भक्ति, भाव और उत्सव में डूबी अयोध्या: प्रतिष्ठा द्वादशी पर मानस, कथा और ढोल-नाद से गूंजी रामनगरी
अयोध्या, 30 दिसंबर (आईएएनएस)। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र द्वारा आयोजित द्वितीय प्रतिष्ठा द्वादशी महोत्सव के दूसरे दिन अयोध्या पूरी तरह राममय हो उठी। कहीं संगीतमय श्रीरामचरितमानस का रस प्रवाह हुआ, कहीं रामकथा के माध्यम से भक्ति और दर्शन का उद्घाटन हुआ, तो कहीं ढोल-ताशों की शिवगर्जना के बीच बालक राम का अभिनंदन किया गया। अंगद टीला से लेकर श्रीराम मंदिर परिसर तक श्रद्धा, संगीत और उत्सव का अद्भुत संगम देखने को मिला।
द्वितीय प्रतिष्ठा द्वादशी महोत्सव के दूसरे दिन श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के आयोजन में रामकथा, मानस पाठ और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। सीता स्वयंवर प्रसंग से जुड़े पाठ के साथ श्रीरामचरितमानस का संगीतमय परायण हुआ, जिसमें श्रोतागण भी गायक मंडली के साथ पाठ करते नजर आए।
श्रीश्री मां आनंदमयी मानस परिवार, कानपुर की ओर से “सीता राम चरण रति मोरे” संपुट के साथ व्यास योगेश भसीन ने बालकांड के सस्वर पाठ से पूरे पंडाल को भक्ति रस में सराबोर कर दिया। चौपाइयों और दोहों के सुमधुर उच्चारण के बीच श्रोता मानस के रस में आकंठ डूबे रहे। इसके बाद स्वामी विज्ञानानंद ने अयोध्याकांड में प्रवेश कर सजीव वर्णन से श्रोताओं को विभोर किया। 23 सदस्यीय मानस पाठी दल ने शास्त्रीय और सामान्य स्वरों में क्रमबद्ध प्रस्तुति दी।
अंगद टीला मैदान में आयोजित रामकथा में व्यास पीठ से जगद्गुरु रामानुजाचार्य संत रामदिनेशाचार्य ने कहा कि बालक राम सहज और सुलभ हैं तथा राम की प्रतिष्ठा केवल निर्मल, बाल सुलभ मन में ही होती है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर निर्माण के बाद सदियों के अंतराल में अयोध्या को नया प्राण मिला है और आज पूरा विश्व राम के विचार से जुड़ने को उत्सुक है। श्रीराम कथा जीवन के अज्ञान और अंधकार को दूर करने वाली है।
उन्होंने भक्ति में प्रतिष्ठा के अहंकार से सावधान रहने का संदेश देते हुए मीरा का उदाहरण प्रस्तुत किया। “माया तेरी बहुत कठिन है राह” भजन पर पूरा पंडाल भावविभोर हो उठा। महोत्सव की भव्यता को और ऊंचाई दी महाराष्ट्र के नागपुर से आए शिवगर्जना समूह ने। करीब सौ कलाकारों ने श्रीराम मंदिर परिसर और अंगद टीला मंच पर ढोल-ताशों की गूंजती सामूहिक धुन से बालक राम का अभिनंदन किया।
लयबद्ध वादन ने मंदिर परिसर के हर कोने को ऊर्जा और उत्साह से भर दिया। श्रद्धालु स्वतः ही धुनों पर झूम उठे। द्वितीय प्रतिष्ठा द्वादशी के दूसरे दिन अयोध्या में भक्ति, संस्कृति और उत्सव का ऐसा संगम देखने को मिला, जिसने रामनगरी की आध्यात्मिक गरिमा को और भी उजागर कर दिया। कार्यक्रम में ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्र, धनंजय पाठक, डॉ. चंद्रगोपाल पांडेय सहित अनेक गणमान्य, संत, विद्वान और श्रद्धालु उपस्थित रहे।
--आईएएनएस
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