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मिर्गी की बीमारी से निपटने अंगूर का सेवन करना बहुत हो जरूरी है

 

जयपुर । मिर्गी की बीमारी एक दइमागी बीमारी है । दरअसल जीस तरह से बिजली के तारों में कोई आपस में गलत टार जुड़ जाता है तो वह स्पार्किंग करता है और जटके देता है । वैसा सा ही कुछ हमारे दिमाग की नसों में जब कोई गलत स्नास एक दूसरे से बार बार टकराती है तो कुछ प्रतिकृया होती है । यही ही प्रतिकृया मिर्गी कहलाती है ।

इसमें व्यक्ति को मुंह से झाग निकालना , बेहोधी आना , झटके लगना और भी कई सारी परेशानी हो जाती है । जो की कभी भी किसी को भी हो सकती है । इस परेशानी से जुंझने वाले लोगों को काफी तकलीफ़ों का सामना करना पड़ता है । यह किसी भी वजह से हो सकता है । आज हम आपकी सी परेशानी का हल आयुर्वेद की जरिये दिये देते हैं ।

नियमित रूप से लहसुन खाने से दौरे नहीं पड़ते और मिर्गी के दूसरे लक्षण भी सामने नहीं आते। पानी और दूध के संतुलित मिश्रण में उबले हुए लहसुन के चार-पांच टुकड़े पीसकर मिलाकर रोज पीने से स्वास्थ्य के लिए  बेहतर रहता है । मिर्गी के लक्षण वाले लोगों के लिए यह लाभप्रद होता है  है । दरअसल, लहसुन के औषधीय गुण मुक्त कणों को नष्ट कर देते हैं।

इससे दौरे और बेहोशी के मामलों में प्रभावी कमी आती है। तुलसी के 3-4 पत्ते रोज चबाकर खाएं या उसका रस निकालकर पिएं। रोज 3-4 बार नियमित रूप से ऐसा करने से फायदा होगा। अंगूर में फ्लैवोनॉयड्स की मात्रा ज्यादा होती है, जो मिर्गी के लक्षण को प्रभावी ढंग से रोकने में मददगार होता है। अंगूर मैग्नीशियम के अच्छे स्रोत हैं।

पेठा या कुष्माण्ड का छिल्का उतार लें और इसे छोटे टुकड़ों में काट लें इसके  सर्वश्रेष्ठ लाभ के लिए इन छोटे टुकड़ों में काट कर उसको निचोड़ कर रस निकाल लें और रोज सुबह पिएं। इससे मस्तिष्क की कोशिकाएं मजबूत होंगी और दौरे कम पड़ेंगे।

इससे दौरे और बेहोशी के मामलों में प्रभावी कमी आती है। तुलसी के 3-4 पत्ते रोज चबाकर खाएं या उसका रस निकालकर पिएं। रोज 3-4 बार नियमित रूप से ऐसा करने से फायदा होगा। अंगूर में फ्लैवोनॉयड्स की मात्रा ज्यादा होती है, जो मिर्गी के लक्षण को प्रभावी ढंग से रोकने में मददगार होता है। अंगूर मैग्नीशियम के अच्छे स्रोत हैं। मिर्गी की बीमारी से निपटने अंगूर का सेवन करना बहुत हो जरूरी है