Dr Muhammad Allama Iqbal Biography in Hindi: सारे जहां से अच्छा लिखने वाले मशहूर शायर मोहम्मद अल्लामा इकबाल का जीवन परिचय
अक्सर लोगों के ख़्याल में आता है की शायरी महज़ दिल आवारा मनचले जज़्बातों को लब्ज़ देने का एक हुनर है. और कुछ लोग ये सोचते हैं की, शायरी आशिक़, माशूक़, चाँद, सितारे, तन्हाई, जुदाई महज़ इन्ही सब के इर्द गिर्द घूमती रहती है. कुछ हद तक ये सही भी है मगर कुछ ऐसे भी शायर हुए हैं, जिन्होने अपनी शायरी से लोगों में इंकलाब पैदा कर दिया। उनका लिखा एक एक शेर गलियों में गुंजा है, नारा बन कर. उन्ही क्रांतिकारी शायरों के फेहरिस्त में जो पहला नाम आता है, वो है अल्लामा इक़बाल (Allama Iqbal) का, इन्होने जो ग़ज़ल या शेर लिखे वो कमाल के शेर हैं, जब वो इस्लामिक पृष्ट भूमि पर लिखते हैं तो ऐसा लगता है, जैसे बंदा अपने खुदा से आमने सामने बैठकर बात कर रहा है, और जब उनके लिखे देशभक्ति के गीत पढे या सुने जाएँ तो ऐसा लगता है, जैसे एक एक शब्द नसों मे तेज़ाब बनकर दौड़ने लगता है।
मोहम्मद इकबाल एक कवि, दार्शनिक और राजनेता थे। उन्होने ‘सारे जहां से अच्छा’ गीत बच्चों के लिए लिखा था। सबसे पहले यह रचना 16 अगस्त 1904 को इत्तेहाद नामक साप्ताहिक पत्रिका में प्रकाशित हुई। इसके बाद इकबाल ने इसे अपने बांग – ए – दरा नामक संग्रह में तराना – ए – हिन्द नामक शीर्षक में शामिल किया। यहाँ हिन्द का आशय हिन्दोस्तान यानि तत्कालीन भारत से था। जिसमे आज के पाकिस्तान और बांगलादेश भी शामिल थे। इक़बाल ने 1909 ई. में ‘शिकवा’ की रचना की, जिसमें उन्होंने मुसलमानों के ख़राब आर्थिक हालात की ख़ुदा से शिकायत की है।उनकी अधिकांश रचनाएँ फ़ारसी में हैं, तो आईये आज आपको मिलाते हैं इस महान शायर के जीवन से करीब से....
| मोहम्मद इक़बाल |
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| जन्म | 9 नवम्बर, 1877 ई. |
| जन्म भूमि | सियालकोट, पाकिस्तान |
| मृत्यु | 21 अप्रैल, 1938 ई. |
| अभिभावक | शेख़ नूर मोहम्मद (पिता), इमाम बीबी (माता) |
| पति/पत्नी | तीन पत्नियाँ- करीम बीबी, सरदार बेगम, मुख़्तार बेगम |
| संतान | मिराज बेगम (पुत्री), आफ़ताब इक़बाल, जाविद इक़बाल (पुत्र) |
| मुख्य रचनाएँ | 'शिकवा' 1909 ई., 'सिक्स लेक्चर्स ऑन दि रिकन्सट्रक्शन ऑफ़ रिलीजस थॉट' |
| भाषा | हिन्दी, अंग्रेज़ी, फ़ारसी |
| प्रसिद्धि | कवि और राजनीतिज्ञ |
मोहम्मद अल्लामा इकबाल का जन्म | Dr Muhammad Allama Iqbal Birth And Early Life
अल्लामा इक़बाल (Allama Iqbal) की पैदाइश 9 नवम्बर 1877 के दिन सियालकोट पाकिस्तान (अविभाजित भारत ) में हुई थी. इनका पूरा नाम मुहोम्मद इकबाल मसूदी था इनके वालिद का नाम शेख नूर मूहोम्मद और वालिदा का नाम इमाम बीबी था। घर की माली हालत उतनी अच्छी नहीं थी, बस गुज़रा हो जाता था. उनके वालिद ज़्यादा पढे लिखे नहीं थे, उनका काम दर्जी का था वो लोगों के कपड़े सिला करते और घर चलाया करते थे, मगर हाँ पढे लिखे नही थे मगर वो बहुत ही धार्मिक और सामाजिक व्यक्ति थे। वो हमेशा इबादत किया करते उनकी ज़िंदगी बस इन्हीं सब बातों में गुजरती रही, वहीं उनकी वालिदा भी काफी धार्मिक थीं। और खुद के हालात ठीक नहीं होने के बावजूद वो दूसरों की मदद किया करतीं, सबके सुख दुख में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया करतीं.
