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Amir Khusrow Shayari: तूती-ए-हिंद अमीर खुसरो की लिखी कुछ सबसे मशहूर शायरियां 

 

अमीर ख़ुसरो एक प्रमुख कवि, शायर, गायक और संगीतकार थे। संगीत और कला में उनका परिवार की कई पीढ़िया राज दरबार से सम्बन्ध रखती थी। अमीर खुसरो ने अपने जीवन काल में कुल 8 सुल्तानों का शासन देखा। आपको बता दे की उस समय अमीर खुसरो पहले मुस्लिम शायर/कवि थे जिन्होंने हिंदी में अपनी रचनाये की। अधिकतर अमीर खुसरो शायरी हिंदी में लिखा करते थे और सबसे ख़ास बात ये थी की अमीर खुसरो उर्दू शायरी में भी खूब हिंदी शब्दों प्रयोग करते थे।

अमीर ख़ुसरो को खड़ी बोली का आविष्कारक कहा जाता है। खुसरो अपनी पहेलियों और मुकरियों के लिए मसहूर थे। खुसरो एक फारसी के कवी थे उन्होंने ही सबसे पहले अपनी भाषा के लिए हिन्दवी शब्द का उल्लेख किया था। अमीर खुसरो की शायरी और ग्रंथो की लम्बी सूची है जिनका प्रयोग इतिहास के स्रोत रूप में किया जाता है। आपको बता दे की अमीर खुसरो को हिन्द का तोता कहा जाता है, तो आईये आज आपको मिलाएं इनकी कुछ सबसे मशहूर शायरियों से....

संतों की निंदा करे, रखे पर नारी से हेत,
वे नर ऐसे जाऐंगे, जैसे रणरेही का खेत।

चकवा चकवी दो जने इन मत मारो कोय,
ये मारे करतार के रैन बिछोया होय।

खुसरो पाती प्रेम की बिरला बाँचे कोय,
वेद, कुरान, पोथी पढ़े, प्रेम बिना का होय।

अपनी छवि बनाई के मैं तो पी के पास गई,
जब छवि देखी पीहू की सो अपनी भूल गई।

खुसरो बाजी प्रेम की मैं खेलूँ पी के संग,
जीत गयी तो पिया मोरे हारी पी के संग।

अंगना तो परबत भयो देहरी भई विदेस,
जा बाबुल घर आपने मैं चली पिया के देस।

आ साजन मोरे नयनन में, सो पलक ढाप तोहे दूँ,
न मैं देखूँ और न को, न तोहे देखन दूँ,

रैन बिना जग दुखी और दुखी चन्द्र बिन रैन,
तुम बिन साजन मैं दुखी और दुखी दरस बिन नैंन।

साजन ये मत जानियो तोहे बिछड़त मोहे को चैन,
दिया जलत है रात में और जिया जलत बिन रैन।

अंगना तो परबत भयो, देहरी भई विदेस,
जा बाबुल घर आपने, मैं चली पिया के देस।

साजन ये मत जानियो तोहे बिछड़त मोहे को चैन,
दिया जलत है रात में और जिया जलत बिन रैन।

खुसरो बाजी प्रेम की मैं खेलूं पी के संग,
जीत गयी तो पिया मोरे हारी पी के संग।

खुसरो सरीर सराय है क्यों सोवे सुख चैन,
कूच नगारा सांस का, बाजत है दिन रैन

खुसरो ऐसी पीत कर जैसे हिन्दू जोय,
पूत पराए कारने जल जल कोयला होय।

खुसरो सरीर सराय है क्यों सोवे सुख चैन,
कूच नगारा सांस का, बाजत है दिन रैन।