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1995 आवास घोटाला मामला : बॉम्बे हाईकोर्ट से माणिकराव कोकाटे को मिली जमानत, सजा पर रोक से इनकार

 

मुंबई, 19 दिसंबर (आईएएनएस)। नासिक हाउसिंग घोटाले से जुड़े मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अहम फैसला सुनाया। अदालत ने महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और एनसीपी (अजित पवार गुट) नेता माणिकराव कोकाटे की दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, लेकिन साथ ही उन्हें गिरफ्तारी से संरक्षण देते हुए दो साल की जेल की सजा को अंतिम सुनवाई तक निलंबित कर दिया। इस फैसले के बाद कोकाटे की विधायक सदस्यता पर खतरा बना हुआ है, क्योंकि सजा बरकरार है।

हाईकोर्ट का यह आदेश नासिक की सेशंस कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ दायर पुनरीक्षण याचिका पर आया है, जिसमें कोकाटे को सरकारी फ्लैटों के अवैध अधिग्रहण से जुड़े हाउसिंग फ्रॉड मामले में दो साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई थी। सेशंस कोर्ट के फैसले के बाद कोकाटे ने हाईकोर्ट का रुख किया था।

हाईकोर्ट के फैसले से पहले ही राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई थी। सेशंस कोर्ट से सजा मिलने के बाद कोकाटे से खेल और अल्पसंख्यक मामलों के विभाग वापस ले लिए गए थे। इसके बाद उन्होंने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया, जिसे उपमुख्यमंत्री और एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने गुरुवार को स्वीकार कर लिया। शुक्रवार को ही कोकाटे की हार्ट सर्जरी भी हुई।

इस्तीफे को लेकर अजित पवार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा कि अदालत के फैसले के बाद माणिकराव कोकाटे ने उन्हें अपना इस्तीफा सौंपा, जिसे पार्टी की उस परंपरा के अनुरूप स्वीकार किया गया है, जिसमें कानून के शासन को सर्वोपरि माना जाता है।

उन्होंने कहा कि एनसीपी संवैधानिक नैतिकता, संस्थागत गरिमा और न्यायपालिका के सम्मान में विश्वास रखती है और लोकतांत्रिक मूल्यों एवं जनविश्वास को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। पवार ने बताया कि इस्तीफे को औपचारिक प्रक्रिया के तहत मुख्यमंत्री को भेज दिया गया है।

यह फैसला लंबी बैठक के बाद लिया गया। गुरुवार को अजित पवार ने पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल और प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे के साथ ढाई घंटे से अधिक समय तक विचार-विमर्श किया था। इससे पहले, गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद विपक्ष की ओर से लगातार दबाव बनाया जा रहा था।

माणिकराव कोकाटे नासिक जिले की सिन्नर विधानसभा सीट से पांच बार विधायक रह चुके हैं। उनका राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा है और वे समय-समय पर दल बदलते रहे हैं। हाईकोर्ट में यदि सेशंस कोर्ट की सजा बरकरार रहती है, तो उनकी विधायक सदस्यता पर बड़ा असर पड़ सकता है।

यह मामला 1995 का है और तत्कालीन मुख्यमंत्री कोटा के तहत आरक्षित सरकारी फ्लैटों के दुरुपयोग से जुड़ा है। ये फ्लैट उन लोगों के लिए होते हैं जिनकी आय कम होती है और जिनके पास पहले से कोई संपत्ति नहीं होती।

आरोप है कि माणिकराव कोकाटे और उनके भाई विजय कोकाटे ने फर्जी शपथपत्र और दस्तावेज जमा कर नासिक के कनाडा कॉर्नर स्थित 'निर्माण व्यू अपार्टमेंट' में दो फ्लैट हासिल किए। जांच में यह भी सामने आया कि वे उसी इमारत में दो अन्य फ्लैटों का उपयोग भी कर रहे थे, जो किसी और के नाम पर आवंटित थे।

जिला प्रशासन की जांच के बाद अर्बन लैंड सीलिंग (यूएलसी) विभाग के तत्कालीन अधिकारी विश्वनाथ पाटिल ने शिकायत दर्ज कराई। इसके आधार पर सरकारवाड़ा पुलिस स्टेशन में कोकाटे भाइयों सहित चार लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया। अदालत ने सभी आरोपियों को दो साल की सश्रम कारावास और 50,000 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।

कैबिनेट में शामिल होने के बाद से कोकाटे कई बार विवादों में रहे। जुलाई में विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान एनसीपी (एसपी) विधायक रोहित पवार ने आरोप लगाया था कि कोकाटे विधान परिषद की कार्यवाही के दौरान मोबाइल फोन पर गेम खेल रहे थे। कोकाटे ने आरोपों से इनकार किया, लेकिन इस घटना की कड़ी आलोचना हुई और बाद में उनसे कृषि विभाग भी वापस ले लिया गया।

किसानों पर की गई एक टिप्पणी को लेकर भी वे घिरे थे। उन्होंने कहा था, "एक भिखारी भी एक रुपए को ठुकरा देता है, लेकिन यहां हम एक रुपए में फसल बीमा देते हैं, फिर भी कुछ लोग इसका गलत फायदा उठाने की कोशिश करते हैं।"

--आईएएनएस

वीकेयू/एबीएम