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असम के लेबर वेलफेयर फंड घोटाले में मुख्य आरोपी गिरफ्तार, कोर्ट ने ईडी की कस्टडी में भेजा

 

गुवाहाटी, 21 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के गुवाहाटी जोनल ऑफिस ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक बड़े केस में कार्रवाई करते हुए 18 दिसंबर को गुवाहाटी में एम/एस पूर्वाश्री प्रिंटिंग हाउस के प्रोप्राइटर प्रियांशु बोइरागी के ठिकानों पर सर्च ऑपरेशन चलाया। बाद में उन्हें प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया। ईडी ने आरोपी को गुवाहाटी स्थित विशेष पीएमएलए कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें 5 दिनों की ईडी की कस्टडी में भेज दिया गया है।

ईडी ने यह जांच सीएम स्पेशल विगिलेंस सेल, असम द्वारा दर्ज एक एफआईआर के आधार पर शुरू की थी। यह एफआईआर आईपीसी की विभिन्न धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत दर्ज की गई थी। ये सभी अपराध पीएमएलए के शेड्यूल के पार्ट–ए के तहत आते हैं, जिन पर ईडी को कार्रवाई का अधिकार है।

एफआईआर में आरोप लगाया गया कि प्रियांशु बोइरागी ने असम बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड के तत्कालीन मेंबर सेक्रेटरी चोहन दोले, तत्कालीन चेयरमैन गौतम बरुआ और कई अन्य अधिकारियों के साथ साजिश रचकर सरकार द्वारा इकट्ठा की गई लेबर वेलफेयर सेस की राशि की हेराफेरी की।

यह राशि बिल्डिंग ऐंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर सेस एक्ट, 1996 के तहत निर्माण लागत के 1 फीसदी के रूप में वसूल की जाती है। यह धन निर्माण मजदूरों के सामाजिक सुरक्षा और कल्याण के लिए निर्धारित होता है, जिसमें दुर्घटना या मृत्यु सहायता, इलाज में आर्थिक मदद, मातृत्व लाभ, पेंशन, मजदूरों के बच्चों की शिक्षा और अंतिम संस्कार सहायता आदि शामिल हैं।

जांच एजेंसी ईडी ने आरोप लगाया कि घोटाले में शामिल लोगों ने इन्हीं गरीब और असंगठित मजदूरों के लिए बने इस फंड को धोखे से चूसा और मनी लॉन्ड्रिंग की। जांच के अनुसार वित्तीय वर्ष 2013–14, 2014–15 और 2015–16 के दौरान प्रियांशु बोइरागी को फर्जी और मनगढ़ंत टेंडर प्रक्रिया के तहत 121.05 करोड़ रुपए के प्रिंटिंग कॉन्ट्रैक्ट दिए गए।

इसमें से 118.55 करोड़ रुपये की राशि पूर्वाश्री प्रिंटिंग हाउस के खाते में जमा हुई, जिसके बाद बड़ी रकम तुरंत प्रियांशु बोइरागी ने अपने निजी फिक्स्ड डिपॉजिट में बदल दी या दिल्ली स्थित कई शेल कंपनियों के जरिए घुमा दी, ताकि प्रोसीड्स ऑफ क्राइम का पता लगाना मुश्किल हो जाए।

ईडी ने तलाशी के दौरान महत्वपूर्ण दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और एक ऑडी कार भी जब्त की है। इस केस में इससे पहले भी 34.03 करोड़ रुपए की बैंक राशि व एफडी पीएमएलए की धारा 5(1) के तहत अटैच की जा चुकी है।

इस गिरफ्तारी के बाद माना जा रहा है कि लेबर वेलफेयर फंड की हेराफेरी से जुड़े इस हाई-प्रोफाइल घोटाले में और भी लोगों पर गाज गिर सकती है।

--आईएएनएस

पीएसके