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गरुड़ पुराण का जीवन सूत्र! इस वायरल वीडियो में जानें किन आदतों से टूटते हैं रिश्ते और कैसे बचाया जा सकता है अपनों का विश्वास

 

भारतीय संस्कृति और जीवन दर्शन में गरुड़ पुराण का विशेष महत्व माना गया है। इसे केवल मृत्यु और परलोक से जुड़ा ग्रंथ समझना एक भूल है, क्योंकि इसमें जीवन को सही दिशा देने वाले अनेक सूत्र भी बताए गए हैं। गरुड़ पुराण मानव जीवन के उत्थान, रिश्तों की गहराई और सामाजिक समरसता पर गहन प्रकाश डालता है। इसमें स्पष्ट कहा गया है कि यदि इंसान अपने व्यवहार और आचरण पर नियंत्रण नहीं रखता, तो अच्छे-भले रिश्तों में भी दरार पड़ जाती है। आइए विस्तार से समझते हैं कि गरुड़ पुराण के अनुसार किन आदतों और व्यवहार से रिश्ते कमजोर होते हैं और उनसे कैसे बचा जा सकता है।

<a style="border: 0px; overflow: hidden" href=https://youtube.com/embed/K-gyz9D_qLE?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/K-gyz9D_qLE/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" title="गरुड़ पुराण के अनुसार अच्छा वक्त आने से पहले मिलते हैं ये 8 संकेत। सकारात्मक संकेत | Garud Puran |" width="695">

1. अहंकार रिश्तों का सबसे बड़ा शत्रु

गरुड़ पुराण में लिखा है कि अहंकार व्यक्ति को धीरे-धीरे अकेला कर देता है। जब इंसान हर रिश्ते में "मैं" और "मेरा" को सबसे ऊपर रखने लगता है, तो आपसी सामंजस्य टूट जाता है। चाहे पति-पत्नी का रिश्ता हो, भाई-बहन या दोस्ती का, हर जगह विनम्रता और समझदारी जरूरी है। अहंकार से बचने के लिए हमेशा दूसरों की बात को सुनने और उनके दृष्टिकोण को समझने की आदत डालनी चाहिए।

2. झूठ और छल कपट से खत्म होता है विश्वास

रिश्तों की नींव विश्वास पर टिकी होती है। गरुड़ पुराण बताता है कि यदि कोई व्यक्ति अपने करीबी लोगों से बार-बार झूठ बोलता है या छल करता है, तो भरोसा टूट जाता है। एक बार टूटा विश्वास फिर से पूरी तरह नहीं जुड़ पाता। इसलिए हर रिश्ते में पारदर्शिता और ईमानदारी बनाए रखना आवश्यक है। सच कभी-कभी कठिन लगता है, लेकिन यही लंबे समय तक संबंधों को मजबूती देता है।

3. कटु वाणी और क्रोध से आती है दूरी

गरुड़ पुराण में कहा गया है कि वाणी इंसान का सबसे बड़ा आभूषण है। यदि वाणी में कटुता और क्रोध भरा हो, तो सबसे करीबी रिश्ते भी टूटने लगते हैं। पति-पत्नी या परिवार के सदस्यों के बीच बार-बार गुस्से से बात करने से मनमुटाव बढ़ जाता है। क्रोध पर काबू पाने और मीठे शब्दों का प्रयोग करने से संबंधों में मिठास बनी रहती है।

4. स्वार्थ और उपेक्षा का व्यवहार

ग्रंथ में यह भी कहा गया है कि जब कोई व्यक्ति केवल अपने फायदे को देखता है और दूसरों की भावनाओं को नजरअंदाज करता है, तो रिश्ते खोखले हो जाते हैं। रिश्तों में उपेक्षा सबसे बड़ा विष है। चाहे माता-पिता हों, जीवनसाथी या मित्र—उनकी भावनाओं और आवश्यकताओं को समझना और समय पर साथ देना जरूरी है।

5. ईर्ष्या और तुलना

गरुड़ पुराण के अनुसार रिश्तों में दरार का एक बड़ा कारण ईर्ष्या भी है। जब हम लगातार दूसरों से तुलना करते रहते हैं, तो असंतोष पैदा होता है। यह असंतोष धीरे-धीरे रिश्तों को कमजोर कर देता है। समाधान यह है कि हर व्यक्ति और हर रिश्ता अपनी जगह अनोखा है। तुलना करने की बजाय आभार प्रकट करना सीखें।

रिश्तों को बचाने के उपाय (गरुड़ पुराण के अनुसार)

  • विनम्रता और धैर्य अपनाएं: बातचीत में संयम रखें और दूसरों की राय का सम्मान करें।

  • सत्य बोलने की आदत डालें: रिश्तों को मजबूत रखने के लिए सच और पारदर्शिता सबसे आवश्यक है।

  • गुस्से पर नियंत्रण रखें: छोटे विवादों को बड़ा बनने से रोकने के लिए शांतिपूर्ण व्यवहार करें।

  • समय और महत्व दें: प्रियजनों को उपेक्षित न करें, उनके साथ समय बिताएं और उनकी भावनाओं को समझें।

  • सकारात्मक सोच अपनाएं: तुलना और ईर्ष्या से बचें, रिश्तों को प्रेम और सहयोग से आगे बढ़ाएं।