मोहम्मद अल्लामा इकबाल की शिक्षा | Dr Muhammad Allama Iqbal Education
इकबाल चार साल के थे, जब उन्हें कुरान पढ़ने के लिए निर्देश प्राप्त करने के लिए एक मस्जिद में भेजा गया था। उन्होंने अपने शिक्षक सईद मीर हसन, मदरसे के प्रमुख और सियालकोट के स्कॉच मिशन कॉलेज में अरबी के प्रोफेसर, जहां उन्होंने 1893 में मैट्रिक किया था, से अरबी भाषा सीखी। उन्होंने 1895 में कला संकाय के संकाय के साथ एक मध्यवर्ती स्तर प्राप्त किया। उसी वर्ष उन्होंने गवर्नमेंट कॉलेज विश्वविद्यालय में दाखिला लिया, जहाँ उन्होंने 1897 में दर्शनशास्त्र, अंग्रेजी साहित्य और अरबी में अपनी कला स्नातक की उपाधि प्राप्त की और खान बहादुरदीन FS जीता जलालुद्दीन पदक के रूप में उन्होंने अरबी में अच्छा प्रदर्शन किया। 1899 में, उन्होंने उसी कॉलेज से मास्टर ऑफ़ आर्ट्स की डिग्री प्राप्त की और पंजाब विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त किया। 1905 से 1908 तक उन्होने यूरोप में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से दर्शन में अपनी डिग्री अर्जित की इसके बाद उन्होने लंदन में बैरिस्टर के रूप में योग्यता प्राप्त की, और म्यूनिख विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट प्राप्त की। उनकी थीसिस, फारस में मेटाफिजिक्स के विकास ने पहले यूरोप में अज्ञात इस्लामी रहस्यवाद के कुछ पहलुओं को बताया।
मोहम्मद अल्लामा इकबाल का पाकिस्तान लौटना | Dr Muhammad Allama Iqbal In Pakistan
उस जमाने में PHD की Degree लेकर अल्लामा इक़बाल (Allama Iqbal) पाकिस्तान (अविभाजित भारत) लौटे सन 1908 में, और कुछ दिनों बाद ही लाहौर के एक सरकारी कॉलेज में पढ़ाने लगे, ज़िंदगी बड़े आराम से गुज़र रही थी और इसी दौर में पढ़ते पढ़ते उन्होने लाहौर के कोर्ट में कानून की Practice शुरू कर दी, मगर दिल उनका इन सब में लगता नहीं था। उनके अंदर साहित्य और शायरी की चिंगारी जलती रही, एक दिन फिर उन्होने ये कानून की सब किताबे ताक पर रख दीं और पूरी तरह से शायरी और साहित्य में डूब गए.
