LIC एजेंट बनकर घुसे, चाकू-गन दिखाकर लूटा! 1500 KM भागे लेकिन फिर भी आ गए पुलिस की गिरफ्त में
मध्यप्रदेश पुलिस की साइबर और फील्ड यूनिट ने ऑपरेशन त्रिनेत्रम के तहत बड़ी सफलता हासिल करते हुए देवास में दिनदहाड़े हुई लूट की वारदात का खुलासा कर दिया है। देवास जिले के औद्योगिक थाना क्षेत्र की शिखरजी धाम कॉलोनी में 11 जुलाई को हुई इस लूट की घटना में 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जो गोवा, जबलपुर और इंदौर तक करीब 1500 किलोमीटर पीछा कर पकड़े गए। पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से करीब 6 लाख रुपए का लूटा गया सामान बरामद किया है, जिसमें दो सोने के मंगलसूत्र, सोने के टॉप्स, और एक Realme 3 Pro मोबाइल फोन शामिल है।
लूट की वारदात का पूरा घटनाक्रम
फरियादी हर्षराज सिंह चौहान के अनुसार, 11 जुलाई की दोपहर जब वे घर पर अकेले थे, तब तीन युवक उनके घर पहुंचे। दो युवकों ने खुद को इंश्योरेंस पॉलिसी एजेंट बताया और पानी मांगा। जैसे ही उन्होंने दरवाजा खोला, युवकों ने चाकू और एयरगन दिखाकर डराया और जबरन घर में घुसकर लूट की वारदात को अंजाम दिया। आरोपियों ने अलमारी से गहने और मोबाइल फोन लूटा और बाइक से फरार हो गए।
तकनीक और ट्रैकिंग से पकड़ा गया लुटेरा गैंग
घटना की सूचना मिलते ही थाना प्रभारी शशिकांत चौरसिया तत्काल मौके पर पहुंचे और साइबर व तकनीकी टीम की सहायता से 500 से अधिक CCTV फुटेज खंगाले। इसके बाद “त्रिनेत्रम व्हाट्सएप कम्युनिटी” के जरिए संदिग्धों की तस्वीरें शेयर की गईं, जिससे पहचान की प्रक्रिया तेज़ हुई। एक मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने नवीन सोनी को हिरासत में लिया। पूछताछ में उसने अन्य दो आरोपियों इमरान शाह और नितेश योगी के नाम उजागर किए। पूछताछ में सामने आया कि इमरान ने लूट में इस्तेमाल हथियारों की व्यवस्था की थी।
लूट का सोना गिरवी और बिक्री की साजिश
लूट के तुरंत बाद आरोपियों ने एक मंगलसूत्र IIFL गोल्ड लोन कंपनी में गिरवी रख दिया। इस मामले में कंपनी के मैनेजर शिवम खत्री को भी गिरफ्तार किया गया है। शेष गहने इंदौर के सराफा बाजार में शम्मी सोनी को बेचे गए, जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इस प्रकार, लूट की साजिश में शामिल सभी छह आरोपी हिरासत में हैं — जिसमें योजना बनाने वाले, साथ देने वाले, गहना गिरवी रखने वाला बैंक कर्मी और गहना खरीदने वाला सराफा व्यापारी शामिल हैं।
SP ने टीम की सराहना की
देवास एसपी पुनीत गेहलोद ने प्रेस को बताया, “ऑपरेशन त्रिनेत्रम के तहत हमारी टीम ने बेहद प्रोफेशनल और योजनाबद्ध तरीके से इस केस को महज 11 दिन में सुलझा लिया। जनसहयोग, CCTV निगरानी और तकनीकी विश्लेषण ने बड़ी भूमिका निभाई।”