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Waseem Barelvi Shayari: देश के सबसे फेमस शायर वसीम बरेलवी की लिखी कुछ सबसे बेहतरीन शेर 

 

साल 1940 उत्तर प्रदेश के बरेली में पैदा हुए वसीम बरेलवी का नाम उन शायरों में शुमार किया जाता है जो अपने बेहतरीन अंदाज़ और मुनफरिद शायरी के लिए पहचाने जाते हैं. उर्दू साहित्य में अपनी एक अलग छाप छोड़ चुके वसीम बरेलवी का पहला नाम जाहिद हसन था. वसीम बरेलवी के शायरी बेहद आसान और सरल भाषा में है जो आम आदमी को बखूबी समझ आ जाती है. उनके ज़रिए लिखी गई कई गज़लों को मशहूर सिंगर रहे जगजीत सिंह ने भी आवाज़ दी है. आज हम आपको वसीम बरेलवी के कुछ चुनिंदा सेर आपके सामने पेश करने जा रहे हैं. पढ़ें....

अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे 
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे 

आसमाँ इतनी बुलंदी पे जो इतराता है 
भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है 

वो झूट बोल रहा था बड़े सलीक़े से 
मैं एतिबार न करता तो और क्या करता 

तुझे पाने की कोशिश में कुछ इतना खो चुका हूँ मैं 
कि तू मिल भी अगर जाए तो अब मिलने का ग़म होगा 

वैसे तो इक आँसू ही बहा कर मुझे ले जाए 
ऐसे कोई तूफ़ान हिला भी नहीं सकता 

तुम मेरी तरफ़ देखना छोड़ो तो बताऊँ 
हर शख़्स तुम्हारी ही तरफ़ देख रहा है 

वो दिन गए कि मोहब्बत थी जान की बाज़ी 
किसी से अब कोई बिछड़े तो मर नहीं जाता 

मोहब्बत में बिछड़ने का हुनर सब को नहीं आता 
किसी को छोड़ना हो तो मुलाक़ातें बड़ी करना 

उसी को जीने का हक़ है जो इस ज़माने में 
इधर का लगता रहे और उधर का हो जाए 

हर शख़्स दौड़ता है यहाँ भीड़ की तरफ़ 
फिर ये भी चाहता है उसे रास्ता मिले 

मुझे पढ़ता कोई तो कैसे पढ़ता 
मिरे चेहरे पे तुम लिक्खे हुए थे 

जो मुझ में तुझ में चला आ रहा है बरसों से 
कहीं हयात इसी फ़ासले का नाम न हो 

वो पूछता था मिरी आँख भीगने का सबब 
मुझे बहाना बनाना भी तो नहीं आया 

उन से कह दो मुझे ख़ामोश ही रहने दे 'वसीम' 
लब पे आएगी तो हर बात गिराँ गुज़रेगी 

मैं उस को आँसुओं से लिख रहा हूँ 
कि मेरे ब'अद कोई पढ़ न पाए