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आत्मनिर्भर भारत का सपना स्वदेशी के बिना नहीं हो सकता पूरा : आचार्य बालकृष्ण

 

चित्तौड़गढ़, 23 दिसंबर (आईएएनएस)। पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के संस्थापक आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि स्वदेशी केवल एक विचार नहीं बल्कि जीवन का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में भारतीय संस्कृति का प्रभाव बढ़ रहा है, इसके पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वदेशी का संकल्प है।

आचार्य बालकृष्ण राष्ट्रीय स्वदेशी महोत्सव में भाग लेने के लिए मंगलवार को चित्तौड़गढ़ पहुंचे। यहां उनका भव्य स्वागत किया गया। बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे। कार्यक्रम के बाद मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मेले में उत्तर प्रदेश से लेकर तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर से हिमाचल प्रदेश तक के कारीगर अपने उत्पादों के साथ पहुंचे हैं।

उन्होंने कहा कि यह स्वदेशी की ताकत और एकता को दिखाता है। उन्होंने लोगों से अपील की कि कम से कम जीरो तकनीक वाले उत्पादों में विदेशी सामान का इस्तेमाल न करें और स्वदेशी अपनाने का संकल्प लें।

आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि स्वदेशी पर जोर जरूरी है। यह केवल पदार्थ या उपभोक्ता की बात नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रजागरण और स्वाभिमान की बात है। भारत के लाखों कारीगरों की बात है। जब हम स्वदेशी की बात करते हैं तो कुटीर उद्योग वाले और छोटे-छोटे कारीगरों की भी बात करते हैं। इससे हमारी परंपराएं सुरक्षित रहती हैं और हमारे मूल्य व आदर्श भी बनते हैं।

उन्होंने कहा कि जहां स्वदेशी है, वहां स्वाभिमान है और जिस देश का राष्ट्र स्वाभिमान है, वही देश समृद्धशाली है। ऐसे में हमारे देश को समृद्धशाली बनाने के लिए स्वदेशी जरूरी है। उन्होंने कहा कि विदेशी कंपनियां अपने सामान को बेचने के लिए तरह-तरह के षड्यंत्र करती हैं। इसीलिए विदेशी हमारे रिश्तेदार नहीं हैं, ये लोग बस बाजार समझते हैं। हम लोग ही देश को परिवार समझते हैं।

उन्होंने कहा कि राजस्थान में बड़े पैमाने पर जड़ी-बूटियां मिलती हैं, अश्वगंधा बड़े पैमाने पर मिलता है। पतंजलि के माध्यम से पूरे देश में आयुर्वेद को बढ़ावा दिया गया है। यदि सभी लोग प्रयास करेंगे तो देश आगे बढ़ेगा।

उन्होंने कहा कि हम किसानों के लिए ऑर्गेनिक फार्मिंग देने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे उन्हें भी फायदा हो।

--आईएएनएस

एएमटी/जीकेटी