जींद यूनिवर्सिटी के 3 असिस्टेंट प्रोफेसर सस्पेंड, छात्राओं के यौन शोषण का आरोप, वॉट्सऐप चैट आई थी सामने
CRSU में पढ़ने वाली कई छात्राओं ने अंग्रेजी विभाग के तीन गेस्ट असिस्टेंट प्रोफेसरों पर यौन शोषण, अश्लील चैट व धमकियों जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। आरोपों के सामने आने और छात्राओं के विरोध प्रदर्शन के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए इन तीनों प्रोफेसरों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। punjabkesari+2ऑपइंडिया+2
🔎 मामला: क्या हुआ था
-
शिकायत पत्र और बाद में वॉट्सऐप चैट का स्क्रीनशॉट मिलने के बाद केस तब उजागर हुआ, जब छात्राओं ने आरोपों की लिखित शिकायत कुलपति तक पहुंचाई। कुलपति ने कहा कि 27 नवंबर को उन्हें गुमनाम शिकायत मिली थी, जिसमें कहा गया था कि प्रोफेसर अश्लील मैसेज भेजते रहे हैं। इस पर तुरंत जांच समिति गठित की गई। Shekhawati Live+2Punjab Kesari Haryana+2
-
छात्राओं ने आरोप लगाया है कि प्रोफेसर रात को वीडियो कॉल करते थे, आपत्तिजनक बातें करते थे, निजी जीवन, रूप-रंग और पहनावे पर अनुचित टिप्पणियाँ करते थे। किसी छात्रा से सीधे पूछे गए सवालों में “Are you virgin?” (क्या तुम कुंवारी हो?) जैसा आपत्तिजनक सवाल भी शामिल था। ABP News+1
-
विरोध करने पर छात्राओं को धमकी दी गई कि अगर वे शिकायत करेंगी, तो उनके अंकों या भविष्य के साथ छेड़छाड़ होगी। हरिभूमि+1
🏛️ प्रशासन की कार्रवाई
-
विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया। कुलपति ने कहा कि CRSU में “ज़ीरो टॉलरेंस” की नीति है। जांच के आधार पर तीनों गेस्ट असिस्टेंट प्रोफेसरों को “घर पर रहने और रिलीव” पद पर रखा गया — यानी उन्हें क्लास से हटा दिया गया और तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया। Punjab Kesari Haryana+2livingindianews.co.in+2
-
इसके साथ ही एक आंतरिक जांच समिति का गठन किया गया है, जो पूरे मामले की गहराई से पड़ताल करेगी और अगर आरोप साबित होते हैं, तो आगे की कठोर कानूनी कार्रवाई की तैयारी होगी। हरिभूमि+1
-
छात्र-संघ व अन्य छात्राओं द्वारा विरोध प्रदर्शन और पुतला जलाने जैसे कदम उठाए गए थे, जिससे स्थिति और संवेदनशील बनी। इन प्रदर्शनों से प्रशासन दबाव में आया। ABP News+1
⚠️ सामाजिक व शैक्षणिक मायने
-
यह मामला विश्वविद्यालयों में छात्रों, खासकर छात्राओं की सुरक्षा और मानसिक सुरक्षा — दोनों के लिए एक चेतावनी है। जहाँ शिक्षक और प्रोफेसर — जिन्हें छात्र-शिक्षक शृंखला में सम्मान और विश्वास मिलता है — उसी भरोसे का दुरुपयोग कर रहे हों, वो संस्था व समाज दोनों के लिए खतरनाक संकेत हैं।
-
दूसरी ओर, संस्थागत जवाबदेही और पारदर्शिता स्थापित होने का यह एक सकारात्मक उदाहरण भी हो सकता है — अगर कोर्ट/जांच समितियाँ निष्पक्ष रह कर कार्रवाई करें।
-
घटनाक्रम ने छात्राओं को आगे आने की हिम्मत दी है — जिससे संकेत मिलता है कि जागरूकता बढ़ रही है, और “चुप रहने” की प्रवृत्ति कम हो रही है।