मोहम्मद अल्लामा इकबाल का परिवार | Dr Muhammad Allama Iqbal Family
मोहम्मद इक़बाल का जन्म ब्रिटिश भारत के समय पंजाब के सियालकोट (अब पाकिस्तान) में हुआ था। इनके पिता का नाम शेख़ नूर मोहम्मद था, जो कि पेशे से एक दर्जी थे। औपचारिक रूप से ये शिक्षित भी नहीं थे, लेकिन स्वभाव से ये बहुत ही धार्मिक व्यक्ति थे। इक़बाल की माता का नाम इमाम बीबी था, जो बहुत ही विनम्र स्वभाव की महिला थीं। ये हमेशा ही ग़रीबों तथा अपने पड़ोसियों की मदद और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए तत्पर रहती थीं। 9 नवम्बर, 1914 ई. को इमाम बीबी को निधन सियोलकोट में हो गया।
कश्मीरी पंडित थे इक़बाल के पूर्वज | Dr Muhammad Allama Iqbal And Kashmir
कहा जाता है की, अल्लामा इक़बाल (Allama Iqbal) के दादा का नाम सहज राम सप्रू था. जो की एक कश्मीरी पंडित थे। जिन्होने इस्लाम कुबूल किया और पाकिस्तान जा कर लाहौर में बस गए थे. इस तरह इक़बाल का जन्म भले ही मुस्लिम परिवार में हुआ था, मगर उनका संबंध हिन्दू खानदान से था. इक़बाल ने मुस्लिम दर्शन को एक नया आयाम दिया और सारी ज़िंदगी उन्होने इस्लाम के उसूलों पर गुज़ार दी. हालांकि उन्होने भारतीय परंपरा का भी पूरा ख्याल रखा अपनी रचनाओं में, और काफी लिखा भी दरअसल शायर को किसी मजहब और किसी सरहद में नहीं बांटा जा सकता, वो एक तरह का रचीयता होता है। वो इस बात से फर्क नहीं करता की, वो किस धर्म किस शहर से तालुक रखता है. वो बस अपने विषय के बारे में सोचता है, और उसकी के इर्द गिर्द रहता. उसको रचता है. और यही वजह है की, इक़बाल ने जहां मुस्लिम धर्म की बात की, वहीं उन्होने भगवान राम का भी ज़िक्र किया है। उनका मानना था की, राम हिंदुस्तान के संस्कृति के प्रतीक हैं. इक़बाल ने हिन्दी उर्दू फारसी और अरबी में कई सारे नगमे लिखे हैं, जिसकी वजह से न सिर्फ वो पाकिस्तान बल्कि हिंदुस्तान,अफगानिस्तान, ईरान, इराक़ और अरब देशों में काफी लोकप्रिय रहे. उन्हे इसलिए अल्लामा कहा जाने लगा था. अल्लामा का शाब्दिक अर्थ होता है विद्वान. पाकिस्तान ने उन्हे अपने राष्ट्रिय कवि का दर्जा भी दिया था.
मोहम्मद अल्लामा इकबाल की शादी | Dr Muhammad Allama Iqbal Marriage
मोहम्मद इक़बाल ने तीन विवाह किये थे। इनका पहला विवाह करीम बीबी के साथ हुआ, जो एक गुजराती चिकित्सक ख़ान बहादुर अता मोहम्मद ख़ान की पुत्री थीं। इससे इक़बाल एक पुत्री मिराज बेगम और पुत्र आफ़ताब इक़बाल के पिता बनें। इसके बाद इक़बाल ने दूसरा विवाह सरदार बेगम के साथ किया, इससे उन्हें पुत्र जाविद इक़बाल की प्राप्ति हुई। दिसम्बर 1914 में इक़बाल ने तीसरा विवाह मुख़्तार बेगम के साथ किया।
मोहम्मद अल्लामा इकबाल का करियर | Dr Muhammad Allama Iqbal Career
