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वायरल वीडियो में जाने अहंकार के भयानक नुकसान, जानिए ये कैसे धीरे-धीरे अंदर से मनुष्य को कर देता है अकेला और तनावग्रस्त 

 

आज के तेज़ जीवन और लगातार बढ़ती प्रतिस्पर्धा के दौर में अहंकार एक ऐसा मानसिक रोग बनता जा रहा है, जो धीरे-धीरे व्यक्ति के जीवन को अकेलापन और तनाव से भर देता है। विशेषज्ञों के अनुसार, अहंकार केवल व्यक्तित्व का एक पहलू नहीं है, बल्कि यह मनुष्य के मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक जीवन पर गहरा असर डालता है।

<a style="border: 0px; overflow: hidden" href=https://youtube.com/embed/YBUXd5NCp9g?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/YBUXd5NCp9g/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" title="अहंकार का त्याग कैसे करें | ओशो के विचार | Osho Hindi Speech | अहंकार क्या है और इसे कैसे पराजित करे" width="1250">

अहंकार, यानी आत्म-महत्व की अत्यधिक भावना, व्यक्ति को दूसरों की बात सुनने से रोकता है। जब कोई व्यक्ति अपने आप को हमेशा सही मानता है और दूसरों के विचारों को नकार देता है, तो उसके संबंध धीरे-धीरे कमजोर होने लगते हैं। यह अकेलेपन का पहला संकेत होता है। परिवार, मित्र और सहयोगी धीरे-धीरे उससे दूरी बनाने लगते हैं, क्योंकि लगातार अहंकारी व्यवहार से रिश्तों में तनाव उत्पन्न होता है।

मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. अंजलि वर्मा का कहना है कि अहंकार का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि व्यक्ति अपने भीतर के वास्तविक भावनाओं और जरूरतों से कट जाता है। वह किसी के साथ अपने मन की बात साझा नहीं करता, जिससे तनाव और मानसिक बोझ बढ़ता है। यह तनाव न केवल मानसिक बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डालता है। लगातार गुस्सा, क्रोध और असंतोष की भावना हृदय और पाचन तंत्र जैसी शारीरिक प्रक्रियाओं को प्रभावित कर सकती है।

अहंकार का प्रभाव केवल व्यक्तिगत जीवन तक सीमित नहीं रहता। कार्यस्थल पर भी यह समस्या गंभीर रूप ले सकती है। जो कर्मचारी या अधिकारी लगातार अहंकारी रहते हैं, उनके सहयोगी उनसे दूरी बनाने लगते हैं, टीम वर्क कमजोर होता है और परियोजनाओं में बाधा आती है। इस स्थिति में व्यक्ति को न केवल अकेलापन महसूस होता है, बल्कि करियर में भी बाधाएं आने लगती हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, अहंकार को कम करने का सबसे प्रभावी तरीका है आत्ममूल्यांकन और आत्म-चिंतन। नियमित रूप से अपने व्यवहार का विश्लेषण करना और यह समझना कि कब आप दूसरों की भावनाओं को अनदेखा कर रहे हैं, व्यक्ति को अहंकार से लड़ने में मदद करता है। इसके अलावा, ध्यान और योग जैसी मानसिक स्वास्थ्य तकनीकें भी अहंकार को नियंत्रित करने में लाभकारी साबित हो रही हैं।

सामाजिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो, अहंकार व्यक्ति को अकेलेपन की ओर धकेलता है। लोग स्वाभाविक रूप से ऐसे व्यक्तियों से दूरी बनाते हैं जो दूसरों के विचारों और भावनाओं का सम्मान नहीं करते। धीरे-धीरे यह अकेलापन गहरा मानसिक तनाव में बदल जाता है, जिससे डिप्रेशन जैसी गंभीर मानसिक बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है।मनोवैज्ञानिक सलाह यह है कि अहंकार से बचने के लिए नियमित रूप से सहानुभूति और विनम्रता का अभ्यास करें। दूसरों की राय को महत्व देना, छोटे विवादों को नजरअंदाज करना और सहयोगी दृष्टिकोण अपनाना ऐसे उपाय हैं, जो व्यक्ति को मानसिक रूप से स्वस्थ और सामाजिक रूप से जुड़ा बनाए रखते हैं।

इस प्रकार, अहंकार न केवल व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि उसके सामाजिक और पेशेवर जीवन में भी अवरोध पैदा करता है। समय रहते यदि व्यक्ति अपने अहंकार को पहचानकर उसे नियंत्रित करने का प्रयास करे, तो वह तनाव और अकेलेपन से बच सकता है। समाज और परिवार के साथ सामंजस्यपूर्ण संबंध बनाए रखना, आत्म-मूल्यांकन करना और दूसरों की भावनाओं का सम्मान करना आज के समय में मानसिक स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य हो गया है।