वंदे मातरम इस्लाम के खिलाफ नहीं, इसका न करें विरोध: हुसैन दलवई
मुंबई, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। लोकसभा में वंदे मातरम के 150वीं सालगिरह पर 10 घंटे की चर्चा को लेकर कांग्रेस के नेता हुसैन दलवई ने भारत के मुसलमानों से हाथ जोड़कर अपील की है कि वे वंदे मातरम गीत का विरोध न करें, क्योंकि यह इस्लाम के खिलाफ नहीं है।
मुंबई में आईएएनएस से बातचीत के दौरान कांग्रेस नेता ने कहा कि सनातन और हिंदू धर्म के बीच कोई संबंध नहीं है। सनातन धर्म का मतलब ब्राह्मणवादी विचारधारा है, जबकि हिंदू धर्म एक उदार आस्था है। संतों के अनुसार, हिंदू धर्म सबको साथ लेकर चलने वाला धर्म है, जबकि सनातन धर्म जाति व्यवस्था को बढ़ावा देता है और मनुवादी सोच को दिखाता है।
उन्होंने कहा कि वंदे मातरम का पहला छंद हर स्कूल में पढ़ा जाता था। इसमें उनके लिए 'लागू' करने जैसा क्या है? अब वे क्या लागू करेंगे? जब हम बच्चे थे, तब से ही स्कूलों में 'वंदे मातरम' पढ़ा जा रहा है।
हुसैन दलवई ने कहा कि मैंने एक बार विधान परिषद में यह मुद्दा उठाया था। मैंने कहा था कि वंदे मातरम का विरोध करने की कोई जरूरत नहीं है। मैं मुसलमान हूं, लेकिन मैं वंदे मातरम गाता हूं। यह मेरे धर्म के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम में कुछ छंद है, जिसे लेकर मुसलमानों का विरोध है। वंते मातरम वह गीत है, जिसे लेकर देश के न जाने कितने ही लोगों ने अंग्रेजों की लाठियां खाईं। भाजपा के लोगों को यह याद रखना जरूरी है। अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी जा रही लड़ाई के दौरान लोग वंदे मातरम बोलते थे। पंडित नेहरू से लेकर महात्मा गांधी तक ने वंदे मातरम बोला।
उन्होंने कहा कि पहला छंद किसी भी तरह से इस्लाम के खिलाफ नहीं है, लेकिन बाद के छंदों में ऐसे संदर्भ हैं जो मुसलमानों के खिलाफ बोलते हैं और सिर्फ हिंदू मान्यताओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं। आपत्ति यहीं है। बाद के तीन छंद यहां नहीं गाए जाते, सिर्फ पहले छंद को राष्ट्रगीत के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। मुसलमानों को यह समझना चाहिए, लेकिन भाजपा इस बात पर जोर दे रही है कि वंदे मातरम पूरा गाया जाना चाहिए।
--आईएएनएस
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