स्वाद के साथ साथ आपकी सेहत भी बिगाड़ सकते हैं यह कुकिंग ऑयल,इन बीमारियों को देते हैं दावत
लाइफस्टाइल न्यूज़ डेस्क, स्वादिष्ट भोजन के प्रति भारतीयों की दीवानगी को हर कोई जानता है। टीवी पर कोई भी नई रेसिपी देखते ही घर की महिलाएं उसे पहली फुर्सत मिलते ही एक बार अपनी रसोई में जरूर ट्राई करने की कोशिश करती हैं। लेकिन बात जब स्वाद के साथ सेहत की होती है तो कोई भी महिला अपने परिवार की सेहत के साथ कोई समझौता करना पसंद नहीं करती हैं। जी हां, आजकल बाजार में कई तरह के कुकिंग ऑयल स्वाद के साथ सेहत को भी बनाए रखने का दावा करते हैं। लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल अलग होती है। खाना पकाने के लिए इन कुकिंग ऑयल का इस्तेमाल करने से मोटापा, दिल से जुड़ी बीमारियां, जोड़ों का दर्द और सूजन समेत कई तकलीफों से जूझना पड़ सकता है। आइए जानते हैं 5 ऐसे कुकिंग ऑयल जो सेहत के लिए हो सकते हैं बड़ा खतरा।
पाम ऑयल
पाम ऑयल में सैचुरेटेड फैट की मात्रा ज्यादा होती है। इसमें लगभग 50 प्रतिशत सैचुरेटेड फैट मौजूद होता है। सैचुरेटेड फैट से LDL कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ता है जिसे "खराब" कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है। LDL कोलेस्ट्रॉल हाई होने से धमनियों में प्लाक का निर्माण होने लगता है जिससे दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ता है।
सोयाबीन ऑयल
सोयाबीन का तेल ओमेगा-6 फैटी एसिड से रिच होता है। ऐसे में अगर इस तेल का सेवन अधिक मात्रा में किया जाए तो यह जोड़ों के दर्द और सूजन को बढ़ा सकता है।
ऑलिव ऑयल
ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल ड्रेसिंग या डिप बनाने में कर सकते हैं। सलाद, चटनी, पास्ता, पिज़्ज़ा, पास्ता में कच्चा डालकर सर्व किया जा सकता है। लेकिन यह उच्च ताप पर खाना पकाने के लिए उपयुक्त नहीं है। हाई फ्लेम पर कुकिंग करने से आपको डायरिया की समस्या तो होती ही है, साथ ही त्वचा पर कील-मुहांसे और लाल चकत्ते बनने की भी तकलीफ हो सकती है।
वेजिटेबल ऑयल
अगर आप भी खाना पकाने के लिए वेजिटेबल ऑयल का इस्तेमाल करते हैं, तो आपको बता दें कि कॉर्न, सनफ्लावर और सोयाबीन के मिश्रण से बने इस तेल में ओमेगा-6 फैटी एसिड की मात्रा ज्यादा होती है, जो शरीर में सूजन पैदा कर सकती है। इस तेल के अधिक सेवन से हार्ट में ब्लॉकेज का खतरा भी बना रहता है।
कॉटन सीड ऑयल
कॉटन सीड ऑयल में ओमेगा -6 फैटी एसिड की मात्रा अधिक होती है, जिसका अगर अधिक मात्रा में सेवन किया जाए तो यह सूजन, एलर्जी, त्वचा पर चकत्ते, खुजली, आंखों में जलन या सांस लेने में दिक्कत जैसी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। इतना ही नहीं, आहार में ओमेगा-6 फैटी एसिड का अधिक सेवन मधुमेह रोगियों में उच्च रक्तचाप के जोखिम को बढ़ा सकता है।