अस्थमा रोगियों के लिए चुनौती है सर्दी का मौसम, जानें बचाव के आयुर्वेदिक उपाय
नई दिल्ली, 15 दिसंबर (आईएएनएस)। सर्दियों का मौसम अस्थमा और सांस संबंधी रोगियों के लिए विशेष चुनौती लेकर आता है। ठंडी और सूखी हवा की वजह से श्वास नलियों में सूजन बढ़ जाती है, जिससे वायुमार्ग संकुचित हो जाते हैं और अस्थमा का अटैक ट्रिगर हो सकता है।
इससे सीने में जकड़न, घरघराहट, बार-बार खांसी, रात में सांस फूलना और सुबह ज्यादा तकलीफ जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। इनहेलर की जरूरत भी अधिक हो सकती है।
आयुर्वेद के अनुसार, ठंड में वात और कफ दोष बढ़ जाते हैं। कफ प्रधान 'तमक श्वास' (अस्थमा) में श्वास नलियां अवरुद्ध हो जाती हैं, जबकि वात असंतुलन से सांस लेने में कठिनाई होती है। इसलिए इस मौसम में दोषों को संतुलित रखना जरूरी है।
आयुर्वेद में बचाव के सरल उपाय भी बताए गए हैं, जिन्हें दिनचर्या में शामिल कर अस्थमा की समस्याओं में राहत पा सकते हैं। इसके लिए हमेशा गुनगुना पानी पिएं, ठंडा पानी या पेय पूरी तरह त्यागें। सुबह खाली पेट भाप लें, इसमें तुलसी की पत्तियां या अजवाइन डालना और भी फायदेमंद होता है। शहद और अदरक का नियमित सेवन कफ कम करता है और सांस लेने में दिक्कत महसूस नहीं होती। इसके अलावा, खानपान में गर्म सूप, काढ़ा और हल्का भोजन शामिल करें। दही, ठंडी चीजें और भारी भोजन से परहेज करें। रात का खाना हल्का और समय पर लेना चाहिए।
खानपान, औषधियों के साथ ही जीवनशैली में बदलाव भी मुश्किलें कम कर देता है। सुबह ठंडी हवा में बाहर न निकलें, मुंह और नाक को स्कार्फ या मास्क से ढकें। धूम्रपान, धूल-धुएं और प्रदूषण से दूरी रखें। अचानक ठंड से गर्म जगह या गर्म से ठंडी जगह न जाएं। हल्का प्राणायाम जैसे अनुलोम-विलोम करें, लेकिन ज्यादा जोर न लगाएं।
सर्दियां अस्थमा रोगियों के लिए सबसे संवेदनशील समय होता है। थोड़ी सावधानी और सही दिनचर्या से अटैक को रोका जा सकता है। इन आसान आदतों को दिनचर्या में शामिल कर राहत पाई जा सकती है, लेकिन समस्या बढ़ने पर सतर्क हो जाएं, यदि सांस बहुत फूलने लगे, नींद में बार-बार रुकावट आए या इनहेलर से भी राहत न मिले, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
आयुर्वेदिक उपाय अपनाने से पहले वैद्य से सलाह जरूर लें।
--आईएएनएस
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