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Dagh Dehlvi Shayari: मशहूर शायर दाग देहलवी के वो बेहतरीन शेर जो दिखाते हैं एहसास-ए-मोहब्बत 

 

एक कहावत मशहूर है कि ‘पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं’ अगर यही पालना किसी शायर के घर हो, तो पूत में भी शायरी के कुछ आना लाज़मी है. ऐसा ही कुछ दाग़ देहलवी के साथ भी था, जो मुगल बादशाह बहादुर शाह जफ़र के वंशज थे. वहीं बहादुर शाह जफ़र, जिनके दरबार में शायरों का बड़ा रुतबा था और वो ख़ुद भी बड़े शायर थे. शेर-ओ-शायरी के ऐसे माहौल में पैदा हुए नवाब मिर्ज़ा खां, जिन्हें आगे चल कर लोगों ने दाग़ देहलवी के नाम से पहचाना. नवाब मिर्ज़ा खां ने ख़ुद को ‘दाग़’ नाम शायद इसलिए भी दिया, क्योंकि इसका अर्थ घाव से था. वो घाव जो इश्क़ में टूटने के बाद किसी को मिलता है. इसी का असर है कि जितनी शिद्दत के साथ दाग़ की ग़ज़लें मोहब्बत करती हुई दिखाई देती है उतनी किसी और शायर की नहीं. आज इसी शायर के तरकश में से हम शेर-ओ-शायरी के कुछ ऐसे तीर निकाल कर लाये हैं, जिनकी दाग़ आप अपने दिल पर भी महसूस कर सकते हैं.....