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हर्निया बिमारी का इलाज़ करवा सकते हैं कम पैसों में ही निजी अस्पताल में

 

जयपुर । हर्निया इस बीमारी का नाम हम सभी ने कहीं न कहीं सुना हुआ है । जो पढे लिखे लोग हैं उनको इस बीमारी के बारे में  थोड़ी बहुत जानकारी होती है । पर ज़्यादातर लोगों को आज भी यह नही आता होता है की असल में हर्निया बीमारी है क्या ? इसके लक्षण क्या हो सकते हैं ? यह बीमारी हो कैसे सकती है और भी कई सारी बातें है जिसकी जानकारी लोगों को नही है ।

आज हम आपको इसी बारे में रुबरू करवाने जा रहे है । आपके आस पास आपके घर में काम करने आने वाले लोग या कोई भी आपका अपना इस बीमारी से पीड़ित हो सकता है । इसकी जानकारी उनके लिए बहुत मददगार साबित हो सकती है ।

हर्निया क्या होता है ?

हर्निया की बीमारी में पेट की मांसपेशियाँ कमजोर हो जाती है और उसी कमजोर जगह से हमारे आंतरिक अंग बाहर की और निकालने लगते हैं । जब हमारे शरीर का कोई भी अंग अपनी झिल्ली से बाहर निकाल आता है तो उस स्थिति को हर्निया कहा जाता है । यह ज़्यादातर आंतों में होता है । ऐसा नही है की यह महिला या पुरुष में से किसी एक को ही होता है । यह बीमारी दोनों में से किसी को भी हो सकती है । डॉक्टर्स के अनुसार पचास (50 ) की उम्र के बाद यह बीमारी ज्यादा देखी जाती है । आंतरिक अंगों का विकास बाहरी तरफ की दीवार की ओर होने के कारण हर्निया होता है। हर्निया की समस्या जन्मजात भी हो सकती है। ऐसी स्थिति में इसे जन्मजात हर्निया कहा जाता है ।

यह शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है । खास कर 70 % लोगों में जांघो  के बीच ( पुरुषों में ) यह पाया जाता है । यह नाभि  और पेट के आसा पास , आंत में पाया जाता है ।

हर्निया बीमारी का कारण क्या हो सकता है ?

ज़्यादातर हर्निया की बीमारी बढ़ती उम्र के साथ देखि जाती है । क्योंकि 45 की उम्र के बाद मांसपेशियों का कमजोर होना बहुत ही स्वाभाविक सी बात हो जाती है । 50 के बाद व्यक्ति शारीरक और मानसिक तौर पर थोड़ा कमजोर होने लगता है । इसके कारण यह बीमारी होने की संभावनाएं ज्यादा होती है । इसके मांसपेशियों के कमजोर होने के और भी कारण होते है जैसे :-

  • पैदाइशी तौर पर
  • बढ़ती उम्र
  • चोट लगना
  • पुराना ऑपरेशन
  • भारी वजन उठाना
  • पुरानी खाँसी
  • मोटापा
  • कब्ज
  • पेशाब में रुकावट
  • गर्भावस्था
  • पेट की मांसपेशियों की कमजोरी
  • पेट की मांसपेशियों में विकार
  • आनुवंशिकता
  •  खांसी: लंबे समय तक खांसी रहे तो हर्निया हो सकता है क्योंकि खांसी से पेट पर प्रेशर पड़ता है।
  •  कब्ज: लगातार कब्ज की शिकायत रहने पर भी हर्निया हो सकता है।
  • यूरिन  करने में दिक्कत: यूरिन  करने में दिक्कत या रुकावट होने पर भी हर्निया की आशंका बढ़ जाती है।
  • जो लोग बहुत ज्यादा सीढ़ियां चढ़ते-उतरते हैं, उनमें हर्निया के चांस बढ़ जाते हैं।
  • जो लोग बहुत ज्यादा वजन उठाने का काम करते हैं जैसे की भारा धोना , ईटे उठाना , बोरियन उठाना और भी कई तरह के वजनी काम करते हैं । उनसे कारण भी यह परेशानी होती है । (महिला और पुरुष दोनों में )

 

कैसे पता करें की यह बीमारी आपको अपना शिकार बना चुकी है ? इसके लक्षण क्या है ?

