दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने शहरी रोजगार गारंटी की मांग को लेकर खुला पत्र लिखा
नई दिल्ली, 24 दिसंबर (आईएएनएस)। दिल्ली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने दिल्ली के शहरी गरीबों के लिए एक खुला पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने शहरी रोजगार की समस्या और शहरी रोजगार गारंटी अधिनियम की आवश्यकता पर जोर दिया है।
उन्होंने पत्र में कहा कि केंद्र सरकार मनरेगा जैसे अधिकार आधारित ग्रामीण रोजगार कानूनों को समाप्त करने की दिशा में बढ़ रही है, जबकि शहरी गरीबों के लिए कोई ठोस वैकल्पिक योजना नहीं बनाई जा रही है। इसके साथ ही सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में बदलाव बिना व्यापक परामर्श किए जा रहे हैं और राशन, पेंशन जैसी बुनियादी सुविधाओं से भी बड़ी आबादी बाहर रह जाती है। इसलिए यह जरूरी है कि शहरी गरीबों की आवाज राष्ट्रीय रोजगार विमर्श का हिस्सा बने और दिल्ली देशव्यापी मजदूर संघर्ष में मजबूती से खड़ी हो।
उन्होंने पत्र में कहा कि दिल्ली देश की राजधानी और विकास के अवसरों का प्रतीक है। लेकिन, पिछले दशक में लाखों लोग रोजगार की अनिश्चितता, महंगाई, असुरक्षित काम और अपमानजनक परिस्थितियों में जीवन जीने को मजबूर हैं। शहरी बेरोजगारी और मौसमी बेरोजगारी अब सबसे गंभीर सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों में शामिल हो गई है। तेज शहरीकरण, ग्रामीण-शहरी पलायन, बढ़ती जीवन-यापन लागत, प्रदूषण के कारण उद्योगों का बंद होना, उच्च बिजली दरें और ठेकेदारी व्यवस्था का बोझ सबसे अधिक निर्माण श्रमिकों, दिहाड़ी मजदूरों, असंगठित क्षेत्र के कामगारों, महिलाओं, युवाओं, स्ट्रीट वेंडर्स और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले परिवारों पर पड़ा है।
उन्होंने कहा कि शहरी रोजगार गारंटी योजना का मतलब है कि सरकार काम देने की जिम्मेदारी ले, साल में तय दिनों का स्थानीय काम स्थानीय लोगों को मिले, समय पर भुगतान सीधे बैंक खाते में हो, और काम न मिलने की स्थिति में बेरोजगारी भत्ता दिया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कोई नई या अव्यावहारिक योजना नहीं है। कई राज्यों में इस तरह की योजनाएं लागू की जा चुकी हैं, जैसे राजस्थान की इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना और केरल की अय्यंकाली योजना।
पत्र में कहा गया कि शहरी रोजगार गारंटी से महिलाओं की भागीदारी बढ़ती है, बेरोजगारी और गरीबी कम होती है, अपराध और असुरक्षा घटती है, शहर अधिक स्वच्छ और सुरक्षित बनते हैं और स्थानीय बाजार में मांग बढ़ती है। दिल्ली की अर्थव्यवस्था लाखों करोड़ की है और शहरी रोजगार पर उचित निवेश जीएसडीपी के एक प्रतिशत से भी कम होगा, जबकि इससे सामाजिक स्थिरता और सुरक्षा में सुधार होगा। यादव ने कहा कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी होने के कारण केंद्र सरकार इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू कर यमुना सफाई, प्रदूषण नियंत्रण और हरित कार्यों को रोजगार से जोड़ सकती है।
देवेंद्र यादव ने पत्र में जोर देकर कहा कि शहरी रोजगार गारंटी कोई दान नहीं बल्कि नागरिक का अधिकार है, जो रोजगार के साथ गरिमा, समानता और सामाजिक स्थिरता सुनिश्चित करेगी। उन्होंने सभी शहरी गरीब और साधारण नागरिकों से एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद करने की अपील की, ताकि दिल्ली एक न्यायपूर्ण, समावेशी और इंसानियत भरी राजधानी बन सके।
--आईएएनएस
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