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यंगस्टर्स ना ले अबनोरमल हार्ट बीट को हल्के में

 

 

जयपुर । आज कल यंगस्टर्स को कई तरह की बीमारियाँ हो रही है आज कल की लाइफस्टायल बहुत ही ज्यादा बिगड़ गई है । लाइफस्टायल के कारण ना चाहते हुए भी लोगों को कई तरह की बीमारियाँ परेशान कर रही है पर आज कल जो बीमारियाँ हो रही है उन बीमारियों में एक चीता का विषय यह भी है की इनकी पहचान कर पाना बहुत ही मुश्किल हो रहा है ।

आज हम आपको आपकी सेहत के बारे में कुछ ऐसी ही बातों को लेकर आगाह करने जा रहे हैं । आज हम आपको बताने जा रहे हैं की जिन युवाओं को अनियमित हृदयगति की परेशानी है बात बात पर जिनकी हार्ट बीट  बढ़ जाती है उनको सजग हो जाने की बहुत ज्यादा आवश्यकता है । ऐसा क्यों आइये जानते हैं इस बारे में ।

अगर छोटे बच्चों और टीनेजर्स को हृदय की धड़कनों से संबंधित कोई समस्या या हृदय गति में असमानता जैसी समस्या हो रही है तो यह केवल शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक बीमारी का भी संकेत हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, अबनॉर्मल हार्ट रिद्मस  वाले बच्चों में अपने हम उम्र सामान्य बच्चों या बचपन में होनेवाली बीमारियों से पीड़ित बच्चों की तुलना में डिप्रेशन, एंग्जाइटी और एडीएचडी यानी ध्यान की कमी और अति सक्रिया जैसी बीमारियां होने की संभावना कहीं अधिक होती है।

अवसाद, चिंता और एडीएचडी जैसी बीमारियों की दर के बारे में अब तक माना जाता था कि ये मुख्य रूप से यंग अडल्ट्स को अपना शिकार बनाती है, जिनमें दिल से जुड़ी कुछ बीमारियों के दोष जन्म के समय से ही होते हैं। यह अपने आप में इस उम्र के बच्चों और टीनेजर्स के बीच दिल से जुड़ी बीमारी संबंधी अपने प्रकार की पहली स्टडी हो सकती है, जिसमें बच्चों में विभिन्न कार्डिएक अरिद्मिअस के साथ ही एंग्जाइटी और डिप्रेशन को इस रूप में डाइग्नॉज किया गया है।

 

 

अवसाद, चिंता और एडीएचडी जैसी बीमारियों की दर के बारे में अब तक माना जाता था कि ये मुख्य रूप से यंग अडल्ट्स को अपना शिकार बनाती है, जिनमें दिल से जुड़ी कुछ बीमारियों के दोष जन्म के समय से ही होते हैं। यह अपने आप में इस उम्र के बच्चों और टीनेजर्स के बीच दिल से जुड़ी बीमारी संबंधी अपने प्रकार की पहली स्टडी हो सकती है। यंगस्टर्स ना ले अबनोरमल हार्ट बीट को हल्के में