  • किसी भारी वस्तु के उठाने पर पेट में सूजन का उभर आना,
  • पेट की चर्बी या आँतों का बाहर की ओर निकलना,
  • पेट के निचले भाग में उभार या सूजन महसूस होना
  • पेट में फुलावट, दर्द और भारीपन,
  • मल-मूत्र त्यागने में परेशानी
  • लंबे समय तक खड़े रहने या बैठने में दर्द महसूस होना

क्या है इस बीमारी का इलाज़ ? कौनसी जाँचे होती है जरूरी ?

जब भी आप किसी भी बीमारी से परेशान होते हैं तो आपको लगता है की किसी भी तरह बस यह ठीक हो जाये और हम दर्द से परेशानी से मुक्ति पाये । इसके लिए हम हर नीम हाकिम , डॉक्टर्स की हर सलाह मानते रहते हैं । क्योंकि हमको इसकी कोई जानकारी ही नही होती है । आपको किसी भी बात बे बात की सलाह को मानने की जरूरत नही है ।

इस बीमारी का पता लगाने के लिए जाँचे की जाती है । वैसे सामन्य तौर पर डॉक्टर देख कर शारीरक जांच कर के ही पता लगा लेते हैं । जैसे मांस का टुकड़ा बाहर निकाल कर वापस अंदर जाता है यह खांसी आने पर ज्यादा महसूस होता है ।

इसके साथ ही आपको अल्ट्रा साउंड और सीटी स्केन भी करवाया जा सकता है । ज़्यादातर सिर्फ अल्ट्रा साउंड से ही काम चल जता है । इसमें पेट के अंदर हर्निया की स्थिति को जांचा जाता है । इसके लिए आपको 500 से 1000 रुपए तक का ही खर्चा आता है ।

सीटी स्केन की नौबत तब आती है जब बहुत बारीकी से इसकी जांच करनी हो । इसमें आपको 4000 से 6000 तक रुपये खर्च करने पड़ सकते हैं ।

हर्निया की बीमारी में इलाज़ सिर्फ और सिर्फ ऑपरेशन होता है । यह दो तरह का होता है । एक ओपन और लेप्रोस्कोपिक सर्जरी । इसमें घबराने वाली कोई बात नही है । यह ऑपरेशन करवाने के बाद आप पूरी तरह ठीक हो जाते हैं । डॉक्टर्स का कहना है की 90% तक लोगों को ऑपरेशन के बाद यह बीमारी वापस नही होती है । 10 % लोगों में ही इसके वापस होने की आशंका पाई जाती है वह भी तब जब वह खुद का ध्यान पूरी तरह नही रखते हैं । इसके ऑपरेशन में निजी अस्पताल के अंदर  20 से 40000 का खर्चा होता है । सरकारी अस्पताल में यदि आपके पास कोई कार्ड या कोई योजना का लाभ है तो आप उसका लाभ उठा सकते हैं । सरकार की तरफ से कई योजनाए है जो आपके लिए मददगार साबित हो सकती है जैसे भामाशाह कार्ड योजना ।

क्या बातें है जो हर्निया की बीमारी में ऑपरेशन से पहले और बाद में बहुत ज्यादा ध्यान देने योग्य है । जो आपको परेशानी कम करने में सहायक बन ?

