दिल्ली: आप नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने पर शिकायतकर्ता ने कहा, 'धर्म का मजाक बनाना गलत'
नई दिल्ली, 25 दिसंबर (आईएएनएस)। दिल्ली पुलिस ने धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज, संजीव झा और आदिल अहमद खान के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। दिल्ली पुलिस ने यह कार्रवाई अधिवक्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता खुशबू जॉर्ज की शिकायत पर की है।
दिल्ली पुलिस की इस कार्रवाई के बाद शिकायतकर्ता खुशबू जॉर्ज का बयान सामने आया है। खुशबू जॉर्ज ने कहा कि मैं आप सभी को यह सूचित करना चाहती हूं कि जिस मुद्दे को लेकर मैंने आवाज उठाई थी, उस पर दिल्ली पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज कर ली गई है।
यह एफआईआर दिल्ली आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज, विधायक संजीव झा और आदिल अहमद खान के विरुद्ध दर्ज की गई है, जो सांता क्लॉज जैसे ईसाई समुदाय के पवित्र प्रतीक की मॉकरी से जुड़ा मामला है।
उन्होंने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया में निष्पक्ष कार्रवाई करने के लिए मैं दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस का तहे दिल से धन्यवाद करती हूं। यह कार्रवाई यह संदेश देती है कि हमारे देश में हर धर्म की भावनाओं का सम्मान जरूरी है और कानून सभी के लिए समान है।
उन्होंने कहा कि यह लड़ाई किसी राजनीतिक दल के खिलाफ नहीं थी, बल्कि सम्मान, शांति और सामाजिक सौहार्द के लिए थी। आगे भी हम यही चाहते हैं कि कोई भी राजनीतिक पार्टी किसी भी धर्म को मजाक या राजनीति का माध्यम न बनाए। आप सभी के सहयोग और समर्थन के लिए धन्यवाद।
शिकायत के मुताबिक, 17 और 18 दिसंबर को इन नेताओं ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट्स से एक वीडियो पोस्ट किया। यह वीडियो कनॉट प्लेस में किए गए एक राजनीतिक स्किट से जुड़ा है।
वीडियो में ईसाई समुदाय के लिए एक पवित्र और सम्मानित धार्मिक-सांस्कृतिक प्रतीक सांता क्लॉज को मजाकिया और अपमानजनक तरीके से दिखाया गया है।
वीडियो में सांता क्लॉज को सड़क पर बेहोश होकर गिरते हुए दिखाया गया और उन्हें राजनीतिक संदेश देने के लिए एक प्रॉप (साधन) की तरह इस्तेमाल किया गया।
इतना ही नहीं, वीडियो में नकली सीपीआर करते हुए सांता क्लॉज का मजाक उड़ाया गया, जिससे सेंट निकोलस और क्रिसमस पर्व की पवित्रता को ठेस पहुंची।
शिकायत में कहा गया है कि यह सब जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण तरीके से किया गया, ताकि ईसाई समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत किया जा सके।
एडवेंट के अंतिम दिनों में धार्मिक प्रतीक का इस तरह राजनीतिक इस्तेमाल करना ईसाई धर्म का अपमान माना गया है।
--आईएएनएस
एमएस/डीकेपी