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जाने क्या है शिशु की नैपी बदलने का सही तरीका और कैसे करें शिशु की सही देखभाल

 

शिशुओं की त्वचा बहुत कोमल और नाज़ुक होती है जिसपे किसी भी तरह की लापरवाही का बुरा असर पड़ सकता है और उससे बच्चे की स्किन पर रैशेस हो सकते हैं| इन्ही कारणों से हम शिशुओं के लिए इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट्स बहुत सोच समझ कर चुनते हैं| 6 महीने से पहले तक शिशु बहुत जल्दी जल्दी पेशाब करता है और कभी कभी महिलायें काम में व्यस्त होने के कारण अक्सर ध्यान नहीं दे पाती और हाथों को धुले बिना ही जल्दी जल्दी में शिशु की नैपी बदल देती हैं और उससे शिशु की स्किन पर रैशेस या फिर एलर्जी हो सकती है| जानते हैं क्या हैं शिशु की नैपी बदलने के सही तरीके|

शिशु की नैपी बदलते वक़्त इस बात का ज़रूर ध्यान रखें की नैपी बदलने से पहले आप अपने हाथों को गुनगुने पानी से या फिर साबुन से अच्छी तरह से धो लें| शिशु की गन्दी नैपी को गुनगुने पानी से साफ़ करें और शिशु के डाइपर एरिया को गुनगुने पानी में भिगोई हुई कॉटन से साफ़ करें| शिशु की त्वचा को हमेशा सूती कपडे से ही पोछें और पोछने के बाद उसपर ऐंटीबैक्टीरियल लिक्विड का इस्तेमाल करके पाउडर लगाएं| इससे अगर आपको शिशु की नैपी बदलने में देर भी हो जाती है तब भी उसकी स्किन पे रैशेस नहीं होंगे और ना ही उसे किसी तरह के इन्फेक्शन होने का खतरा होगा|

कई महिलाएं ये सोचती हैं कि नैपी बदलना उनके या उनके शिशु के लिए तकलीफदेह काम है बल्कि ऐसा करने से शिशु को और आराम मिलता है और अगर आप नैपी बदलते समय शिशु को बिना नैपी के ही छोड़ देंगी तो उसे आराम से हाथ पैर चला कर खेलने का मौका मिल जायेगा जिससे शिशु का मानसिक और शारीरिक विकास होता है|

इन सभी देखभाल के साथ शिशु के लिए जो सबसे ज़्यादा ज़रूरी है वो है उसकी मालिश| दिन भर में कम से कम चार बार शिशु की मालिश ज़रूरी है इससे उसके शरीर को ज़रूरी पोषण मिलता हैं और साथ ही माँ के हाथों का स्पर्श उसे सुरक्षा का एहसास दिलाता है| कई बार शिशुओं को किसी तरह का तेल सूट नहीं करता तो तेल की जगह आप दूध की मलाई से भी शिशु की मालिश कर सकती हैं|

शिशु की सफाई के लिए उसे प्रतिदिन गुनगुने पानी से नहलाना अति आवश्यक है| शिशु को नहलाने से पहले ही उसके सभी सामान जैसे तौलिया, बेबी शैम्पू, बेबी सोप आदि को पास में रख लेना चाहिए| शिशु को नहलाते वक़्त इस बात का ध्यान ज़रूर रखें कि उसके आँख, नाक और कान में पानी या साबुन ना जाये और शिशु की गर्दन, प्राइवेट पार्ट्स और अंडरआर्म्स को अच्छे से साफ़ करना चाहिए| नहलाने के बाद शिशु के बदन को हमेशा सूती या किसी और मुलायम कपडे से ही पोछें| शिशु के कान का अंदरूनी हिस्सा बहुत कमज़ोर होता है इसलिए उसे साफ़ करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए बल्कि सूती कपडे से आप शिशु के कान के बहरी हिस्से को साफ़ कर सकती हैं|

शिशु जितना नाज़ुक होता है उसे उतने ही प्यार और देखभाल की ज़रुरत होती है| किसी छोटी सी लापरवाही से भी शिशु को इन्फेक्शन हो सकता है इसीलिए हमेशा शिशु की सफाई और त्वचा का ख़ास ख्याल रखना ना भूलें|