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जयमाल के बाद दो रसगुल्लों ने खोली दूल्हे की ऐसी पोल, दुल्हन का चढ़ा पारा, तोड़ दी शादी

 

शहनाइयों की मधुर धुन, डीजे की धुन पर झूमती बारात, दूल्हे के सिर पर सेहरा और सजधज कर इंतज़ार करती दुल्हन। लेकिन कौन जानता था कि सब कुछ पल भर में बदल जाएगा — सिर्फ इसलिए कि किसी ने शादी के गुब्बारे फोड़ दिए

गुब्बारों ने कर दिया 'ब्लास्ट' – माहौल बना महाभारत

फतेहपुर थाना क्षेत्र के धनछू मंझला गांव में विजय यादव की बेटी की शादी तय थी। बारात सलैयाकला पंचायत से आई थी। स्वागत में कोई कसर नहीं छोड़ी गई — नाश्ता, आतिथ्य, डीजे पर नाचते-गाते बाराती और हंसी-ठिठोली से भरा माहौल। लेकिन जैसे ही द्वार पूजा की रस्म शुरू हुई, दूल्हा और उसका भाई वहां लगे सजावटी गुब्बारे फोड़ने लगे। दुल्हन के मौसेरे भाई ने टोका तो मामला गरमा गया। बात इतनी बढ़ी कि दूल्हे के भाई को थप्पड़ मार दिया गया। फिर क्या था — गुब्बारे की हवा के साथ माहौल भी फट पड़ा

रिश्तेदारी की इज्जत गई, बारात वापस गई

हंगामे में दूल्हे के पिता और चाचा की जमकर पिटाई हुई। जयमाला से पहले ही लड़ाई का ऐसा मंजर बन गया कि बाराती जान बचाकर भागने लगे। दूल्हा भी शादी छोड़कर फरार हो गया। लड़की पक्ष वाले उसे खोजते रहे, समझाते रहे, लेकिन दूल्हा नहीं लौटा।

'अभी कुछ नहीं कह सकता' – दूल्हा बोला, परिवार खामोश

इस घटना के बाद लड़की पक्ष ने शादी को फिर से कराने की अपील की, लेकिन लड़के वाले गुस्से में हैं। दूल्हा सिर्फ इतना कह रहा है "अभी मैं कुछ नहीं कह सकता, मामला शांत होने दो, तब सोचूंगा।"

शादी या तमाशा? समाज में उठ रहे हैं सवाल

एक तरफ इस पूरे मामले को मज़ाक और ‘वायरल मैटेरियल’ कहा जा रहा है, लेकिन दूसरी ओर यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या अब हमारी सामाजिक समझ इतनी कमजोर हो गई है कि एक छोटी सी बात पर रिश्ते तोड़े जा रहे हैं? क्या अब विवाह केवल सजावट और मनोरंजन का मंच बन गया है?

निष्कर्ष:

बिहार की यह घटना बताती है कि आज के दौर में रिश्तों को निभाने से ज्यादा अहम ‘ईगो’ और ‘मूमेंट की इमेज’ हो गई है। जब गुब्बारे फूटते हैं तो आवाज़ आती है, लेकिन जब भरोसे और रिश्ते फूटते हैं, तो सन्नाटा और अफसोस छोड़ जाते हैं।