गुरुवार के दिन नारायण अष्टकम का पाठ क्यों लाता है घर में सुख-शांति और समृद्धि? वायरल वीडियो में जाने इसका आध्यात्मिक रहस्य 

 
गुरुवार के दिन नारायण अष्टकम का पाठ क्यों लाता है घर में सुख-शांति और समृद्धि? वायरल वीडियो में जाने इसका आध्यात्मिक रहस्य 

गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। कई लोग अपने गुरु ग्रह को मजबूत करने, जीवन में सुख, शांति और समृद्धि के लिए गुरुवार का व्रत रखते हैं। अगर आप गुरुवार का व्रत रखते हैं तो पूरे विधि-विधान से पूजा करें और फिर कथा पढ़ने के बाद नारायण अष्टकम का पाठ करने से व्यक्ति को कई लाभ मिलते हैं। हमारे एस्ट्रो एक्सपर्ट शिवम पाठक ने इस पाठ के लाभों के बारे में बताया है, आइए जानते हैं इसके बारे में...

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नारायण अष्टक पाठ के लाभ
नियमित पाठ से मन को शांति और आत्मिक संतुष्टि मिलती है।
यह पाठ जीवन की परेशानियों और समस्याओं से मुक्ति दिलाने में सहायक है।
नारायण अष्टक का पाठ करने से पापों का नाश होता है।
भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में धन और समृद्धि आती है।
यह पाठ भय और चिंता को दूर करता है और साहस और आत्मविश्वास प्रदान करता है।

श्री नारायणाष्टकम्
सेव्य: श्रीपतिरेक एव जगतामेतेऽभवन्साक्षिण: प्रहलादश्च विभीषणश्च करिराट् पांचाल्यहल्या ध्रुव” ।।1।।
प्रहलादास्ति यदीश्वरो वद हरि: सर्वत्र मे दर्शय स्तम्भे चैवमिति ब्रुवन्तमसुरं तत्राविरासीद्धरि: ।
वक्षस्तस्य विदारयन्निजनखैर्वात्सल्यमापादयन्नार्तत्राणपरायण: स भगवान्नारायणो मे गति: ।।2।।
श्रीरामात्र विभीषणोऽयमनघो रक्षोभयादागत: सुग्रीवानय पालयैनमधुना पौलस्त्यमेवागतम् ।
इत्युक्त्वाभयमस्य सर्वविदितं यो राघवो दत्तवानार्त ।।3।।
नक्रग्रस्तपदं समुद्धतकरं ब्रह्मादयो भो सुरा: पाल्यन्तामिति दीनवाक्यकरिणं देवेश्वशक्तेषु य: ।
मा भैषीरिति यस्य नक्रहनने चक्रायुध: श्रीधर । आर्त ।।4।।
भो कृष्णाच्युत भो कृपालय हरे भो पाण्डवानां सखे क्वासि क्वासि सुयोधनादपह्रतां भो रक्ष मामातुराम् ।
इत्युक्तोऽक्षयवस्त्रसंभृततनुं योऽपालयद्द्रौपदीमार्त ।।5।।
यत्पादाब्जनखोदकं त्रिजगतां पापौघविध्वंसनं यन्नामामृतपूरकं च पिबतां संसारसंतारकम् ।
पाषाणोऽपि यद्न्घ्रिपद्मरजसा शापान्मुनेर्मोचित । आर्त ।।6।।
पित्रा भ्रातरमुत्तमासनगतं चौत्तानपादिर्ध्रुवो दृष्ट्वा तत्सममारूरुक्षुरधृतो मात्रावमानं गत: ।
यं गत्वा शरणं यदाप तपसा हेमाद्रिसिंहासनमार्त ।।7।।
आर्ता विषन्णा: शिथिलाश्च भीता घोरेषु च व्याधिषु वर्तमाना: ।
संकीत्र्य नारायणशब्दमात्रं विमुक्तदु:खा: सुखिनो भवन्ति ।।8।।