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लड़की ने मनाया अपने पहले पिरीयडस का जश्न, सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल — लोगों ने कहा ‘ऐसी सोच ही समाज बदलती है’

 

हमारे देश में आज भी कई जगहों पर मासिक धर्म (Periods) को लेकर बातें करना एक टैबू माना जाता है। कई राज्यों में लोग इस विषय पर खुलकर बात करने से कतराते हैं और इसे अब भी सामाजिक रूप से नकारात्मक नजरिए से देखा जाता है। लेकिन समाज के कुछ हिस्सों में अब सोच बदल रही है — और इस बदलाव की एक झलक सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक खूबसूरत वीडियो में देखने को मिली है।

इस वीडियो में एक दक्षिण भारतीय परिवार अपनी बेटी के पहले मासिक धर्म (पहली बार पीरियड्स आने) पर खुलकर जश्न मनाते नजर आ रहे हैं। वीडियो में दिखाया गया है कि घर को खूबसूरती से सजाया गया है, लड़की को नए कपड़े पहनाए गए हैं और परिवार के सभी सदस्य मुस्कुराते हुए उसे आशीर्वाद दे रहे हैं। माहौल में खुशी और भावुकता दोनों है।

लड़की ने यह वीडियो खुद सोशल मीडिया पर साझा किया और लिखा —

“यह मेरे जीवन का नया अध्याय है। मैं खुश हूं कि मेरा परिवार इसे एक जश्न के रूप में मना रहा है, न कि शर्म की बात समझकर छिपा रहा है।”

वीडियो कुछ ही घंटों में वायरल हो गया और अब तक 14 मिलियन से ज्यादा व्यूज़ प्राप्त कर चुका है। हजारों लोगों ने इस वीडियो पर कमेंट कर परिवार की खुले विचारों वाली सोच की सराहना की है। एक यूज़र ने लिखा — “काश हर परिवार अपनी बेटियों के लिए ऐसा सोच रखे।” वहीं, एक अन्य ने कहा — “यह वीडियो समाज के लिए एक संदेश है कि मासिक धर्म कोई शर्म की बात नहीं, बल्कि जीवन का स्वाभाविक और सुंदर हिस्सा है।”

वीडियो में लड़की के परिवार ने उसे फूल, मिठाइयां और उपहार देकर आशीर्वाद दिया। कुछ परंपराओं में दक्षिण भारत में इसे “रितु कला संस्कार” या “पहली रजस्वला पूजा” कहा जाता है। यह रस्म उस बदलाव का प्रतीक मानी जाती है जब एक लड़की बालिका से किशोरी बनती है। यह न सिर्फ जैविक, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी एक महत्वपूर्ण अवसर माना जाता है।

सोशल मीडिया पर इस वीडियो ने एक बड़ी बहस को जन्म दिया है। जहां एक ओर लोग इसे महिलाओं के सम्मान और समानता की दिशा में सकारात्मक कदम बता रहे हैं, वहीं कुछ यूजर्स का कहना है कि समाज के बाकी हिस्सों को भी इससे सीख लेनी चाहिए।

महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस वीडियो की तारीफ करते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं यह साबित करती हैं कि भारत धीरे-धीरे बदलाव की दिशा में आगे बढ़ रहा है। मासिक धर्म से जुड़ी झिझक को दूर करना और इसे सामान्य रूप से स्वीकार करना महिलाओं के आत्मसम्मान के लिए बेहद जरूरी है।

यह वीडियो सिर्फ एक परिवार की कहानी नहीं, बल्कि एक नए भारत की झलक है — जहां बेटियों के शरीर और भावनाओं को सम्मान के साथ देखा जा रहा है।

सोशल मीडिया पर एक यूज़र ने बिल्कुल सही लिखा —

“जिस दिन हर लड़की के पहले पीरियड को ऐसे मनाया जाएगा, उस दिन समाज सच में प्रगति करेगा।”