HIV पॉजिटिव पाए जाने पर 23 साल के युवक की हत्या, बहन और बहनोई ने दिया वारदात को अंजाम
कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिले से एक रोंगटे खड़े कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसने समाज की सोच और डर को एक बार फिर कठघरे में खड़ा कर दिया है। यहां 23 वर्षीय युवक की कथित तौर पर उसकी बहन और बहनोई ने गला घोंटकर हत्या कर दी। सोमवार को पुलिस ने इस सनसनीखेज वारदात का खुलासा किया। पुलिस के अनुसार, युवक हाल ही में एक सड़क दुर्घटना का शिकार हुआ था और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान डॉक्टरों ने उसकी रक्त जांच की, जिसमें सामने आया कि वह HIV पॉजिटिव है। यह खबर उसके परिवार के लिए जैसे किसी वज्रपात से कम नहीं थी।
बहन ने किया चौंकाने वाला खुलासा
पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि युवक की बहन को जैसे ही अपने भाई के HIV संक्रमित होने की जानकारी मिली, उसने अपने पति के साथ मिलकर उसे जान से मारने की साजिश रच दी। पूछताछ के दौरान महिला ने स्वीकार किया कि उन्होंने 25 जुलाई को हत्या को अंजाम दिया। फिलहाल बहन को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि उसका पति फरार है और पुलिस उसकी तलाश में जुटी है।
महिला ने पुलिस को बताया कि उसे डर था कि यदि गांव या रिश्तेदारों को भाई की बीमारी के बारे में पता चल गया, तो पूरा परिवार सामाजिक बहिष्कार और अपमान का सामना करेगा। उसका कहना था कि गांव में लोग HIV संक्रमित व्यक्तियों और उनके परिजनों से दूरी बना लेते हैं, जिससे समाज में रहना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा, उसे यह भी चिंता थी कि कहीं बीमारी उसके माता-पिता तक न पहुंच जाए, जो पहले से ही उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी बीमारियों से जूझ रहे थे।
कर्ज में डूबा था युवक
महिला ने यह भी दावा किया कि उसका भाई भारी कर्ज में डूबा हुआ था और मानसिक रूप से बेहद परेशान रहता था। उसकी बीमारी की खबर ने परिवार को और अधिक तनाव में डाल दिया, जिससे उन्होंने यह खौफनाक कदम उठाया।
HIV पॉजिटिव का मतलब और भ्रम
यह मामला सिर्फ एक हत्या की कहानी नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि आज भी हमारे समाज में HIV को लेकर कितने गहरे भ्रम और डर मौजूद हैं।
HIV (ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस) एक ऐसा वायरस है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है। HIV संक्रमित व्यक्ति को एड्स (AIDS) तभी होता है जब संक्रमण काफी समय तक बिना इलाज के बढ़ता रहे। आज की चिकित्सा व्यवस्था में HIV पॉजिटिव व्यक्ति भी सामान्य जीवन जी सकता है, बशर्ते समय पर इलाज शुरू कर दिया जाए।
समाज को समझने की जरूरत
यह घटना एक बार फिर बताती है कि HIV को लेकर जागरूकता और संवेदनशीलता की कितनी जरूरत है। बीमार व्यक्ति को सहारा देने के बजाय, यदि उसे सामाजिक कलंक समझा जाए, तो परिणाम बेहद भयावह हो सकते हैं। चित्रदुर्ग की यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है — क्या एक बीमारी इतनी बड़ी सजा बन सकती है कि उसके कारण किसी को अपनों के हाथों अपनी जान गंवानी पड़े?