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बांग्लादेश में यूनुस सरकार हिंसा को रोकने में फेल: हरीश रावत

 

देहरादून, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। कांग्रेस नेता और उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने बांग्लादेश में चल रही हिंसा के लिए डीप स्टेट को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि मोहम्मद यूनुस कट्टरपंथियों के हाथ का खिलौना बन गए हैं। इसके साथ ही उन्होंने नकली कफ सिरप और उत्तराखंड के स्कूलों में गीता पढ़ाने को अनिवार्य किए जाने पर भी प्रतिक्रिया दी।

बांग्लादेश के हालातों पर आईएएनएस से बातचीत करते हुए हरीश रावत ने कहा कि शेख हसीना बांग्लादेश की नेता हैं। सभी का उन पर विश्वास था। वह बांग्लादेश को विकास के रास्ते पर ले जा रही थीं। अमेरिकी डीप स्टेट और पाकिस्तान के आईएसआई ने मिलकर तख्तापलट करवा दिया।

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में जो अल्पसंख्यकों पर हिंसा हो रही है, वह बहुत दुखद और निंदनीय है। एक हिंदू नौजवान को घायल अवस्था में आग के हवाले कर दिया गया। यह बहुत कायरतापूर्ण हरकत है। ऐसी हरकत को कभी भी कोई सभ्य समाज माफ नहीं कर सकता।

उन्होंने कहा कि शेख हसीना ने कहा है कि यूनुस सरकार हिंसा को रोकने में फेल हो गई है। सच्चाई यह है कि यूनुस कट्टरपंथियों के हाथ का खिलौना बन गए हैं। भारत विरोधी ताकतों की कठपुतली बनकर रह गए हैं। भारत को बांटने का मंसूबा कभी पूरा नहीं होगा। आज बांग्लादेश बर्बादी के रास्ते पर जा रहा है। बांग्ला संस्कृति को नष्ट करने का काम हो रहा है।

नकली कफ सिरप पर उन्होंने कहा कि नकली दवाइयों और कफ सिरप का बाजार बड़े पैमाने पर चल रहा है। सरकार नकली दवाइयों के प्रचलन को नियंत्रित करने में असफल हो रही है।

उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में गीता का पाठ अनिवार्य किए जाने पर हरीश रावत ने कहा कि अच्छी बात है कि आप गीता और रामायण का पाठ करवाएं, लेकिन शिक्षा को शिक्षा की तरह चलने दीजिए।

मनरेगा का नाम बदले जाने पर उन्होंने कहा कि हमें कभी कल्पना नहीं थी कि कोई सरकार ऐसी भी होगी, जो महात्मा गांधी के नाम पर चल रही योजना को बदल देगी। महात्मा गांधी परम राम भक्त थे, वह इस सदी के सबसे महान भक्त थे। उन्होंने 'रघुपति राघव राजा राम' भजन गाया, और अब सरकार ने राम का नाम लेकर महात्मा गांधी का नाम खत्म कर दिया।

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी का सिर्फ नाम ही नहीं उड़ाया गया बल्कि मनरेगा का पैसा गांव में जाता था और पंचायतें तय करती थीं कि विकास कहां होगा, लेकिन अब यह दिल्ली में तय होगा। दुनिया भर में इसे रोजगार की गारंटी की योजना कहा जाता था, हमने गारंटी दी थी, लेकिन अब इसे खत्म कर दिया गया है। नया कानून सिर्फ मनरेगा को खत्म करने के लिए लाया गया है।

--आईएएनएस

एएमटी/डीएससी