मुरादाबाद के शायर मंसूर उस्मानी कहते हैं कि यह बदकिस्मती है कि इक़बाल को सिर्फ़ मुसलमान शायर की तरह देखा गया। वह कहते हैं कि इक़बाल सिर्फ़ इंसानियत के तरफ़दार थे ना कि किसी एक मुल्क या मज़हब के। इक़बाल ने 1909 ई. में ‘शिकवा’ की रचना की, जिसमें उन्होंने मुसलमानों के ख़राब आर्थिक हालात की ख़ुदा से शिकायत की है। इनके द्वारा लिखी गईं रचनाएँ मुख्य रूप से फ़ारसी में हैं। इनकी अंग्रेज़ी में केवल एक पुस्तक है, जिसका शीर्षक है, 'सिक्स लेक्चर्स ऑन दि रिकन्सट्रक्शन ऑफ़ रिलीजस थॉट (धार्मिक चिन्तन की नवव्याख्या के सम्बन्ध में छह व्याख्यान)' है।
इनकी प्रमुख रचनाएं हैं: असरार-ए-ख़ुदी, रुमुज़-ए-बेख़ुदी और बंग-ए-दारा, जिसमें देशभक्तिपूर्ण तराना-ए-हिन्द (सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा) शामिल है। इनके द्वारा लिखी गईं रचनाएँ मुख्य रूप से फ़ारसी में हैं। इक़बाल ने अंग्रेज़ी भाषा में केवल एक ही पुस्तक लिखी है, जिसका शीर्षक है, ‘सिक्स लेक्चर्स ऑन दि रिकन्सट्रक्शन ऑफ़ रिलीजस थॉट (धार्मिक चिन्तन की नवव्याख्या के सम्बन्ध में छह व्याख्यान)" है। भारत के विभाजन और पाकिस्तान की स्थापना का विचार सबसे पहले इक़बाल ने ही उठाया था। साल 1930 में इक़बाल के नेतृत्व में ही ‘मुस्लिम लीग" ने सबसे पहले भारत के विभाजन की माँग उठाई थी। मोहम्मद इक़बाल को अलामा इक़बाल (विद्वान इक़बाल), मुफ्फकिर-ए-पाकिस्तान (पाकिस्तान का विचारक), शायर-ए-मशरीक़ (पूरब का शायर) और हकीम-उल-उम्मत (उम्मा का विद्वान) के नाम से भी जाना जाता है। इन्हें पाकिस्तान में राष्ट्रकवि माना जाता है।
मोहम्मद अल्लामा इकबाल का योगदान | Dr Muhammad Allama Iqbal Literature
भारत के विभाजन और पाकिस्तान की स्थापना का विचार सबसे पहले इक़बाल ने ही उठाया था। 1930 में उन्हीं के नेतृत्व में मुस्लिम लीग ने सबसे पहले भारत के विभाजन की माँग उठाई। इसके बाद उन्होंने मुहम्मद अली जिन्ना को भी मुस्लिम लीग में शामिल होने के लिए प्रेरित किया और उनके साथ पाकिस्तान की स्थापना के लिए काम किया।
मोहम्मद अल्लामा इकबाल की रचनाएँ | Dr Muhammad Allama Iqbal Writing
उन्होने ‘सारे जहां से अच्छा’ गीत बच्चों के लिए लिखा था। सबसे पहले यह रचना 16 अगस्त 1904 को इत्तेहाद नामक साप्ताहिक पत्रिका में प्रकाशित हुई। इसके बाद इकबाल ने इसे अपने बांग – ए – दरा नामक संग्रह में तराना – ए – हिन्द नामक शीर्षक में शामिल किया। यहाँ हिन्द का आशय हिन्दोस्तान यानि तत्कालीन भारत से था। जिसमे आज के पाकिस्तान और बांगलादेश भी शामिल थे। इक़बाल ने 1909 ई. में ‘शिकवा’ की रचना की, जिसमें उन्होंने मुसलमानों के ख़राब आर्थिक हालात की ख़ुदा से शिकायत की है।उनकी अधिकांश रचनाएँ फ़ारसी में हैं। फ़ारसी में लिखी इनकी शायरी ईरान और अफ़ग़ानिस्तान में बहुत प्रसिद्ध है, जहाँ इन्हें इक़बाल-ए-लाहौर कहा जाता है। इन्होंने इस्लाम के धार्मिक और राजनैतिक दर्शन पर काफ़ी लिखा है।