ऑपरेशन से पहले :- तंग कपड़े कभी भी ना पहने , टाइट कपड़े पहनने से आपको दर्द का अनुभव ज्यादा हो सकता है । प्रभावित जगह को कभी भी गर्म कपड़े या किसी भी गर्म पदार्थ से सेंक नहीं दें।हर्निया में कसरत करने से परहेज करें। बेड पर अपने तकिए को 6 इंच उपर रखें, ताकि पेट में सोते समय एसिड और गैस नहीं बन पाए।एक ही बार ज्यादा मत खाएं, थोड़ी-थोड़ी देर पर हल्का भोजन लें। खाने के तुरंत बाद झुकें नहीं। शराब पीना पूरी तरह बंद कर दें।

ऑपरेशन के बाद किन बातों का रखें ध्यान :-  सर्जरी के बाद हल्के भोजन से खाने की शुरूआत करें। जैसे उबले चावल, कम मसालेदार दाल सब्जी।  कब्ज से बचने के लिए फल सब्जियां और छिलके युक्त अनाज खाएं।  रोजाना कम से कम 8 से 10 गिलास पानी जरूर पीएं। भारी समान उठाने से परहेज करें।

ऑपरेशन के कितने वक्त बाद तक आप क्या क्या कर सकते हैं ?

ऑपरेशन के दो-तीन दिन बाद नॉर्मल वॉक कर सकते हैं।दो हफ्ते बाद ड्राइविंग कर सकते हैं।
हल्का-फुल्का योग कर सकते हैं।

आप ऐसा क्या कर सकते है हर्निया की परेशानी होने से बचा सकता है ? आइये जानते हैं ।

वजन को कंट्रोल में रखें। अपने तय वजन के 5 किलो से ज्यादा न बढ़ने दें।- पौष्टिक खाना खाएं। प्रोटीन डाइट लें ताकि मसल्स मजबूत बनीं रहें। स्मोकिंग से परहेज करें। इससे खांसी होती है और खांसी हर्निया की वजह बनता है।खूब पानी पिएं ताकि पेशाब से जुड़ी बीमारी न हों।
ज्यादा वेट लिफ्टिंग न करें। जो भारी एक्सरसाइज करते हैं, वे सपॉर्ट जरूर रखें । बहुत ज्यादा या जल्दी-जल्दी सीढ़ियां न चढ़ें। पेट को मजबूत बनाने वाले आसन करें।

हर्निया है तो कौन से आसन करें जो आपको राहत दे सकते हैं ।
ऑपरेशन होने के पहले से 6 महीने तक कोई भी आसन न करें।  हर्निया है तो कमर को पीछे मोड़नेवाले आसन न करें, भुजंगासन, धनुरासन, नौकासन, उष्ट्रासन, कोणासन आदि।
जिसमें पेट पर पूरा जोर पड़ रहा है, उन्हें भी नहीं करना जैसे कि अर्धसर्वांगासन, चक्रासन, हलासन, सर्वांगासन।अग्निसार और कपालभाति क्रिया नहीं करनी।

ऐसे आसन करें, जिनसे पेट की मांसपेशियां मजबूत हों, जैसे कि मूलबंध, अश्विन मुद्रा, एक पैर से उत्तानपादासन, कटिचक्रासन, एक पैर से पवनमुक्तासन, नितंबासन, शशांकासन, पश्मिोत्तानासन गोमुखासन आदि।

 

हर्निया की बीमारी में इलाज़ सिर्फ और सिर्फ ऑपरेशन होता है । यह दो तरह का होता है । एक ओपन और लेप्रोस्कोपिक सर्जरी । इसमें घबराने वाली कोई बात नही है । यह ऑपरेशन करवाने के बाद आप पूरी तरह ठीक हो जाते हैं । डॉक्टर्स का कहना है की 90% तक लोगों को ऑपरेशन के बाद यह बीमारी वापस नही होती है । 10 % लोगों में ही इसके वापस होने की आशंका पाई जाती है वह भी तब जब वह खुद का ध्यान पूरी तरह नही रखते हैं । इसके ऑपरेशन में निजी अस्पताल के अंदर  20 से 40000 का खर्चा होता है । हर्निया बिमारी का इलाज़ करवा सकते हैं कम पैसों में ही निजी अस्पताल में