प्रेम है आत्मा का जुड़ाव और वासना सिर्फ शरीर की भूख! कहीं आप भी तो नहीं कर रहे दोनों एक समझने की गलती, वीडियो में जाने गहरा अंतर
आज के दौर में जहां रिश्तों की परिभाषा तेजी से बदल रही है, वहीं एक सबसे बड़ा भ्रम यह भी है कि लोग वासना और प्रेम को एक ही समझने लगे हैं। सोशल मीडिया, वेब सीरीज़ और तेज़ी से बदलती जीवनशैली ने जिस भावना को “कनेक्शन” कहा है, वह अक्सर सिर्फ शारीरिक आकर्षण तक सिमट कर रह जाती है। ऐसे में सवाल उठता है – क्या हम सच में प्यार कर रहे हैं, या महज वासना के बंधन में बंधे हैं?
प्रेम – आत्मा से आत्मा का जुड़ाव
प्रेम एक ऐसी भावना है जो बिना किसी स्वार्थ के जन्म लेती है। इसमें न तो सिर्फ शरीर होता है और न ही कोई "डील"। यह दो आत्माओं के बीच का गहरा, निश्छल और निस्वार्थ संबंध होता है। जब आप किसी की अच्छाई-बुराई, हर रूप में उसे स्वीकार कर पाते हैं, उसके दुख में रोते और सुख में मुस्कराते हैं – तब वो प्रेम होता है।प्रेम में अपनापन होता है, सुरक्षा का भाव होता है और सबसे बड़ी बात – स्वतंत्रता होती है। प्रेम किसी पर हावी नहीं होता, बल्कि उसे आज़ाद रखता है। वह व्यक्ति के जीवन को समृद्ध करता है, न कि सिर्फ कुछ पलों की संतुष्टि तक सीमित रहता है।
वासना – शरीर की भूख, आत्मा से दूर
दूसरी ओर वासना सिर्फ शरीर से जुड़ी होती है। इसमें आत्मा का कोई स्थान नहीं होता। वासना की बुनियाद ही आकर्षण पर टिकी होती है – रूप, आवाज, पहनावे, शरीर। यह बहुत तेज़ होती है, लेकिन उतनी ही जल्दी खत्म भी हो जाती हैवासना का रिश्ता तब तक रहता है जब तक सामने वाला आपकी कामनाओं को पूरा करता है। जैसे ही वह आकर्षण फीका पड़ता है, या आपकी अपेक्षाएं पूरी नहीं होतीं – वह रिश्ता टूट जाता है। इसमें न भावनाएं होती हैं, न ही संवेदनशीलता। यही कारण है कि ऐसे रिश्ते अक्सर कड़वाहट और पछतावे में बदल जाते हैं।
भ्रम कहां होता है?
अक्सर युवा वर्ग या पहली बार किसी के करीब जा रहे लोग वासना और प्रेम को अलग-अलग पहचान नहीं पाते। किसी का साथ अच्छा लगना, उसके लिए बेचैनी महसूस करना, उसकी नज़दीकी में उत्तेजना महसूस करना – इन्हें लोग प्रेम समझ बैठते हैं। जबकि यह सिर्फ आकर्षण भी हो सकता है।प्रेम और वासना दोनों ही मानवीय भावनाएं हैं, और इनका होना स्वाभाविक है। लेकिन इनके बीच का फ़र्क़ समझना बेहद ज़रूरी है ताकि आप सही निर्णय ले सकें – खासकर जब जीवनभर का रिश्ता बनाने जा रहे हों।
कैसे पहचानें कि यह प्रेम है या वासना?
प्रेम में आप उसके स्वभाव, सोच, संघर्ष और सपनों से जुड़ते हैं।
वासना में आप सिर्फ उसके शरीर, रूप या नज़दीकी से जुड़ते हैं।
प्रेम आपको अंदर से शांत करता है।
वासना आपको अस्थायी उत्तेजना देती है।
प्रेम में दूरी भी रिश्ते को नहीं तोड़ती।
वासना में दूरी रिश्ते को बेमानी बना देती है।