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बांग्लादेश में हिंसा समाज को अंधकार की ओर ले जाती है, हिंदुओं पर हमला गलत: सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती

 

अजमेर, 27 दिसंबर (आईएएनएस)। अजमेर शरीफ दरगाह के दीवान के उत्तराधिकारी सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हो रही हिंसा को लेकर कड़ा और स्पष्ट रुख अपनाया है। उन्होंने कहा कि हिंसा किसी भी देश, समाज या मजहब के लिए ठीक नहीं है। यह समाज को आगे बढ़ाने के बजाय पीछे की ओर धकेलती है और अंततः अंधकार की ओर ले जाती है।

सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि मीडिया के माध्यम से बांग्लादेश से जिस तरह की खबरें सामने आ रही हैं, वे बेहद चिंताजनक हैं। वहां लोगों पर हमले किए जा रहे हैं और कई मामलों में निर्दोष लोगों की हत्या तक कर दी गई है, जो किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं मानवता और सभ्यता दोनों के खिलाफ हैं।

उन्होंने बांग्लादेश की सरकार से अपील की है कि बांग्लादेश एक इस्लामिक मुल्क है और अगर वहां इस्लाम को मार्गदर्शक माना जाता है, तो उसकी शिक्षाओं का पूरी तरह पालन होना चाहिए। इस्लाम साफ तौर पर इंसानियत, अमन और इंसाफ का पैगाम देता है और किसी भी मजहब या समुदाय के खिलाफ हिंसा की इजाजत नहीं देता।

सैयद चिश्ती ने कहा कि किसी भी अल्पसंख्यक समुदाय के साथ संख्या के आधार पर या किसी भी कारण से अत्याचार किया जाना सरासर गलत है। किसी भी सरकार की यह बुनियादी जिम्मेदारी होती है कि वह अपने देश में रहने वाले हर नागरिक को, चाहे वह किसी भी धर्म या समुदाय से ताल्लुक रखता हो, पूरी सुरक्षा और बराबरी का अधिकार दे।

उन्होंने यह भी कहा कि बांग्लादेश को एक सोची-समझी साजिश के तहत भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने की कोशिशें की जा रही हैं, जो पूरे क्षेत्र की शांति, स्थिरता और भाईचारे के लिए घातक साबित हो सकती हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि मौजूदा हालात में बांग्लादेश की सरकार को सख्ती से स्थिति पर काबू पाना चाहिए और हिंसा को किसी भी स्तर पर बढ़ने से रोकना चाहिए, ताकि अमन, इंसाफ और इंसानियत कायम रह सके।

--आईएएनएस

एएसएच/डीकेपी