×

श्री गणपति द्वादश नाम स्तोत्रम् का नियमित जाप बढ़ाएगा आपका आत्मविश्वास, वायरल फुटेज में देखे इसकी सही उच्चारण विधि 

 

आधुनिक जीवनशैली में जहां तनाव, डर और आत्मविश्वास की कमी ने घर कर लिया है, वहां प्राचीन मंत्र और स्तोत्र आज भी हमारे जीवन को स्थिर और संतुलित करने में सक्षम हैं। इन्हीं में से एक है "श्री गणपति द्वादश नाम स्तोत्रम्", जो भगवान गणेश के 12 पवित्र नामों का एक स्तोत्र है। इसका नियमित पाठ केवल धार्मिक लाभ ही नहीं देता, बल्कि मानसिक शक्ति, आत्मबल और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण भी विकसित करता है।

<a href=https://youtube.com/embed/wZF27yK0p68?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/wZF27yK0p68/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden"" title="श्री गणपति द्वादश नाम स्तोत्रम् | Ganesh Dwadashanaam Stotram | पंडित श्रवण कुमार शर्मा द्वारा" width="695">
क्या है श्री गणपति द्वादश नाम स्तोत्रम्?
श्री गणपति द्वादश नाम स्तोत्रम् भगवान गणेश के बारह विशेष और प्रभावशाली नामों का संग्रह है, जिनका जाप करने से मन को शांति मिलती है और कई प्रकार के मानसिक व आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। इस स्तोत्र का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है, और इसे विशेष रूप से संकटों के समय, नई शुरुआतों से पहले और मानसिक स्थिरता के लिए पढ़ा जाता है।

आत्मविश्वास की वृद्धि में कैसे करता है सहायता?
जब कोई व्यक्ति नियमित रूप से इस स्तोत्र का जाप करता है, तो उसकी मनःस्थिति में बड़ा परिवर्तन देखा जा सकता है। भगवान गणेश को "विघ्नहर्ता" यानी विघ्नों को दूर करने वाला कहा जाता है। जब व्यक्ति प्रतिदिन सुबह के समय एक शांत मन से गणपति के इन 12 नामों का स्मरण करता है, तो न केवल उसके कार्यों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, बल्कि उसका आत्मविश्वास भी धीरे-धीरे मजबूत होने लगता है।
विशेषकर छात्रों, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं और ऑफिस में तनाव से जूझ रहे कर्मचारियों के लिए यह स्तोत्र आत्मबल का एक महान साधन बन सकता है।

डर और आलस्य क्यों होते हैं कम?
डर और आलस्य दोनों ही हमारे मानसिक और शारीरिक विकास में बाधा उत्पन्न करते हैं। गणपति जी को बुद्धि और विवेक के देवता माना जाता है। जब हम उनके बारह नामों का जाप करते हैं, तो हमारे चित्त की चंचलता कम होती है और हम अपने लक्ष्य की ओर अधिक केंद्रित हो जाते हैं। धीरे-धीरे डर, भ्रम और असमंजस की स्थिति कम होने लगती है।
साथ ही, यह स्तोत्र ऊर्जा का संचार करता है जिससे शरीर में नया उत्साह और क्रियाशीलता आती है, और आलस्य स्वतः ही दूर हो जाता है।

कैसे करें पाठ?
प्रतिदिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर शांत वातावरण में बैठ जाएं।
भगवान गणेश की प्रतिमा या तस्वीर के समक्ष दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
मन को एकाग्र कर "श्री गणपति द्वादश नाम स्तोत्रम्" का उच्चारण करें।
स्तोत्र के पाठ के बाद थोड़ी देर ध्यान करें और गणपति से मार्गदर्शन की प्रार्थना करें।

जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव
जो लोग इस स्तोत्र को अपनी सुबह की दिनचर्या में शामिल करते हैं, उन्होंने समय के साथ अपने व्यवहार, सोच और क्रियाशीलता में बदलाव महसूस किया है। न केवल उनका आत्मविश्वास बढ़ा है, बल्कि वे नकारात्मकता और डर से भी काफी हद तक मुक्त हो गए हैं।
ध्यान, प्रार्थना और मंत्र जाप जैसे सरल साधन आधुनिक भागदौड़ भरे जीवन में एक संजीवनी का कार्य कर सकते हैं।