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चश्मे की जगह कई लोग करते हैं कोंटेक्ट लेंस का उपयोग , आखिर क्या होते हैं कोंटेक्ट लेंस

 

जयपुर । आज कल जिस तरह का अशुद्ध खान पान हम खा रहे हैं और जिस तरह की जीवन शेली हम अपना चुके हैं उसके कारण हमारी कई ऐसी आदतें हो चली है जो हमारी नज़र को कमजोर कर रही है आज कल तो पैदा होते ही बच्चों की नज़र कमजोर रहती है और उनको इस छोटी उम्र में ही चश्मे का सहारा लेना पड़ता है और यह उनके लिए सारे जीवन की मुसीबत बन जाता है ।

जो लोग चश्मा पहनते हैं आपने उनके मुंह से कई बार कोंटेक्ट लेंस के बारे में सुना होगा । कई बार उन लोगों को भी बिना चश्मे के देखा होगा जो लोग चश्माअहने बिना देख तक नही पाते हैं और कई बार आपने यह भी देखा होगा की लोग अपनी आंखो का रंग बादल लेते हैं आपने कभी ध्यान दिया है की यह सब जोता क्या है और यह लेंस नाम की बला असल में है क्या ?

कोंटेक्ट लेंस एक बहुत ही छोटी कटोरी नुमा पारदर्शी उपकरण होते हैं जो चश्मे की जगह हम अपनी आंखो पर इस्तेमाल कर सकते हैं यह पारदशी होने के साथ साथ हल्के रंगीन भी होते हैं ताकि इनकी आसानी से सार संभाल की जा सके । यह दो प्रकार के होते है कठोर और मुलायम । ज्यादा तर लोग मुलायम लेंस ही पहनते हैं ।

पहली बार लियोनार्डो द विंसी और रेनी देकार्ते ने लेंस की अवधारणा शुरू की थी हालांकि इसकी असल शुरुआत तब तक नही हुई थी जब तक एक जर्मन व्यक्ति ने 19 वी ष्टब्दी में आँखों के सहन करने लायक लेंस का निर्माण नही कर लिया था । आज लेंस पहना बहुत ही आम बात हो गई है इनको आँखों मे लगाना और उतरना बहुत ही आसान काम है ।

 

कोंटेक्ट लेंस एक बहुत ही छोटी कटोरी नुमा पारदर्शी उपकरण होते हैं जो चश्मे की जगह हम अपनी आंखो पर इस्तेमाल कर सकते हैं यह पारदशी होने के साथ साथ हल्के रंगीन भी होते हैं ताकि इनकी आसानी से सार संभाल की जा सके । यह दो प्रकार के होते है कठोर और मुलायम । ज्यादा तर लोग मुलायम लेंस ही पहनते हैं