गोमुखासन से जलनेति तक, योग से मिलेगी साइनसाइटिस में राहत
नई दिल्ली, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। सर्दियों में साइनसाइटिस की समस्या बहुत लोगों को परेशान करती है। अच्छी खबर यह है कि दवाइयों के साथ-साथ योग और प्राणायाम से भी इसमें काफी राहत मिल सकती है।
साइनसाइटिस की समस्या काफी तकलीफ भरी होती है। इसमें नाक के आसपास की हड्डियों में मौजूद खाली जगहों (साइनस) में सूजन या संक्रमण होने से चेहरा भारी लगता है, सिर दर्द करता है, नाक बंद रहती है और बलगम जमा हो जाता है। यह वायरस, बैक्टीरिया या एलर्जी की वजह से होता है।
मोरारजी देसाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ योगा साइनसाइटिस की समस्या से निजात पाने के लिए कुछ खास आसन, प्राणायाम और शुद्धिक्रियाएं सुझाता है। ये अभ्यास साइनस को खोलते हैं, बलगम निकालते हैं और सूजन कम करने में सहायक होते हैं।
संस्थान के सुझाए मुख्य अभ्यास में जलनेति क्रिया, भ्रामरी प्राणायाम, गोमुखासन के साथ ही अन्य प्राणायाम और योगासन शामिल हैं।
जलनेति में गुनगुने नमक के पानी को एक नथुने से डालकर दूसरे से निकालें। इससे साइनस की गंदगी और बलगम साफ होता है। इसे हफ्ते में 2-3 बार करना चाहिए। दूसरा है भ्रामरी प्राणायाम। आंख-कान बंद करके भौंरे की तरह गुनगुनाएं। इससे साइनस में कंपन पैदा होता है और जमा बलगम ढीला पड़ता है। कपालभाति भी कारगर है। तेज-तेज सांस छोड़ने का ये अभ्यास साइनस को खोलता है और ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाता है।
नाड़ी शोधन प्राणायाम में बारी-बारी से दोनों नथुनों से सांस लेना-छोड़ना भी कारगर है। इससे नाक की दोनों नलियां साफ और संतुलित होती हैं।
सूत्रनेति भी साइनसाइटिस में राहत देता है। रबर की पतली नली (कैथेटर) को नाक से गले तक ले जाकर साइनस की गहरी सफाई की जाती है।
सूर्यभेदन प्राणायाम भी साइनसाइटिस की समस्या को दूर करने में सहायक है। इसमें सिर्फ दाहिने नथुने से सांस लेना और बाएं से छोड़ना रहता है। सर्दी-जुकाम और साइनस में बहुत फायदा देता है।
साइनसाइटिस की समस्या में राहत के लिए कुछ आसन भी लाभदायक हैं। आसन पर नजर डालें तो इसमें पश्चिमोत्तानासन, गोमुखासन, उत्तान मंडूकासन और शवासन शामिल हैं। ये आसन गर्दन, कंधे और चेहरे की मांसपेशियों को आराम देते हैं और साइनस पर दबाव कम करते हैं।
एक्सपर्ट बताते हैं कि रोजाना कुछ मिनटों के अभ्यास से नाक खुलने लगती है, सिरदर्द कम होता है और चेहरा हल्का महसूस होता है। किसी योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही इन क्रियाओं खासकर जलनेति और सूत्रनेति का अभ्यास करना चाहिए।
--आईएएनएस
एमटी/एएस