हो — बच्चों के सीखने की क्षमता और स्कूली उपस्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित करती है। इसका प्रभाव केवल वर्तमान समय तक सीमित नहीं होता, बल्कि बच्चों के पूरे शैक्षणिक जीवन पर असर डाल सकता है।
गर्मी के चलते स्कूलों में उपस्थिति घट जाती है, परीक्षा में प्रदर्शन कमजोर होता है और पढ़ाई की निरंतरता बाधित होती है। अमेरिका के कुछ शोधों में यह पाया गया कि जिन स्कूलों में एयर कंडीशनिंग की सुविधा नहीं थी, वहां 1°C तापमान बढ़ने पर छात्रों के परीक्षा परिणामों में लगभग 1% तक की गिरावट आई। साथ ही, नस्लीय और सामाजिक असमानताएं और अधिक गहराईं।
विकासशील देशों में संकट अधिक गहरा
रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 33 देश, जिनमें करीब 10 करोड़ बच्चे रहते हैं, उच्च जलवायु जोखिम वाले देशों की श्रेणी में आते हैं। इन देशों में शिक्षा व्यवस्था पहले से ही संसाधनों की कमी से जूझ रही है और अब जलवायु परिवर्तन इसे और बिगाड़ रहा है। दक्षिण एशिया, सब-सहारा अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के देश इस प्रभाव से सबसे अधिक प्रभावित हैं।
बांग्लादेश, ब्राज़ील और कुछ अफ्रीकी देशों में हर साल लगभग 1% सीखने की कमी पाई गई है, जो सीधे-सीधे जलवायु कारकों से जुड़ी हुई है।
स्कूलों की तैयारी और नीतिगत बदलाव की ज़रूरत
रिपोर्ट इस बात पर ज़ोर देती है कि सरकारों और शिक्षा व्यवस्थाओं को अब जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए अपनी नीतियों में बदलाव लाना होगा। स्कूलों में बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर, ताप सहनशील निर्माण, आपदा प्रबंधन योजनाएं और हिटवेव अलर्ट सिस्टम जैसी व्यवस्थाओं की तत्काल ज़रूरत है।
इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में जब बाढ़ की स्थिति बनी, तब वहां के स्कूलों ने स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOPs) को अपनाकर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। 81% स्कूलों ने बताया कि उनकी तैयारियां प्रभावी रहीं।