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Waseem Barelvi Shayari: मशहूर शायर वसीम बरेलवी के कुछ सबसे बेहतरीन शेर 

 

वसीम बरेलवी उर्दू के लोकप्रिय शायर हैं और आम से लेकर ख़ास तक सभी उनके शेर का सहारा अपनी बात कहने के लिए लेते हैं। पेश हैं कुछ ऐसे ही चुनिंदा शेर....

आसमाँ इतनी बुलंदी पे जो इतराता है
भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है

ऐसे रिश्ते का भरम रखना कोई खेल नहीं
तेरा होना भी नहीं और तेरा कहलाना भी

ग़म और होता सुन के गर आते न वो 'वसीम'
अच्छा है मेरे हाल की उन को ख़बर नहीं

जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा
किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता

जो मुझ में तुझ में चला आ रहा है बरसों से
कहीं हयात इसी फ़ासले का नाम न हो

किसी ने रख दिए ममता-भरे दो हाथ क्या सर पर
मेरे अंदर कोई बच्चा बिलक कर रोने लगता है

किसी से कोई भी उम्मीद रखना छोड़ कर देखो
तो ये रिश्ता निभाना किस क़दर आसान हो जाए

कुछ है कि जो घर दे नहीं पाता है किसी को
वर्ना कोई ऐसे तो सफ़र में नहीं रहता

उसी को जीने का हक़ है जो इस ज़माने में
इधर का लगता रहे और उधर का हो जाए

बहुत से ख़्वाब देखोगे तो आँखें
तुम्हारा साथ देना छोड़ देंगी

दुख अपना अगर हम को बताना नहीं आता
तुम को भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता

न पाने से किसी के है न कुछ खोने से मतलब है
ये दुनिया है इसे तो कुछ न कुछ होने से मतलब है

तुझे पाने की कोशिश में कुछ इतना खो चुका हूँ मैं
कि तू मिल भी अगर जाए तो अब मिलने का ग़म होगा

हर शख़्स दौड़ता है यहाँ भीड़ की तरफ़
फिर ये भी चाहता है उसे रास्ता मिले

रात तो वक़्त की पाबंद है ढल जाएग
देखना ये है चराग़ों का सफ़र कितना है

शराफ़तों की यहाँ कोई अहमियत ही नहीं
किसी का कुछ न बिगाड़ो तो कौन डरता है

वैसे तो इक आँसू ही बहा कर मुझे ले जाए
ऐसे कोई तूफ़ान हिला भी नहीं सकता

वो मेरे सामने ही गया और मैं
रास्ते की तरह देखता रह गया

अपने अंदाज़ का अकेला था
इसलिए मैं बड़ा अकेला था

हादसों की ज़द पे हैं तो मुस्कुराना छोड़ दें
ज़लज़लों के ख़ौफ़ से क्या घर बनाना छोड़ दें