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दिल्ली: निजी स्कूल फीस निर्धारण में पारदर्शिता की नई व्यवस्था, दो समितियों के गठन से लागू हुआ कानून

 

नई दिल्ली, 24 दिसंबर (आईएएनएस)। दिल्ली में निजी स्कूलों की फीस निर्धारण प्रक्रिया को पारदर्शी, जवाबदेह और समयबद्ध बनाने की दिशा में दिल्ली सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि ‘दिल्ली स्कूल एजुकेशन (ट्रांसपेरेंसी इन फिक्सेशन एंड रेगुलेशन ऑफ फीस) एक्ट, 2025’ और इसके अंतर्गत बनाए गए नियमों को शैक्षणिक सत्र 2025-26 से प्रभावी रूप से लागू किया जा रहा है।

इस कानून के सफल क्रियान्वयन के लिए स्कूल स्तर और जिला स्तर पर दो महत्वपूर्ण समितियों, स्कूल लेवल फीस रेगुलेशन कमेटी (एसएलएफआरसी) और डिस्ट्रिक्ट लेवल फीस अपीलेट कमेटी (डीएलएफआरसी) का गठन अनिवार्य किया गया है।

शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने दिल्ली सचिवालय में आयोजित प्रेस वार्ता में बताया कि यह कानून वर्ष 1973 से लागू दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट को पूरक बनाते हुए तैयार किया गया है, ताकि निजी स्कूलों की फीस निर्धारण प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके और अभिभावकों के हितों की रक्षा हो सके।

उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कानून प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शिक्षा मिशन व मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में सरकार के अल्प कार्यकाल में व्यापक विचार-विमर्श के बाद लागू किया गया है। शिक्षा मंत्री के अनुसार हर निजी स्कूल में एसएलएफआरसी का गठन 10 जनवरी 2026 तक अनिवार्य रूप से किया जाना है। इस समिति में स्कूल प्रबंधन का अध्यक्ष, विद्यालय के प्रधानाचार्य, तीन शिक्षक, पांच अभिभावक तथा शिक्षा निदेशालय का एक प्रतिनिधि शामिल होगा। समिति का गठन लॉटरी प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा, जिसमें पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए पर्यवेक्षक की नियुक्ति भी की गई है।

उन्होंने बताया कि एसएलएफआरसी का मुख्य दायित्व स्कूल द्वारा प्रस्तावित फीस संरचना की जांच करना और 30 दिनों के भीतर उस पर निर्णय लेना होगा। पहले जहां स्कूलों को फीस प्रस्ताव एक अप्रैल तक प्रस्तुत करने की व्यवस्था थी, वहीं अब नए कानून के तहत 25 जनवरी 2026 तक फीस प्रस्ताव एसएलएफआरसी के समक्ष प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। यदि समिति निर्धारित समय-सीमा में निर्णय नहीं लेती है, तो मामला स्वतः जिला स्तर की अपीलीय समिति डीएलएफआरसी के पास चला जाएगा।

उन्होंने यह भी जानकारी दी कि डीएलएफआरसी को फीस से संबंधित विवादों के निपटारे और अपीलों पर निर्णय का अधिकार दिया गया है, जिससे अभिभावकों को एक संस्थागत और निष्पक्ष मंच उपलब्ध होगा। शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह व्यवस्था इसलिए बनाई गई है ताकि किसी भी स्तर पर मनमानी की गुंजाइश न रहे और हर निर्णय नियमों के दायरे में हो।

शिक्षा मंत्री सूद ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि दिल्ली सरकार निजी और सरकारी स्कूलों के बीच टकराव की राजनीति नहीं करती, बल्कि समाधान की नीति पर कार्य कर रही है। दिल्ली में लगभग 37-38 लाख बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं और सरकार के लिए हर बच्चा समान रूप से महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यह कानून न तो स्कूलों के खिलाफ है और न ही शिक्षकों के विरुद्ध, बल्कि इसका उद्देश्य एक संतुलित, पारदर्शी और भरोसेमंद प्रणाली विकसित करना है।

शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि नए कानून और समितियों के गठन से फीस निर्धारण को लेकर वर्षों से उठते सवालों जैसे ‘इस साल फीस का क्या होगा’ का स्थायी समाधान निकलेगा। सरकार का संकल्प है कि अभिभावकों का शोषण किसी भी सूरत में नहीं होने दिया जाएगा और स्कूलों को भी नियमबद्ध ढंग से संचालन का स्पष्ट मार्ग मिलेगा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि एसएलएफआरसी और डीएलएफआरसी के गठन के साथ दिल्ली में स्कूल फीस व्यवस्था एक नए युग में प्रवेश कर रही है, जहां पारदर्शिता, सहभागिता और समयबद्ध निर्णय प्रक्रिया को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।

--आईएएनएस

डीकेपी/