मोहम्मद अल्लामा इकबाल राष्ट्रकवि | Dr Muhammad Allama Iqbal As National Poet
उन्हें पाकिस्तान में राष्ट्रकवि माना जाता है। उन्हें अलामा इक़बाल (विद्वान इक़बाल), मुफ्फकिर-ए-पाकिस्तान (पाकिस्तान का विचारक), शायर-ए-मशरीक़ (पूरब का शायर) और हकीम-उल-उम्मत (उम्मा का विद्वान) भी कहा जाता है। उनकी पहली कविता किताब, द सेक्रेट्स ऑफ द सेल्फ, 1915 में फारसी भाषा में दिखाई दी, और कविता की अन्य पुस्तकों में द सेक्रेट्स ऑफ सेल्लेसनेस, द मैसेज ऑफ़ द ईस्ट एंड फारसी स्तोत्र शामिल हैं। इनमें से, उनके सबसे प्रसिद्ध उर्दू काम द कॉल ऑफ़ द मार्चिंग बेल, गेब्रियल विंग, मूसा की रॉड और हिजाज से उपहार का एक हिस्सा हैं। अपने उर्दू और फारसी कविता के साथ, उनके उर्दू और अंग्रेजी व्याख्यान और पत्र सांस्कृतिक, सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक विवादों में बहुत प्रभावशाली रहे हैं।
मुस्लिम राज्य का विचार
यूरोप धन और सत्ता के लिए पागल है। इस्लाम ही एकमात्र धर्म है, जो सच्चे जीवन मूल्यों का निर्माण कर सकता है और अनवरत संघर्ष के द्वारा प्रकृति के ऊपर मनुष्य को विजयी बना सकता है। उनकी रचनाओं ने भारत के मुसलमान युवकों में यह भावना भर दी कि, उनकी एक पृथक् भूमिका है। इक़बाल ने ही सबसे पहले 1930 ई. में भारत के सिंध के भीतर उत्तर-पश्चिम सीमाप्रान्त, बलूचिस्तान, सिंध तथा कश्मीर को मिलाकर एक नया मुस्लिम राज्य बनाने का विचार रखा, जिसने पाकिस्तान को जन्म दिया। पाकिस्तान शब्द इक़बाल का गढ़ा हुआ नहीं है। इसे 1933 ई. में 'चौधरी रहमत अली' ने गढ़ा था। इक़बाल की काव्य प्रतिभा से प्रभावित होकर ब्रिटिश सरकार ने इन्हें 'सर' की उपाधि प्रदान की।
मोहम्मद अल्लामा इकबाल को नाइट की उपाधि | Dr Muhammad Allama Iqbal
अल्लामा इक़बाल इंग्लैंड चले गए थे, पढ़ाई के लिए वहाँ वो अंग्रेजों से काफी प्रभावित हुए। वहाँ रहते हुए उनके दिमाग पर अंग्रेजों की फूट डालो और शासन करो वाली नीति ने घर कर लिया, वो धीरे धीरे इस्लाम के मुख्य दर्शन से भटक गए और कट्टरवाद की ओर उनका झुकाव हो गया वो दौर था. जब अंग्रेजों की हुकूमत थी, हिंदुस्तान पर और सारा देश अपनी आज़ादी के लिए अंग्रेज़ी सरकार से लड़ रहा था। हाँ ये अलग बात थी की, कोई शांतिप्रिय तरीके से लड़ रहा था तो कोई उग्र तरीके लिए हुए लड़ रहा था. मगर सबका मकसद एक था कैसे भी करके देश को आज़ाद करवाना है। मगर अंग्रेज़ भी इतनी आसानी से हार मनाने वाले नहीं थे, वो भी अपनी जुगत में लगे हुए थे की, कैसे अपनी पकड़ हिंदुस्तान पर और मजबूत की जाए। जिसके लिए वो हिन्दू मुस्लिम एकता में सेंध लगा रहे थे, और कहीं कहीं कामयाब भी नज़र आ रहे थे। उनकी इसी चाल का शिकार बन गए, शायद अल्लामा इक़बाल जिसका नतीजा ये हुआ की, सन 1922 में अग्रेज़ी हुकूमत ने उन्हे नाइट की उपाधि दी, और उन्होने खुशी खुशी उसको स्वीकार कर लिया.
