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गर्मियों में शरीर को रोगमुक्त औऱ डिटॉक्स करने में मददगार होते हैं ये आयुर्वेदिक नुस्खे

 

जयपुर। गर्मियां अफने चरम पर पहुंच चुकी हैं ऐसी स्थिति में शरीर में विषाक्त पदार्थों का जमना लाजमी है। जीवनशैली में बडती अनियमितताओं के कारण शरीर में कई प्रकार की अशुद्धियआं जमने लगती हैं। इन अशुद्धियों का साफ करने के लिए डिटॉक्सीफिकेशन का उपाय अपनाया जाता है। इस दौरान इंसान के शरीर, खून और लीवर से अशुद्धियों और जहरीले तत्वों को साफ करना होता है। हालांकि किडनी, आंत और लिवर प्राकृतिक रूप से यह काम करती हैं लेकिन कबी-कभी इनमें भी रुकावट आने लगती हैं जिसका कारण चाय, कॉफ़ी, सिगरेट, सैच्युरेट फैट, शराब को मान सकते हैं। या फिर वह प्रॉडक्ट्स भी जिम्मेदार हो सकते हैं इनका इस्तेमाल करने से ही विषाक्त पदार्थों को जन्म देते हैं। इनमें जैसे क्लींजर, शैम्पू, डियोड्रेंट और टूथपेस्ट आदि शामिल है, लेकिन इन्हीं किस प्रकार साफ किया जाए, यह सबसे बडी चुनौती होती है क्योंकि यह सभी चीजें आपके शरीर में वनभिननि रोगों को नयौता देती हैं-

  • शरीर को डीटोक्सिफाई करने में आयुर्वेद का बहुत बड़ा होता है औऱ उसमें हल्दी अहम भूमिका अदा करती हैं यह आपके लीवन को साफ करके पाचन को दुरुस्त करती है। हल्दी गर्मियों में त्वचा विकार का खतरा भी घटाती है।

  • अकसर सररी में विषाक्त जमकर अनगिनत बीमारियों का खतरा बढाते हैं लेकिन इस समस्या को हल करने में नींबू की चाय को बहुत फायदेमंद बताया जाता है। बेहतर परिणामों को लिए इसका सेवन दिन में तीन से चार बार जरूर करना चाहिए। इसमें मौजूद विटमिन सी आपके लिवर से जहरीले पदार्थों को बाहर निकालने में मददगार होती है।
  • डिटॉक्सीफिकेशन की प्रक्रिया में लहसुन को भी बहुत मददगार बताया जाता है, जिसे आप चाहें तो कच्चा या फिर अपने आहार में शामिल करके सेवन कर सकते हैं। इसमें मौजूद प्रकृतिक एंटीबायोटिक गुण शरीर से गंदगी साफ करने में बहुत लाभदायक हैं।

  • ग्रीन टी को सिर्फ स्वास्थ कतो बेहतर और मोटापे को घटाने के लिए ही नहीं, बल्कि डीटोक्सिफिकेशन में भी बहुत लाभकारी बताया जाता है। इससे शरीर का मेटाबोलिज्म तो बेहतर होता ही है और लिवर की कई घातक बीमारियों का खतरा भी कम होता है।
  • सिर्फ पेय पदार्थों को ही नहीं बल्कि एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर खाद्य पदार्थों को भी असरकारी बताया जाता है इनमें धनिया और खीरा जैसे कई खाद्य पदार्थ शामिल है। ये शरीर में पानी की कमी को भी पूरा करते हैं।

 

  • ध्यान रखें कि अगर डिटॉकेसीफइकेशन की प्रक्रिया जारी और आप इस आयुर्वेदिक उपायों का सहारा ले रहे हैं तो नशा छोड दें क्योंकि यह आपकी नींद में खलन पैदा करते हैं। और नींद ना पूरा होने के कारण आलस्य और चिडचिडापन का कारम बनता है।
  • अगर आप बिना खाद्य पदार्थों का सेवन किए डिटॉक्सीफिकेशन को जारी रखना चाहते हैं तो यो—व्यायाम से काफी लाभ मिलेगा। इससे विषाक्त पदार्थ तो बाहर होंगे ही, साथ ही दिमागी शांति भी प्राप्त होगी। इसके तहत आप दौड़ लगाना, प्राणायाम औऱ मनॉर्निंग-इवनिंग वॉक कर सकते हैं।

  • सबसे महत्वपूर्ण काम होता है अधिकाधिक पानी का सेवन क्योंकि यह पूर्णतह प्राकृति रूप से आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर करता है। इसके तहत शरीर की गंदगी पसीने और यूरीन के रास्ते बाहर निकल जाती है।