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‘मुर्दे’ खरीद रहे गोलियां, अपराधी दनादन चला रहे… जानिए क्या है कारतूस स्कैम की कहानी

 

बिहार में बीते 15 दिनों में लगभग 50 हत्याएं हो चुकी हैं। इन वारदातों में अधिकतर लोगों को दिनदहाड़े गोलियों से भून दिया गया। कभी पटना के नामी हॉस्पिटल के सामने तो कभी राह चलते लोगों को गोली मार दी गई। इन घटनाओं के पीछे एक सवाल तेजी से उभरा — इतनी गोलियां आखिर आ कहां से रही हैं? इस सवाल का जवाब चौंकाने वाला निकला, जब पूर्णिया जिले के एक गन हाउस से जुड़े तस्करी रैकेट का खुलासा हुआ।

गन हाउस चला रहा था 'मुर्दों' के नाम पर कारोबार

पूर्णिया जिले के कलाभवन रोड स्थित विशाल गन हाउस पर चल रही जांच ने पुलिस को हैरान कर दिया। यहां सरकारी लाइसेंस पर चल रहे इस गन हाउस से मृत लोगों के नाम पर कारतूस बेचे जा रहे थे। रजिस्टर में मृतक के नाम की एंट्री होती थी, उनके फर्जी हस्ताक्षर किए जाते थे और गोलियां किसी और को दे दी जाती थीं। फिर इन कारतूसों की तस्करी कर अपराधियों तक पहुंचाया जा रहा था, जो शायद इन्हीं गोलियों से हत्या की वारदातों को अंजाम दे रहे थे।

हाजीपुर से कारतूस तस्कर पकड़े गए, खुली परतें

इस पूरे रैकेट का खुलासा तब हुआ जब पटना STF ने हाजीपुर रेलवे स्टेशन से पांच कारतूस तस्करों को गिरफ्तार किया। पूछताछ में इन तस्करों ने बताया कि वे पूर्णिया के विशाल गन हाउस से गोलियां खरीदकर अपराधियों को सप्लाई करने आए थे। इसके बाद STF और पूर्णिया पुलिस ने संयुक्त रूप से गन हाउस पर छापा मारा और रजिस्टर की जांच में चौंकाने वाली जानकारी हाथ लगी।

मुर्दे के लाइसेंस पर बार-बार खरीदे कारतूस

पुलिस जांच में पता चला कि खगड़िया जिले के कुम्हरचकी गांव निवासी जगदीश प्रसाद निराला के नाम पर रजिस्टर्ड हथियार लाइसेंस का उपयोग किया जा रहा था। जबकि इस व्यक्ति की मृत्यु 2024 में हो चुकी थी। फिर भी उसी के नाम पर जून के 27, 28 और 29 तारीख को कुल 90 कारतूस खरीदे गए। तस्करों को इन तीन दिनों में तीन बार कारतूस दिए गए थे।

मोबाइल नंबर और पहचान भी फर्जी

जब पुलिस ने गन हाउस में दर्ज मोबाइल नंबरों की जांच की तो वे भी फर्जी निकले। एक नंबर तो झारखंड के एक मजदूर के नाम पर पंजीकृत था। ऐसे में स्पष्ट हो गया कि व्यवस्थित तरीके से फर्जीवाड़ा करके हथियारों की आपूर्ति की जा रही थी।

गन हाउस हुआ सील, संचालक पर शिकंजा

मंगलवार को मजिस्ट्रेट की निगरानी में विशाल गन हाउस को सील कर दिया गया। SP स्वीटी सहरावत ने गन हाउस का लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश DM अंशुल कुमार से की है। वहीं गन हाउस के संचालक इंद्रजीत कुमार सिंह को पुलिस रिमांड पर लेने की तैयारी कर रही है, ताकि इस रैकेट में और कितने लोग शामिल हैं, इसका खुलासा हो सके।

सीमांचल में केवल तीन गन हाउस, फिर भी तस्करी!

जानकारी के अनुसार, सीमांचल क्षेत्र में केवल 3 गन हाउस हैं — एक कटिहार और दो पूर्णिया में। किशनगंज में तो एक भी नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब कारतूस की खरीद-बिक्री पर सख्ती है, तो इतनी बड़ी मात्रा में गोलियां अपराधियों तक कैसे पहुंच रही हैं?