मोहम्मद अल्लामा इकबाल के पुरस्कार और सम्मान | Dr Muhammad Allama Iqbal Awards
उन्हें पाकिस्तान का वैचारिक संस्थापक माना जाता है। उनके जन्मदिन को पाकिस्तान में इकबाल दिवस के रूप में मनाया जाता है, और 2018 तक यह सार्वजनिक अवकाश भी था। इक़बाल की काव्य प्रतिभा से प्रभावित होकर ब्रिटिश सरकार ने इन्हें ‘सर" की उपाधि प्रदान की। इकबाल कई सार्वजनिक संस्थानों का नाम है, जिनमें लाहौर में अल्लामा इकबाल कैंपस पंजाब यूनिवर्सिटी, लाहौर में अल्लामा इकबाल मेडिकल कॉलेज, फैसलाबाद में इकबाल स्टेडियम, पाकिस्तान में अल्लामा इकबाल ओपन यूनिवर्सिटी, श्रीनगर में इकबाल मेमोरियल इंस्टीट्यूट, यूनिवर्सिटी में अल्लामा इकबाल लाइब्रेरी शामिल हैं। कश्मीर का लाहौर का अल्लामा इकबाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, गवर्नमेंट कॉलेज यूनिवर्सिटी का इकबाल हॉस्टल, लाहौर, मुल्तान में निश्तर मेडिकल कॉलेज में अल्लामा इकबाल हॉल, कराची में गुलशन-ए-इकबाल टाउन, लाहौर में अल्लामा इकबाल टाउन, अल्लामा इकबाल हॉल में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया में अल्लामा इकबाल छात्रावास और इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, लाहौर में इकबाल हॉल।
मोहम्मद अल्लामा इकबाल की दूरदरर्शिता | Allama Iqbal’s Foresight
ब्रिटेन और जर्मनी में पढ़ाई करने के बाद भारत लौट आयें. भारत में अंग्रेजों के द्वारा व्याप्त भ्रष्टाचार, शोषण और अन्य मुश्किलों को लेकर जो जंग चल रही थी उसे और बड़ा बनाने के लिए उन्होंने कहा था –
वतन की फ़िक्र कर नादां, मुसीबत आने वाली है
तेरी बरबादियों के चर्चे हैं आसमानों में,
ना संभलोगे तो मिट जाओगे ऐ हिन्दोस्तां वालों
तुम्हारी दास्ताँ भी न होगी दास्तानों में.
मोहम्मद अल्लामा इकबाल से सम्बन्धित अन्य तथ्य | Dr Muhammad Allama Iqbal Interesting Facts
- मुहम्मद इक़बाल को अल्लमा इकबाल ( विद्वान् इक़बाल ), मुफ्फकिर-ए-पाकिस्तान ( पाकिस्तान का विचारक ), शायर-ए-मशरीक (पूरब का शायर) और हकीम-उल-उम्मत ( उम्मा का विद्वान् ) आदि नामों से भी जाना जाता हैं.
- इक़बाल की बेहतरीन रचनाओं से प्रभावित होकर ब्रिटिश सरकार ने उन्हें ‘सर’ की उपाधि प्रदान की.
- भारत के विभाजन और पकिस्तान की स्थापना का विचार सबसे पहले इकबाल ने ही उठाया था.
- सन् 1930 ई. में इकबाल के नेतृत्व में ही ‘मुस्लिम लीग’ ने सबसे पहले भारत के विभाजन की मांग उठाई थी.
- इकबाल ने अंग्रेजी भाषा में एक पुस्तक लिखा था जिसका शीर्षक है : Six Lectures on the Reconstruction of Religious Thought – सिक्स लेक्चर्स ऑन दि रिकंस्ट्रक्शन ऑफ़ रिलीजस थॉट (धार्मिक चिन्तन की नवव्याख्या के सम्बन्ध में छः व्याख्यान) है.
मोहम्मद अल्लामा इकबाल का निधन | Dr Muhammad Allama Iqbal Death
मोहम्मद इक़बाल की मृत्यु 21 अप्रैल 1938 (आयु 60 वर्ष) लाहौर , पंजाब , ब्रिटिश भारत (वर्तमान पंजाब , पाकिस्तान )में गले की एक रहस्यमय बीमारी हुई थी।
मोहम्मद अल्लामा इकबाल प्रश्नोत्तर | Dr Muhammad Allama Iqbal FAQs
Ans. मोहम्मद इक़बाल का जन्म 09 नवम्बर 1877 को सियालकोट, पाकिस्तान में हुआ था।
Ans. मोहम्मद इक़बाल को 1904 में सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा ग़ज़ल के लेखक के रूप में जाना जाता है।
Ans. मोहम्मद इक़बाल की मृत्यु 21 अप्रैल 1938 को हुई थी।
Ans. मोहम्मद इक़बाल के पिता का नाम शेख़ नूर मोहम्मद था।
Ans. मोहम्मद इक़बाल की माता का नाम इमाम बीबी था।
Ans. मोहम्मद इक़बाल को अलामा इक़बाल और मुफ्फकिर-ए-पाकिस्तान के उपनाम से जाना जाता है।