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Mirza Ghalib Shayari in Hindi: मशहूर मिर्ज़ा ग़ालिब की सबसे बेहतरीन और मशहूर शेरो-शायरी

 

आपको यहाँ पर कुछ बेहतरीन Mirza Ghalib Ki Shayari का संग्रह दिया गया हैं. यह सभी लोकप्रिय और प्रसिद्ध शायरी मिर्जा गालिब के द्वारा लिखी गई हैं. यह सभी Ghalib Ki Shayari आपको बहुत ही पसन्द आएगी. मिर्जा गालिब उर्दू के महान लोकप्रिय शायरों में से एक थे. उर्दू शायरी के लिए इनकी पहचान विश्व स्तर पर हैं. आज भी शेर – ओ – शायरी की जब बात होती हैं. तब जुबान पर पहला नाम मिर्जा गालिब का ही आता हैं.

27 दिसम्बर 1797 को आगरा के एक सैनिक पृष्ठभूमि तुर्क परिवार में उनका जन्म हुआ था. इनका पूरा नाम “मिर्जा असद – उल्लाह बेग खां” हैं. गालिब साहब के बच्चपन में ही उनके पिता का देहांत हो गया था. गालिब साहेब को बच्चपन से ही कविता और शायरी लिखने का शौक था. जब वह 11 वर्ष के थे तभी से ही कविता लिखना शुरू कर दिया था. मिर्जा गालिब जब मात्र 13 वर्ष के थे. तब उनकी शादी उमराव वेगम से कर दी गई. गालिब साहब काम के सिलसिले में कई जगह दिल्ली, जयपुर, लाहौर गए फिर वह आगरा में लौट आए. मिर्जा गालिब का निधन 15 फरवरी 1869 में हो गया. लेकिन आज भी वह लोगों के जुबान पर जिन्दा हैं.....

इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया।
वर्ना हम भी आदमी थे काम के।।

बे-वजह नहीं रोता इश्क़ में कोई ग़ालिब
जिसे खुद से बढ़ कर चाहो वो रूलाता ज़रूर है

इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना

आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए
साहब को दिल न देने पे कितना ग़ुरूर था

लफ़्ज़ों की तरतीब मुझे बांधनी नहीं आती “ग़ालिब”।
हम तुम को याद करते हैं सीधी सी बात है।

मौत का एक दिन मुअय्यन है।
नींद क्यूँ रात भर नहीं आती।

कोई उम्मीद बर नहीं आती।
कोई सूरत नज़र नहीं आती।

लोग कहते है दर्द है मेरे दिल में ,
और हम थक गए मुस्कुराते मुस्कुराते

हमारे शहर में गर्मी का यह आलम है ग़ालिब
कपड़ा धोते ही सूख जाता है
पहनते ही भीग जाता है

उम्र भर देखा किये, मरने की राह
मर गये पर, देखिये, दिखलाएँ क्या