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25 दिसंबर को क्यों मनाया जाता है सुशासन दिवस? जानें क्या है पूर्व पीएम से संबंध

 

नई दिल्ली, 24 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत में हर साल 25 दिसंबर को सुशासन दिवस मनाया जाता है। यह दिन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के रूप में विशेष महत्व रखता है। सुशासन के उच्च मानकों को स्थापित करने वाले राजनेता को यह दिन समर्पित है।

अटल जी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था। वे एक महान नेता, कवि और राजनेता थे। सुशासन दिवस की शुरुआत साल 2014 में हुई, जब पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी को सम्मान देने और जनता में सरकार की जवाबदेही के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए इस दिन को चुना।

सुशासन दिवस का मुख्य उद्देश्य नागरिकों को सरकार की जिम्मेदारियों के बारे में शिक्षित करना और पारदर्शी, जवाबदेह प्रशासन को बढ़ावा देना है। पोखरण परमाणु परीक्षण, स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क योजना, सर्व शिक्षा अभियान और ग्रामीण विकास योजनाओं को लेकर अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण सुधार किए। वाजपेयी सरकार ने आर्थिक सुधारों को गति दी और भारत को वैश्विक पटल पर मजबूत बनाया। सुशासन उनके शासन की पहचान रही, इसलिए उनकी जयंती को इस दिवस के रूप में मनाया जाता है।

सुशासन का मूल अर्थ है ऐसा शासन जो समाज के हर व्यक्ति को लाभ पहुंचाए। सामान्य शासन में सिर्फ निर्णय लेना और उन्हें लागू करना शामिल होता है, लेकिन सुशासन इससे कहीं आगे जाता है।

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, सुशासन की आठ विशेषताओं में शामिल है, जन-जन की सहभागिता यानी लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करता है। सर्वसम्मति यानी सबकी राय से फैसले लेता है। जवाबदेह यानी अधिकारी अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं। पारदर्शी यानी सब कुछ खुला और स्पष्ट रहता है। उत्तरदायी यानी समस्याओं का तुरंत समाधान होता है। प्रभावी और कुशल न्यायसंगत और समावेशी यानी सबके लिए बराबरी और शामिल करना। कानून का शासन का पूरी तरह पालन करता है। इस व्यापक ढांचे से सबसे कमजोर लोगों की आवाज भी सुनी जाती है और वर्तमान के साथ-साथ भविष्य की जरूरतों का भी ध्यान रखा जाता है।

साल 2014 में मोदी सरकार ने 25 दिसंबर को सुशासन दिवस घोषित किया। यह दिन सरकार के लिए कार्य दिवस के रूप में रखा गया है, ताकि सुशासन के सिद्धांतों को व्यावहारिक रूप में लागू किया जाए।

सरकार हर साल 19 से 25 दिसंबर तक 'सुशासन सप्ताह' भी मनाती है। यह सप्ताह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती (25 दिसंबर) पर समाप्त होता है। इसका मुख्य उद्देश्य पारदर्शी, प्रभावी और जवाबदेह शासन को बढ़ावा देना है। इस दौरान देश भर में जिला से गांव स्तर तक विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जैसे सेमिनार, कार्यशालाएं और जन जागरूकता अभियान। इनके जरिए सरकार अपनी प्रतिबद्धता दिखाती है कि शासन लोगों के जीवन को वास्तव में बेहतर बनाए। सुशासन सप्ताह जनता और प्रशासन के बीच विश्वास मजबूत करता है।

तीन बार प्रधानमंत्री बने अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत को मजबूत लोकतंत्र और विकास की राह दिखाई। उनकी कविताएं और भाषण आज भी प्रेरणा देते हैं। कार्यक्रमों में ई-गवर्नेंस, भ्रष्टाचार विरोधी उपाय और सतत विकास पर फोकस रहता है।

--आईएएनएस

एमटी/डीकेपी