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बैंक धोखाधड़ी मामले में सीबीआई कोर्ट का सख्त फैसला: चार आरोपियों को 4 साल कैद और 1 लाख जुर्माना

 

नई दिल्ली, 19 दिसंबर (आईएएनएस)। दिल्ली की विशेष सीबीआई कोर्ट ने बैंक धोखाधड़ी के एक पुराने मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 18 दिसंबर 2025 को चार आरोपियों को चार-चार साल की सजा सुनाई है। साथ ही प्रत्येक आरोपी पर 1-1 रुपए का जुर्माना भी लगाया है।

कोर्ट ने संजय चतुर्वेदी, अमित चतुर्वेदी, सुमित चतुर्वेदी और प्रवीण जुनेजा को दोषी करार देते हुए प्रत्येक को चार साल की कैद की सजा सुनाई। यह मामला इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया (आईडीबीआई) से 15 करोड़ रुपए के टर्म लोन की धोखाधड़ी से जुड़ा है। सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) ने 9 फरवरी 2009 को प्रारंभिक जांच के बाद मामला दर्ज किया था। आरोप था कि इन चारों आरोपियों ने आपस में साजिश रचकर आईडीबीआई बैंक को धोखा दिया।

आरोपियों ने लोन लेने के लिए झूठी जानकारी और जाली दस्तावेज जमा किए। लोन की राशि को उस उद्देश्य के लिए इस्तेमाल करने की बजाय अन्य कार्यों में डायवर्ट कर दिया, जिसके लिए लोन स्वीकृत हुआ था। इससे बैंक को भारी वित्तीय नुकसान हुआ। सीबीआई की जांच में यह साफ हुआ कि आरोपियों की मिलीभगत से बैंक की प्रक्रियाओं का दुरुपयोग किया गया।

जांच पूरी होने पर सीबीआई ने 22 अप्रैल 2010 को आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। लंबे ट्रायल के बाद कोर्ट ने सबूतों और गवाहों के आधार पर सभी आरोपियों को दोषी ठहराया और सजा सुनाई। यह फैसला बैंकिंग सेक्टर में धोखाधड़ी के खिलाफ सख्त संदेश देता है।

देश में बैंक फ्रॉड के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, और ऐसे फैसले जांच एजेंसियों की मुस्तैदी को दिखाते हैं। जाली दस्तावेज और फंड डायवर्जन जैसे तरीके आम हैं, जिससे सार्वजनिक बैंकों को करोड़ों का नुकसान होता है।

इससे पहले सीबीआई ने पुणे स्थित मेसर्स हाउस ऑफ लैपटॉप्स (आई) प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक आशुतोष पंडित को गिरफ्तार किया था। आशुतोष बैंक धोखाधड़ी मामले में आरोपी है और वह फरार चल रहा था।

यह मामला पुणे स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक में 17 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी से संबंधित है। केस पहले मुंबई स्थित आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) में दर्ज किया गया था और बाद में इसे पुणे स्थित सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया, जहां फिलहाल मुकदमा चल रहा है।

--आईएएनएस

एससीएच